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Tanmay - In search of his Mother - 45

45

चोरी

 

कई दिनों बाद अभिषेक को कामयाबी मिल ही गईI उसने अभिमन्यु के घर में घुसने का रास्ता ढूंढ ही लियाI वह दोपहर बारह बजे के करीब सोसाइटी में दाखिल हुआ और लिफ्ट से सीधे उसके फ्लोर पर पहुँच गयाI गॉर्ड को उसने बताया कि वह राजीव के घर बुक्स देने जा रहा हैI अभिमन्यु के घर का दरवाजा पहले से ही खुला हुआ था, उसने बिना देर किए घर का एक-एक कोना देख लियाI मगर उसे उसकी चिठ्ठी नहीं मिलीI वह गुस्से में पैर पटकते हुए वहां से निकल गयाI उसे सोसाइटी से बाहर निकलते हुए राजीव ने भी देख लिया, वह वही पार्क में बैठा सिगरेट सुलगा रहा थाI वह दौड़कर उसके पीछे गया, मगर तब तक वह सोसाइटी से बाहर जा चुका था I उसने गार्ड से पूछा, यह आदमी मिस्टर अभिमन्यु के यहाँ आया था?

क्या साहब यह तो आपके घर बुक्स देने आया था?

क्या मेरे घर ??? यह निकला अभिमन्यु की बिल्डिंग से है, नाम मेरे घर का लगा रहा हैI यह आदमी कुछ ज़्यादा ही खतरनाक हैI उसने सिगरेट को पैरो के नीचे मसल दियाI वह कुछ सोचते हुए पैदल चलते, अभिषेक का पीछा करने लगाI वह अपनी गाड़ी के पास पहुँचा और किसी का इंतज़ार करने लगाI यह यहाँ पर किसका इंतज़ार कर रहा हैI राजीव ने थोड़ी दूर खड़ी दूसरी गाड़ी से उसे छिपकर देखना शुरू कियाI कुछ मिनटों के इंतज़ार के बाद एक औरत उसके पास आकर रुकी, उसने उसे कुछ पैसे पकड़ाएँ और कुछ समझाते हुए गाड़ी से निकल गयाI उस औरत की पीठ राजीव की तरफ है, जिसकी वजह से वह उसका चेहरा देख नहीं पा रहा हैI उसने उसे ध्यान से देखने की कोशिश की पर वह वहीं से आगे की ओर निकल गईI उसने बिना देर करे, उसका पीछा करना शुरू कियाI

वह औरत चलती जा रहीं है, राजीव जल्दी-जल्दी चलते हुए, उसके पास पहुँच गया और उसे आवाज लगाई,

ज़रा सुनिए ! उसने पीछे मुड़कर देखा तो राजीव हैरान हुए बिना नहीं रह सकाI

नंदनी तुम ?

हाँ, मैं, मेरे पीछे क्यों आ रहें हों ?

तुम इस आदमी को जानती हो ? यह तुम्हें पैसे क्यों दे रहा था?

इसे मेरी मदद की ज़रूरत थी, इसलिए पैसे दे रहा थाI

मैं समझा नहींI वह राजीव के पास आकर बोली,

इसे नैना जी के घर आना था, जब कोई न हो, मैंने दरवाजा खुला छोड़ दिया और इसके जाने के बाद, ताला लगाकर चाबी गार्ड को दे दीI उसने उत्साहित होकर बतायाI

तुम्हारा दिमाग ठीक है, तुम ऐसे कैसे इसकी बात मान सकती होंI यह कितना खतरनाक हो सकता हैI उसने उस पर चिल्लाते हुए कहाI

तुम क्यों इतना बिफर रहें हो? तुम जानते हो क्या, इसे?

जान-पहचान से क्या होता है, जो गलत है वो गलत हैI वह फ़िर दहाड़ाI

तुम मुझे मत समझाओ, मैं खुद समझदार हूँI अब मुझे देर हो रहीं हैI वह उसे झिड़कते हुए वहाँ से चली गईI

राजीव अपना सा मुँह लेकर उसे देखता रह गयाI

राघव ने भी अपने घर में ढूँढा, मगर वह अपने बेड के पास रखें, स्टडी टेबल की डेस्क देखना भूल गयाI फ़िर उसे याद आया तो वह स्टडी टेबल की तरफ़ बढ़ाI उसने पहला ड्रावर खोला, फ़िर दूसरा ड्रावर खोला, फिर तीसरा ड्रावर खोला तीनो ही ड्रावर में उसे किताबें मिली तो उसने चौथे ड्रावर को खोलने का ख़्याल छोड़ दियाI "मुझे लगता है कि वह चिठ्ठी तन्मय के घर ही होगीI अब तो मेरा फेवरट प्रोग्राम आने वाला हैI" वह टी.वी. चलाते हुए बोलाI

प्रिया ने आज रात अपने घर पर डिनर के लिए अभिमन्यु को बुलाया हैI वह चहकते हुए सारी तैयारी कर रहीं हैI अब यह सिर्फ मेरा घर है, अब मैं जो चाहू इसमें करो, कोई कुछ नहीं कह सकता I अब मैं 'और अभि साथ होंगेI उसने खुद को आईने में सवारते हुए कहाI तभी उसके मुलाज़िम ने आकर बताया कि अभिमन्यु आ चुका है, उसने उसे आदेश दिया, तुम उन्हें ड्रिंक सर्व करो, मैं अभी आती हूँI उसने एक बार फ़िर शीशे में खुद को निहारते हुए अपनी ड्रेस देखीI परफ्यूम लगाया और हॉल की तरफ जाने लगीI जब वह आई तो अभिमन्यु उसे देखता रह गयाI काले रंग की शार्ट वन पीस, कान और गले में डायमंड्स, चेहरे पर हल्का मेकअप I वह बहुत खूबसूरत लग रही हैI उसने उसे सफ़ेद फूलो का गुलदस्ता पकड़ाते हुए कहा,

यू लुक लवली टुडेI

थैंक्स कहते हुए वह उसके साथ बैठ गईI

तुम कुछ लेते क्यों नहीं? उसने उसे ड्रिंक पकड़ाते हुए कहाI अब दोनों ड्रिंक पीने लगेI

खुश लग रही होI

सिर्फ खुश ?

नहीं खूबसूरत भीI उसने मुस्कुराते हुए ज़वाब दियाI

हाँ, ख़ुश तो हूँ और खूबसूरत तो मैं भी थी. मगर तुमने हमेशा नैना को ही देखाI

प्रिया ! प्लीज, मैं आज उस मूड में नहीं आयाI

मैं भी कुछ अलग मूड में हूँI उसने ड्रिंक पीते हुए म्यूजिक चला दियाI फ़िर अभिमन्यु का हाथ खींचकर उसके साथ डांस करने लगीI

राघव लेटकर टी.वी. देख रहा हैI तभी उसके दादाजी आते है, उसे ऐसे लेटा देखकर चिल्लाने लगते हैं," रघु चश्मा लग गया तो टीम से निकाल दिए जाओगेI अब टी.वी. बंद करो और सो जाओI" उसने उनकी बात मानते हुए टीवी बंद किया और बिस्तर पर लेट गयाI गुडनाईट कहते हुए दादाजी वहां से जाने लगेI

गुडनाईट ! दद्दूI तभी दादाजी रुकते हुए बोले ,

मैंने निर्मला को एक लिफाफा तुम्हारे कमरे में रखने के लिए कहा था, वो मिल गयाI वह चौंक गयाI

कैसा लिफाफा?

छोटा सा लिफाफा था, शायद कोई चिठ्ठी थीं,अंदरI

कहाँ रखा है, उसने ?

तुम्हारे कमरे में ही रखने के लिए कहा थाI तभी दादीजी की आवाज सुनकर दादाजी उसे सोने का बोलकर वहाँ से चले गएI मगर राघव की तो नींद ही उड़ चुकी है, वह फ़िर से अपने कमरे में उसे ढूंढने लगाI इस बार उसने चौथा ड्रावर भी खोलकर देखा, मगर इसमें कुछ नहीं मिलाI अब बाहर आकर, अपने दादाजी से पूछने के लिए उनके कमरे की ओर जाने लगाI

दोनों पति- पत्नी आपस में बतिया रहें हैI

आपको पता है, आज साथ वाले फ्लैट की काशी बता रहीं थी कि हमारी कामवाली ताला लगाकर नहीं गयीI सिर्फ ऐसे ही दरवाजा बंद करके चली गईI

कुछ चोरी तो नहीं हो गया?

नहीं कुछ गया तो नहींI

तुम्हें कीर्तन में जाने से पहले सफाई करवाकर ख़ुद लॉक करके जाना चाहिए थाI आजकल कोई कितने भी समय से काम कर रहा हो, मगर जमाना बहुत खराब हैI

मैं कल उससे बात करोगीI यह कोई बात हुई, पहले तो कभी ऐसे नहीं कियाI तभी रघु को देखकर बोले, तुम सोते क्यों नहीं हो, कल स्कूल नहीं जानाI

दादाजी वो चिठ्ठी तो नहीं मिल रहीI

चोरी हो गईI उन्होंने हँसते हुए कहाI

मज़ाक मत करिये, बताए नI

आज लक्ष्मी घर पर ताला लगाना भूल गई थीं, हो सकता है, पीछे से चोर आकर तुम्हारी चिठ्ठी ले गए होंगेI

सही में दादी?

क्यों बच्चे के साथ मसखरी कर रहें हैंI चोर इतना गधा लगता है क्या, जो यह काम करेगाI बेटा, कुछ चोरी नहीं हुआ परेशां मत होI वैसे उस लिफाफे में क्या था?

आप भी न, स्कूल का कोई कागज़ होगाI मगर राघव उन दोनों से बेखबर कुछ सोचते हुए बोला, दादी चोरी तो हुई हैI दोनों राघव का मुँह ताकने लगे I

 

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