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फूलों की ख़ुशबू

1.
मिला दिल, मिल के टूटा जा रहा है
नसीबा बन के फूटा जा रहा है..

दवा-ए-दर्द-ए-दिल मिलनी थी जिससे
वही अब हम से रूठा जा रहा है

अंधेरा हर तरफ़, तूफ़ान भारी
और उनका हाथ छूटा जा रहा है

दुहाई अहल-ए-मंज़िल की, दुहाई
मुसाफ़िर कोई लुटा जा रहा है

2.
ना किसी का दिल चाहिए, ना किसी की जान चाहिए,
समझ सके जो दिल का हाल बस वो इंसान चाहिए

3.
सच्ची मोहब्बत को, कब मुकाम मिला
न मीरा को मोहन मिला, न राधा को श्याम मिला

4.
भुला के मुझको अगर तुम भी हो सलामत;
तो भुला के तुझको संभलना मुझे भी आता है;
नहीं है मेरी फितरत में ये आदत वरना;
तेरी तरह बदलना मुझे भी आता है।

5.
एक साथी ऐसा रखो जिसके आगे रो सको
एक साथी ऐसा हो,जो दर्द खींच सके चेहरे से
कोई भी साथ नहीं देता सिवाय अपने साये के
फिर भी ऐसा कोई हो जो दर्द पहचान सके...

6.
कुछ नशा तिरंगे की आन का है,
कुछ नशा मातृभूमि की शान का है,
हम लहरायेंगे हर जगह ये तिरंगा,
नशा ये हिन्दुस्तां के सम्मान का है.

7.
अब वक़्त नही मिलता ये बहाना अच्छा है,
दिल फुरसत के पलों में लगाना अच्छा है

समझ मैं भी रहा हूं तेरी ये मासूम हरकतें,
लग गैरों के गले मुझे यूँ जलाना अच्छा है

सबब तेरी खामोशी का खूब समझते हैं हम
चुप रहकर रिश्तों को आजमाना अच्छा है

दूरियाँ साफ दिखने लगी हैं अब दरमियां
बातें इस कदर इश्क में छुपाना अच्छा है

कभी वजह ढूंढी जाती थी मुझे हँसाने की
आज यूँ बेवजह हमें रुलाना अच्छा है

8.
मैं कही गुम हो गयी हू कि मुझे तलाशने की जरुरत है
जैसे मे कहीं ढल गयी हू मुझे थोड़ा तराशने की जरुरत है

मेरा वजुद आज भी है, बस थोड़ा खुद को निखारने की जरुरत है
मै भी लाखो में एक हू बस मुझे पहचानने की जरुरत है

रह गयी हू यहीं कही दबी सी कि थोड़ा ऊपर उठने की जरुरत है
हाँ हूं में यही पर बस एक बार आवाज देने की जरुरत है

10.
दिल की हर यादो में, मै सवारूँ तुझे,
तू दिखे तो इन आँखो में उतारू तुझे,
तेरे नाम को जुबा पर ऐसे सजाऊ
सो जाऊ तो ख्वाबो मे बस पुकारू तुझे

11.
मत पूछिए क्यों पाँव में रफ्तार नहीं है
यह कारवाँ मंज़िल का तलबग़ार नहीं है

जेबों में नहीं, सिर्फ़ गरेबान में झाँको
यह दर्द का दरबार है बाज़ार नहीं है

सुर्खी में छपी है, पढ़ो मीनार की लागत
फुटपाथ की हालत से सरोकार नहीं है

जो आदमी की साफ़-सही शक्ल दिखा दे
वो आईना माहौल को दरकार नहीं है

12.
करीब आने की ख्वाहिशें तो बहुत थी मगर,
करीब आकर पता चला मोहब्ब्त फासलों में है

13.
तुम्हें कभी पूरा लिखूँ कभी अधूरा
लिखूँ मैं रातों में बैठकर तुम्हें सवेरा' लिखूँ..
मैं जब भी लिखूँ बस इतना लिखूँ
मुझे 'तेरा' और तुझे 'मेरा' लिखूं

14.
अब ना शिक़वा ना गिला" ना कोई मलाल रहा
सितम उनके भी, बेमिसाल रहे सब्र अपना भी कमाल रहा

15.
लोगो के जीने का सिर्फ इतना ही कायदा देखा है
लहजे बदल लिए सबने जिसने जहां फायदा देखा है

16.
नज़र ने नज़र से मुलाक़ात कर ली
रहे दोनों खामोश पर बात करली
मोहब्बत की फिजा को जब खुश पाया
इन आंखों ने रो - रो के बरसात कर ली

17.
बहुत सादगी से हो रहे हैं गुम
तुम्हारे वादे, तुम्हारे रास्ते, और तुम

18.
आज कुछ कमी है तेरे बगैर ना रंग है ना रोशनी है तेरे बगैर,
वक्त अपनी रफ्तार से चल रहा है बस धड़कन सी थमी है तेरे बगैर

19.
शिकवा करूं तुमसे या कोई गिला करूं
रहना तो चाहूं दूर तुमसे पर इस दिल का क्या करूं?

20.
बड़ा दिलकश है हर मंजर मगर अच्छा नहीं लगता
तुम्हारे बिन ना जाने क्यों सफ़र अच्छा नहीं लगता
जमाने भर की सारी नेमते मौजूद है मगर
अगर तुम ना हो तो कुछ भी अच्छा नहीं लगता


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