Tanmay - In search of his Mother - 34 Swati द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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Tanmay - In search of his Mother - 34

34

प्यार या पागलपन

 

सुबह जब राजीव उठा तो नंदनी नाश्ता बनाकर  जा चुकी थीं। उसने आँख मलते  हुए अंगड़ाई ली और बाथरूम की तरफ  जाने लगा, तभी उसका फ़ोन बज  गया। उसने देखा तो मालिनी का फ़ोन आ रहा है। उसने मुँह बनाते हुए फ़ोन उठाया। मालिनी ने उसकी आवाज़  सुनकर चिल्लाते हुए कहा,

 

कहाँ थें तुम, कब से कॉल कर रहीं हूँ।

 

जल्दी सो गया था। कल ज़्यादा थका हुआ था। वह रात के बारे में सोचकर मुस्कुराने लगा। तुम बताओ, तुमने कॉल क्यों किया?

 

तुम्हें  कॉल करने के लिए कोई वजह की जरूरत  है, क्या?

 

नहीं मैंने तो ऐसे ही पूछा, उसने झेंपते हुए ज़वाब  दिया।

 

कुछ केक और बिस्किट्स की सप्लाई अभिमन्यु जी के मॉल में करनी है और   एक नया आर्डर मिला है, उसे भी भेजना है।

 

तुम वहाँ बैठे-बैठे यह  काम कैसे कर रहीं हो?

 

शायद तुम  भूल गए हो कि मेरे अंडर दो लोग और भी काम कर रहें हैं, जो वहीं  पर है।

 

तो उनसे कह दो।

 

उन्हें कहीं और भी जाना है। यह  नया आर्डर काफ़ी ज़रूरी है, इसलिए याद से  दे आना। उसने उसे आदेश देते हुए कहा।। पहले तो उसने सोचा कि  साफ़  मना कर दें। मगर उसे लगा कि  कहीं यह भड़क गई  और वापिस आ गई  तो  नंदनी चली जाएगी। इसलिए उसने अपनी आवाज़  में  नरमी  लाते हुए कहा,

 

ठीक है, जाता  हूँ। तुम अपना ख़्याल रखो। मालिनी को भी सुनकर तसल्ली हुई।

 

हाँ, वहीं रख रहीं  हूँ, चोट ठीक होते ही वापिस आती हूँ। खाना खुद बना रहें हो?

 

राजीव ने हिचकिचाते हुए कहा, हाँ सब सीख गया हूँ।

 

चलो, मैं रखती हूँ, ध्यान रखना अपना । और आर्डर याद से दे आना।

 

आज शनिवार होने की वजह से छुट्टी है। तन्मय उदास अपने कमरे में  बैठा हुआ, नैना का फ़ोन देखते हुए मायूसी से कह रहा है,

 

"मम्मी आप कहाँ हो? जल्दी से घर आ जाओ।" तभी उसकी आँखों से आँसू की  बूँदे गिरने लगी। उसने फ़िर फ़ोन के अंदर की फोटो चेक की  और कॉन्टेक्ट्स नंबर देखें, मगर उसे  सारे नंबर जाने पहचाने लगें। उसने फ़ोन को एकतरफ़ा रख  दिया और बेड  पर लेटकर सीलिंग की ओर  देखने लगा। तभी उसे राघव का फ़ोन आया और वह अपना क्रिकेट बैट लेकर बाहर निकल गया।

 

राजीव के घर पर मालिनी को मिला आर्डर पहुँच चुका है। दूसरी बिल्डिंग में  रहने वाली शालिनी और शीला ही उसके नेतृत्व में काम करती है। आज राजीव की ऑफिस की छुट्टी है।  वह नंदनी के लिए  चाभी, पड़ोस में देकर गया है। सोसाइटी से निकलते वक्त उसे तन्मय और राघव मिल गए। उसने अपनी  गाड़ी से ही उसे बुलाते हुए  कहा, 

 

तन्मय, मैं छोड़ दो तुम्हें ?

 

नहीं, अंकल हम चले जायेगे, पास में  ही है।

 

राजीव ने गाड़ी अभिमन्यु के मॉल की तरफ घुमा दी। मॉल  में  अभिमन्यु ने उसका अच्छे से स्वागत किया और उसका हालचाल पूछते हुए कहा,

 

आपने क्यों तकलीफ़ की ? मैं किसी को भेज देता।

 

इस बहाने मिलना भी हो गया।

 

सब ठीक है? आपने नया मैनेजर रख लिया है? उसने एक लड़के को अविनाश की जगह बैठे देखा तो पूछा,

 

अभिमन्यु ने लम्बी साँस छोड़ते हुए उसे बैठने के लिए कहा और पिछले दिनों हुई सारी घटनाएँ  उसे बता दी। उसे अपने कानो  पर यकीन नहीं हुआ। उसने  चिंतित होते  हुए कहा,

 

मिस्टर सिंह, आज के टाइम मैं आप किसी पर भरोसा नहीं कर सकते।

 

आप सही कह रहें है। मगर क्या करें, काम भी तो करना है। रिस्क तो लेना  ही पड़ता और समय   वैसे ही मेरी परीक्षा ले रहा है।

 

मैं समझ सकता हूँ पर मुझे लगता है,   नौकरी करना ज़्यादा  सुरक्षित है।

 

अभिमन्यु ने मुस्कुराते हुए कहा, बिल्कुल, आप सेफ है,  घबराए  नहीं।

 

अरे ! मैं तो ऐसे ही कह रहा था। अच्छा ! मैं चलता हूँ। मुझे आगे भी जाना है। उसने उससे विदा लीं और दूसरा आर्डर  देने के लिए वहाँ से निकल पड़ा। करीब  आधे घंटे बाद, वह एक जानी -पहचानी जगह पर आ गया। उसने चारों तरफ देखा तो उसे ध्यान आया कि वह यहाँ पहले भी आ चुका है। उसे याद आया कि वह नैना  को ढूँढते हुए यहाँ आया था। उसने दोबारा मालिनी का दिया अड्रेस देखा, जिसमे मकान नंबर नहीं लिखा  था। उसने मालिनी को कॉल करके पूछा तो  वह  मकान नंबर सुनकर  हैरान हो गया । वह धीमे कदमों से अभिषेक कपूर के घर के सामने पहुँच गया।

 

प्रिया अपने एन.जी.ओ. में  बैठी कुछ कागज़ों  को गौर से देख रहीं है। तभी उसे प्रतीक का फ़ोन आया तो उसने उसे झट से उठाते हुए कहा,

 

हाँ, बोलो।

 

मैडम मिस्टर जतिन तो सूटकेस लिए कहीं जा रहें है।

 

कहाँ?

 

मैं उनकी गाड़ी का ही पीछा कर रहा हूँ।

 

गुड करते रहो, और मुझे बताओ कि वह कहाँ जा रहा है। उसने फ़िर जतिन को जानबूझकर कॉल करते हुए उसे घर आने के बारे में  पूछा तो उसने बताया कि  वह  तो  किसी ऑफिस के काम से  पुणे जा रहा है। उसन फ़ोन रख  दिया। अभी वह जतिन के बारे में  ही सोच रहीं थीं कि उसे फ़िर प्रतीक का फोन आया  और उसने उसे, उसके  मुंबई जाने के बारे में बताया । उसने बात  आगे बढ़ाते हुए पूछा,

 

तुम्हे कैसे पता चला?

 

एयरपोर्ट अथॉरिटी  से पता किया।

 

ठीक है, तुम भी उसके पीछे जाओ।

 

पर मेम ?

 

हाँ-हाँ, पैसे की फ़िक्र मत करो। बस जो कहाँ गया है, वो करो। उसने फ़ोन रखने के बाद अपने मुँह पर हाथ रखा और गहरी साँस लेते हुए बोली,

 

मुझे बेवकूफ समझता है। इसे पता नहीं कि प्रिया मेहरा क्या शख्सियत है।

 

राजीव को गार्ड ने अंदर भेज दिया। थैंक गॉड, आज कोई दूसरा गॉर्ड है, वरना यह तो मुझे पहचान ही जाता। उसे एक मुलाजिम ने सोफे पर बैठने के लिए कहा और वह खुद अभिषेक को बुलाने के लिए चला गया। वह उसका इंतज़ार करते हुए घर के हर कमरे में  देखने लगा, तभी उसकी नज़र एक कमरे पर  गई, जो बंद पड़ा है , पहले उसने कुछ सोचा फिर  सहसा उसके कदम उस कमरे की तरफ़ बढ़  गए। उसने  धीरे से दरवाजा खोला तो वह भोचक्का रह गया। हर तरफ नैना की ही तस्वीरें थीं और एक तस्वीर में  नैना और अभिषेक खड़े मुस्कुरा रहें हैं, उस तस्वीर को ख़ास लव वाले  फ्रेम में कैद किया हुआ है।