साथिया - 43 डॉ. शैलजा श्रीवास्तव द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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साथिया - 43





"जी आपने बिल्कुल ठीक कहा और मैं बिल्कुल अपनी मान्यताओं का पक्षधर हूं..!! इन मान्यताओं को मानता हूँ और इनका पूरा सम्मान करता हूं। जो आपके विचार है वही मेरे विचार है। मैं भी समाज के बाहर विवाह संबंध को मान्यता नहीं देता।" अवतार सिंह ने कहा।



"आपकी बेटी पढ़ी-लिखी समझदार है...!! डॉक्टर बनने वाली है पर उसके योग्य मुझे मेरे हिसाब से हमारे समाज में कोई लड़का नहीं है निशांत के अलावा। बस यही सोचकर निशांत का रिश्ता लेकर आए हैं हम नेहा के लिए।" गजेंद्र ठाकुर ने कहा तो एक पल को अवतार सोच में डूब गए क्योंकि नेहा एमबीबीएस कर चुकी थी तो वही निशांत ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं था।


उन्हें सोच में डूबा देख कर गजेंद्र सिंह आगे बोले।

" हाँ मैं जानता हूं कि नेहा डॉक्टर बन चुकी है और आपने उसके लिए कुछ अच्छा सोचा होगा। पर आप एक बात मत भूलिए कि हमारे यहां पढ़ाई लिखाई की उतनी कीमत नहीं है जितनी की जमीन जायदाद की। और मेरे बाद हमारी पूरी धरोहर निशांत को ही संभालनी है। मेरा इकलौता बेटा है वह और मेरा जो कुछ भी है वह सब कुछ उसी का है। उस हिसाब से अगर देखा जाए तो नेहा के योग्य आपको इस गांव में तो छोड़ो आसपास के गांव में कोई भी नहीं मिलेगा। एक निशांत ही है जो आपकी बेटी के योग्य बैठता है।" गजेंद्र सिंह ने कहा तो अवतार सिंह कुछ पल सोचते रहे और फिर उठ खड़े हुए।


"जी आपने बिल्कुल सही कहा और मुझे यह रिश्ता मंजूर है...!! और रही बात पढ़ाई लिखाई की तो वह तो नेहा की जिद में आकर मैंने उसे पढ़ाई करने बाहर भेज पर विवाह तो उसका गांव की मान्यताओं के अनुसार और हमारे समाज में ही होगा। और उसके योग्य वाकई कोई नहीं हमारे समाज मे। निशांत भले योग्यता उसके बराबर नही रखता पर सामाजिक प्रतिष्ठा और आर्थिक स्तर में हम बराबर है। बाकी बस आपसे इतनी विनती है कि अब लड़की पढ़ लिख ली है तो उसे नौकरी करने की या अपना अस्पताल खोलने की इजाजत दे दीजिएगा।" अवतार सिंह ने कहा।

"बिल्कुल हमारी खुद की बच्ची है हमको तो उसके लिए अस्पताल खुलवा देंगे...!! यही गांव में रहेगी और अपना अस्पताल चलायेगी।" गजेंद्र सिंह बोले और उसी के साथ दोनों लोग गले मिल लिए और नेहा का विवाह बिना उससे बात किए बिना उससे पूछे गजेंद्र सिंह और अवतार सिंह ने निशांत के साथ तय कर दिया।


"ठीक है तो फिर 15 दिन बाद अच्छा मुहूर्त है...!! मैं तो कहता हूं नेहा को बुला लीजिए और इसी मुहूर्त में उसका ब्याह करवा देते हैं।" गजेंद्र सिंह ने कहा।

"हां बिल्कुल मैं नेहा को खबर कर देता हूं और उसे बुला लेता हूं!" अवतार सिंह बोले।

" एक बात कहना चाहूंगा अवतार जी। बेहतर होगा कि अगर आप अभी नेहा को विवाह तय होने के बारे में ना बताएं । जवान खून है । बाहर रह रही है भगवान ना करें कि अगर उसके मन में कुछ और हुआ तो ?" गजेंद्र सिंह बोले तो अवतार के चेहरे पर तनाव आ गया।

"मेरी बेटी मेरा अभिमान है...!! आप इस तरीके से उसके बारे में नहीं बोल सकते।" अवतार सिंह बोले।

"बिल्कुल मुझे भी नेहा पर पूरा विश्वास है पर अब जब से नियति का कांड हुआ है तब से आप मेरा किसी पर भी विश्वास करने का दिल नहीं करता..! मैं तो सिर्फ इसलिए कह रहा था कि आपने बता दिया और अगर नेहा इस रिश्ते के लिए राजी नहीं होती है तो हो सकता है वह यहाँ वापस ही ना आए और फिर आपकी और हमारी बहुत ही बेज्जती होगी। एक बार वह यहां आ जाए उसके बाद उसे बता दीजिएगा और फिर समझा बुझा लीजिएगा। बाकी उसे कैसे समझाना है कैसे मनाना है आप बेहतर जानते होंगे। मैंने तो बस एक दोस्त होने के नाते आपको सलाह दी ताकि जो हमारे घर हुआ आपके घर न हो बाकी आगे हम समधी बनने वाले हैं। आपकी इज्जत मेरी इज्जत है और आपकी बेइज्जती मेरी बेइज्जती। इसके लिए सिर्फ आपको सलाह दी थी बाकी जैसा आपको ठीक लगे।" गजेंद्र सिंह ने कहा।

"आप शादी की तैयारी कीजिए। शादी उसी तय मुहूर्त में होगी जो आपने बताया है बाकी नेहा को मैं बुला लूंगा और उसे कब क्या बताना है वह मैं अपने तरीके से देख लूंगा।" अवतार सिंह ने कहा।

"जी बिल्कुल आप देख लीजिएगा बस इस बात का ध्यान रखिएगा कि अब नेहा के साथ निशांत का नाम जुड़ गया है। नेहा की बदनामी मतलब निशांत की बदनामी और इस गांव की बदनामी। कुछ भी ऊँच नीचे नहीं होनी चाहिए क्योंकि मैं तो दोस्ती का लिहाज कर चुप रह जाऊंगा पर निशु गर्म खून है और इन सब बातों में मुझसे भी आगे" गजेंद्र सिंह ने दवे छुपे शब्दों में अवतार सिंह को समझाने के साथ-साथ धमकी भी दे दी थी।

"आप निश्चिंत रहिए।" अवतार सिंह बोले तो गजेंद्र फिर वहां से चले गए..!!

तुरंत अवतार सिंह की पत्नी निक ल कर बाहर आई।


" आप इस तरीके से कैसे रिश्ता कर सकते हैं? एक बार आपको नेहा से पूछना चाहिए था!" अवतार सिंह की पत्नी बोली।

"अभी हम इतने ज्यादा आधुनिक नहीं हुए हैं कि अब बेटियों से पूछ का निर्णय लेंगे। सिर्फ उसकी जिद थी इसलिए उसे पढ़ने के लिए बाहर भेज दिया पर इसका मतलब यह नहीं है कि अब विवाह का निर्णय भी वह खुद करेंगी। मत भूलो इस गांव में अभी भी वही नियम चलता है। और हमारे बच्चों के भाग्यविधाता हम खुद हैं ना कि वह लोग। और उनके बारे में कोई भी निर्णय हम लोग करेंगे ना कि बच्चे खुद। और इसीलिए मैंने निर्णय कर लिया है और मुझे नहीं लगता कि निशांत से बेहतर लड़का हमें नेहा के लिए मिलेगा। क्योंकि भले नेहा पढ़ी लिखी है पर हमारे समाज में पढ़ाई लिखाई से ज्यादा आर्थिक स्थिति और संपन्नता महत्व रखती है। और निशांत के पास जितनी जमीन जायदाद और संपन्नता है उतनी इस गांव में तो छोड़ो आसपास के गांव में भी किसी के पास नहीं है। तो निशांत से बेहतर लड़का उसके लिए कोई हो ही नहीं सकता।" अवतार बोले।

"पर अगर नेहा को इनकार हुआ तो?" अवतार सिंह की पत्नी बोली तो अवतार सिंह की आंखें लाल हो गई।

"अगर इनकार हुआ तो उसे समझाने की जिम्मेदारी तुम्हारी है....!! खून की नदियाँ बह जायेगी अगर इंकार हुआ तो। भूल मत जाया करो कि कुछ महीनों पहले नियति के साथ इस गांव में क्या हुआ?

अगर गजेंद्र सिंह की बेटी के साथ इतना सब कुछ हो सकता है तो हमारी बेटी के साथ भी हो सकता है क्योंकि गांव के नियम किसी के लिए नहीं बदलते फिर चाहे वह बेटी गजेंद्र सिंह की हो या अवतार सिंह की। यहां का निर्णय सिर्फ और सिर्फ पंच और पंचायत करती है ना कि बच्चे।" अवतार सिंह बोले और घर से बाहर निकल गए,

उनकी पत्नी का दिल बैठा जा रहा था। ना जाने क्यों उन्हें ऐसा लग रहा था कि एक बार नेहा से पूछ कर ही रिश्ते की बात करनी चाहिए थी पर उनकी सुनता कौन इसलिए उन्होंने भी सब कुछ किस्मत के हाथ छोड़ दिया। बस मन ही मन प्रार्थना कर रही थी कि नेहा इस रिश्ते के लिए तैयार हो जाए और कोई भी नाटक होने से या अनहोनी होने से बच जाए।

क्रमश:

डॉ. शैलजा श्रीवास्तव