काश आप हमारे होते DINESH KUMAR KEER द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

काश आप हमारे होते

1.
चाहतें होती है बिल्कुल औंस की बूंदों जैसी,
कोमल, सुंदर, नम और मनमोहक सी ...!

2.
कभी बेसाख्ता हंस दूं तो समझ लेना,
हद से ज्यादा उदास हूं मैं.!

3.
तेरे तसव्वुर में फिर बीती रात सारी,
कभी तारे गिने कभी चांद से बातें की...!

4.
उतारी गई है कब्र में जो,
वो फकत मिट्टी है गालिब...
वो कब का खत्म हो गया..,
जो इस जिश्म का हकदार था कभी..!

5.
ना खुश हूं ना गमजदा हूं मैं,
बस औरों से थोड़ी जुदा हूं मैं..!

6.
ये जो पलकों के किनारे भर आते हैं अक्सर,
मुस्कुराने से पहले ही छलक जाते हैं कमबख्त..!

7.
खो कर बहुत कुछ मैं,
न जाने क्या पाने की तलाश में हूं!(इंसान)

8.
ये जो जन्मों के हिसाब होते हैं,
न जाने किस जन्म में पूरे होते हैं..!

9.
तुम रखना हाथों में हाथ थामकर हमेशा ही,
बालों की सफेदी को दरकिनार कर देना तुम...!

10.
तुम्हे एहसासों की खुशबू से बांधा है खुद से,
क्या फिर भी गुलाब का मोहताज है रिश्ता तेरा मेरा..!

11.
बहुत चल चुके कदम, बहुत चलना बाकी है अभी,
दौड़कर मंजिल तक पहुंचना बाकी है अभी,

कुछ उजालों को पीछे छोड़ आई हूं,
कुछ अंधेरों से लड़ना बाकी है अभी...!

12.
उम्मीदें जितनी कम,
जिंदगी में सुकून उतना ज्यादा...!

13.
मुद्दा ये नही कि हमे भूल गया हर कोई,
मसला ये है कि
कमबख्त हमारी याददाश्त तेज है..

14.
तुम कोरा पन्ना आकर्षण का केंद्र बिंदु सा,
मैं कलम पर लिपटी उस काली स्याही जैसे,

15.
गुनाह करने की आदत नही जायेगी कभी,
बस माफी मांगने का हुनर बरकरार रखो...!

16.
वो ख्वाहिश ही क्या जो पूरी हो जाए ,
मायने तो उस ख्वाहिश के है ,
जो दिल में ताउम्र रहती है,
आखिरी ख्वाहिश बनकर..!

17.
जहां मैं पूर्ण रूप से हार जाऊंगी ...
वहां मैं खुद को मिट्टी में विलीन देखना चाहूंगी..!

18.
रोज़ याद करती हूं गलतियां अपनी,
खुदा से रोज़ अपने गुनाहों की मैं माफी मांग लेती हूं..!

19.
मिलकर बिछड़ने की ये रिवायत बदल देना...
सुनो.. तुम लौट आना इक मिसाल कायम करने के लिए..!

20.
ये गुनाह नही,कि मैं मोहब्बत अज़ीम करती हूं,
यकीन मानो रब से जुड़ने का एक बेहतरीन ज़रिया है ये..!

21.
कांच सा बिखर जाता है हल्की सी चोट पर,
चाहे फिर जान ही दे दी जाए,
विश्वास....
दोबारा फिर कभी नही जुड़ता..!

22.
फिजूल है एहसासों का बयान वहां,
जहां मन बेजार बंजर जमीन हो ..!

23.
कल जो होगा उस की फ़िक्र में गवां दिया आज हमने,
और कल का भरोसा भी नही कि कल आएगा या नहीं...!

24.
टूट जाना तो बहुत आम बात है,
बिखरकर जुड़ जाना,
और फिर मजबूत बनना,
हर किसी के बस की बात नही ...!

25.
मुमकिन ही नही कि मुकम्मल हो जाए,
कहानी तेरी मेरी बहुत फुर्सत से लिखी गई है शायद...!

26.
पत्थर हो जाती है जब स्त्रियां,
तब उन्हे आंसुओ कि छुवन भी,
महसूस नहीं हो पाती..!

27.
उलझने सुलझी नही फिलहाल मेरी,
ए जिंदगी मेरी खुशियों को ,
अमानत की तरह संभाल के रख..!

28.
तुम ना होते तो कहां जान पाती मैं,
कि मेरे अंदर भी एक अदना सा शायर रहता है..!

29.
ख़्वाब सारे ही दरकिनार रख कर,
मैंने तेरे लिए बस दुआओं से राब्ता रक्खा..!

30.
सवालातों के घेरे में फंसी ये उम्र सारी है..
जिंदगी की जद्दोजहद पर एक नींद भारी है...!

31.
वो आंसू जो जज़्ब हो गए अंदर ही अंदर कहीं,
देखना एक दिन दीमक की तरह खा जायेंगे वुजूद मेरा...

32.
मेरे कुछ ख़्वाब गिरवी पड़े हैं ,
ऐ जिंदगी तेरे पास ही,

जरा मोहलत निकाल और,
मेरे उन ख्वाबों को मुकम्मल करदे..!

33.
जो कर जाता है स्पर्श हमारी आत्मा तक को,
ये प्रेम परिभाषित नहीं हो पाएगा हमसे..!

34.
उस जहां में भी तो होता होगा, कोई अपना,
जिस जहां से लौटकर, कोई कभी नही आता..!