Tanmay - In search of his Mother - 46 books and stories free download online pdf in Hindi

Tanmay - In search of his Mother - 46

46

ब्लैकमेल

 

क्या चोरी हो गया? बता न?

कुछ नहीं, मैं तन्मय के घर जा रहा हूँ I

बिल्कुल नहीं, रात बहुत हो गई है, अच्छा नहीं लगताI सुबह बात करना, अभिमन्यु जी डाटेंगेI दादाजी ने उसे रोकते हुए, उसे उसके कमरे में भेज दियाI

प्रिया और अभिमन्यु डिनर करने के बाद, रात को लॉन में बैठकर अपने कॉलेज के दिनों को याद कर रहें हैंI मौसम में नमी होने के कारण प्रिया ने स्टॉल ;ले रखा है I तभी किसी बात पर अभिमन्यु ने हँसते हुए कहा,

यार क्या दिन थें, काश ! वैसे आज मैं बहुत दिनों बात थोड़ा अच्छा महसूस कर रहा हूँI

तुम सही कह रहें हो I कहाँ हमने साथ में इंटर्नशिप करने की प्लानिंग की थींI मगर देखो न कॉलेज खत्म होते ही तुम अपने रास्ते, मैं अपने रास्तेI

मैंने तुम्हारा इंतज़ार भी किया कि तुम आगरा से वापिसी करोगी, मगर तुमने कनेक्शन ही खत्म कर दियाI फिर छह महीने की इंटर्नशिप के बाद नैना से शादीI

तुमने शादी जल्दी नहीं कर ली!!

हम्म, अब मुझे भी यही लगता है पर उस समय नैना को इतनी जल्दी थी, फ़िर मैं भी उसे खोना नहीं चाहता था इसलिए ज़्यादा सोचने का मन ही नहीं कियाI

प्यार में ऐसा ही होता हैI प्रिया ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा तो उसने चाँद की तरफ मुँह घुमा लिया I

एक बात पूछो?

पूछो? अगर नैना तुम्हारी ज़िन्दगी में न होती तो कोई और आ सकता था I वह उसका ईशारा समझ गयाI

हाँ, मेरी अच्छी दोस्त भी मेरी हमसफ़र बन सकती थींI वह अब भी चाँद को देख रहा हैI

हो सकता है, तुम उसे छोड़ देते, उसकी आँख भर आईI

वह प्रिया के करीब आते हुए बोला, मैं उसे कभी नहीं छोड़ता, बल्कि उसका हाथ पकड़कर नया रास्ता निकाल लेता और मैं कौन सा परफेक्ट हूँI प्रिया ने जब यह सुना तो उसकी आँखों के आंसू छलकने लगेI अभिमन्यु ने उसकी ऑंखें पोंछते हुए कहा, तुम तो कह रहीं थीं कि तुम खुश हो, फ़िर यह आँसू किसलिएI उसने यह कहते हुए उसके होंठ चूम लिएI प्रिया भी जवाब में उसके होंठ चूमने ही वाली थीं कि तभी तन्मय का फ़ोन आ गयाI उसने 'खुद को सम्भालते
हुए फ़ोन उठा लिया,

हाँ, तनु ?

पापा, घर कब आ रहें हैं?

बस, थोड़ी देर में पहुँच रहा हूँI अब वह जाने को हुआ तो प्रिया उसे, गेट तक छोड़ने के लिए आईI

अगली बार तन्मय को भी लेकर आनाI

पक्काI अब अंदर जाओ, ठंडी हवा चल रही हैI

गुडनाईट!

बाय ! प्रियाI अब उसकी गाड़ी आँखों सेओझल हो गईI मगर प्रिया के चेहरे पर चमक दिखने लगीI अब वह स्टॉल को कसकर खुद से लपेटे अंदर जाने लगी I

अगली सुबह पुलिस स्टेशन में हलचल है, रोज़ के चोरी, छेड़छाड़ आदि मामलों की रिपोर्ट लिखी जा रहीं हैI रुद्राक्ष भी किसी केस को निपटाते हुए पुलिस स्टेशन आया हैI उसने हरिलाल से शिवांगी के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वह अभी नहीं आई हैI तभी उसे शिवांगी अंदर आती नज़र आईI उसने रुद्राक्ष को देखते ही कहा,

सर, हमने किशन बिश्नोई के फार्म हाउस के बाहर का सी.सी.टी.वी. फुटेज चेक किया था I

पर उस दिन तो सी.सी.टी.वी ख़राब था, बल्कि उसने बताया कि दस दिन से सी.सी.टी.वी. ख़राब पड़ा थाI

सर, हमने दस दिन पहले का सी.सी.टी.वी. चेक किया था और आपको जानकर हैरानी होगी कि हमें कौन नज़र आयाI

नहीं, मुझे नहीं होगीI उसने मुस्कुराते हुए जवाब दियाI

अभिषेक, नैना राठौर का फ्रेंड I

वो वहां क्या कर रहा था?

वह किशन बिश्नोई का भाई बना हुआ है, मतलब?

उसकी बीवी का कजिन हैI

अच्छा ! तुम अपनी तफ्तीश ज़ारी रखोI

जी सरI

स्कूल की आधी छुट्टी में राघव ने तन्मय को कल वाली बात बताईI

इसका मतलब वो तेरे घर पर थी..........

हाँ, पर अब नहीं हैI मुझे लगता है, लक्ष्मी ने वो चिठ्ठी उस अंकल को दे दी हैI

हम्म, मुझे भी 'यही लगता हैI अब तो मुझे पक्का यकीन हो गया है कि कुछ न कुछ गड़बड़ है I

इस अंकल के घर चले....

पागल हो गया है, घर जाकर क्या करेंगेI

इससे बतायेगे कि चिठ्ठी हमारे पास नहीं हैI

मैं कुछ समझा नहींI

अगर साथ चलेगा तो समझाऊंगा, वरना मैं अकेला जा रहा हूँI

तू भी न यार बेकार की बातें करता हैI कब चलना है?

स्कूल के बाद I उसने मुस्कुराते हुए जवाब दियाI

मालिनी अपने बनाए केक को डिब्बे में पैक कर रहीं हैI राजीव अपना ऑफिस का काम कर रहा है, तभी उसका फ़ोन बजता हैI स्क्रीन पर नंदनी का नंबर देखते हुए वह चुपचाप उठता है, फ़िर बॉलकनी में जाकर उसका फ़ोन सुनने लग जाता हैंI

हेल्लो, हाँ बोलो,

मुझे आज शिव मंदिर के पीछे वाली गली में मिलोI

मैं आज बिजी हूँI

ठीक है, मैं घर आ जाती हूँI

अरे ! रुको, कैसी बातें कर रहीं होI मैं 'आ रहा हूँ I

कब आना है?

शाम के सात बजेI

ठीक है, आता हूँ I बड़ी अजीब औरत हैI उसने परेशान होते हुए कहाI

शाम को मालिनी को अपने मॉल में देखकर अभिमन्यु ने उसका हालचाल पूछाI उसने जवाब देते हुए उसके बारे में पूछाI

उसने भी पिछले दिनों हुई सभी घटनाओं के बारे में बता दियाI

यह तो बहुत बुरा हुआ, अभिमन्यु जीI मगर यह भी अच्छा है कि किसी को कुछ नहीं हुआI

आप सही कह रही हैI मालिनी उससे अपने बिज़नेस के बारे में काफ़ी देर तक बातें करती रहींI

शाम को राजीव मफलर से अपना मुँह छिपाये, शिव मंदिर की गली में पहुँच गयाI गली में दो चार पुराने घर है और एक गोशाला बनी हुई हुई I उसने एक कोना ढूंढा और नंदनी का इंतज़ार करने लगाI थोड़ी देर इंतज़ार करने के बाद नंदनी आती दिखाई दीI उसके पास पहुँचकर उसने राजीव का हाथ खींचा और उसे पास बने एक छोटे से घर में ले गईI

यह क्या कर रही हो?

उसने उसका हाथ छुड़ाते हुए कहाI

हम यहाँ मिल सकते हैं, यह मकान खाली पड़ा हैI उसने उसके गाल चूमने चाहेI

उसने उसे पीछे करते हुए कहा,रहने दोI

मतलब ??? मुझे अब तुमसे नहीं 'मिलनाI

क्यों ? तुम्हारी बीवी आ गई है, इसलिए ?

तुम कुछ भी सोच सकती हो, जो हुआ सो हुआI अब तुम अपने रास्ते जाओI

तुम बड़े ही हरामखोर निकले, अपनी आग ठंडी कर ली तो साइड कर दियाI

तुमने भी अपना मतलब साधा, ख़ूब पैसे लिए मुझसेI अब सब खत्म I राजीव उसे आँखे दिखाता हुआ चला गया और वह उसे हैरानी से देखती रह गईI

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