साथिया - 41 डॉ. शैलजा श्रीवास्तव द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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साथिया - 41

नील अक्षत के रूम मे आया। तो देखा अक्षत समान पैक कर रह है।

तो हा गईं तैयारी? नील बेड पर बैठते हुए कहा।

" हाँ बस फाइनल पैकिंग कर रहा हूँ कल जाना है मुझे ट्रेनिंग पर..!" अक्षत बोला।

" नील ने कुछ नहीं कहा उसके दिमाग मे मनु और उसकी बातें घूम रही थी।

" क्या हुआ कहां खोये हुए हो?" अक्षत ने नील के कंधे पर हाथ रखकर कहा।

नील ने उसका हाथ पकड़ा और उसे अपने पास बैठा लिया।।

"एक बात बता अक्षत। तू मुझे सालों से जानता है। हम दोस्त है और एक दूजे को बेहतर समझते है।" नील बोला


" हँ तो हुआ क्या?" अक्षत बोला।

"क्या तुझे भी ऐसा लगता है कि मैं इस लायक ही नहीं हूं कि कोई लड़की मुझे प्यार करें? या कोई मुझसे शादी करना चाहें?" नील ने कहा तो अक्षत ने आंखें सिकोड़ कर उसे देखा।

"क्या हो गया है तुझे और यह अचानक से ऐसी बातें क्यों कर रहा है?" अक्षत बोला।

" तु बता तो क्या मैं इतना बुरा हुँ ?" नील ने कहा।

"यह क्या हो गया है तुझे? क्यों ऐसी अजीब सी बात है कर रहा है? " अक्षत ने कहा।

"पता नहीं पर ऐसा लगता है जैसे मुझ में ही कोई कमी होगी..!! तभी वह मुझसे इस तरीके की नफरत करती है। मेरा चेहरा भी नहीं देखना चाहती शादी तो दूर की बात है।
पता है उसने क्या कहा अक्षत? " नील कहा।


"किसने क्या कहा ?" अक्षत बोला।।।

उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि नील क्या कह रहा है पर नील इस समय बहुत ही ज्यादा डिस्टर्ब था आज मानसी को देखकर उसे फिर से वही बात याद आ गई थी जो की मानसी ने रिया से कही थी।

"पता है उसने क्या कहा रिया से...?? उसने कहा कि अगर मैं इस दुनिया का आखिरी लड़का भी होऊंगा ना तब भी वह मुझसे शादी नहीं करेगी। उसे बिल्कुल भी पसंद नहीं है मेरे जैसे लड़के।" नील ने कहा और उसकी आंखों में हल्की सी नमी आ गई।


"क्या बात कर रहा है ?! किसने क्या कहा ? मुझे साफ-साफ बताएगा तू? या ऐसे ही पहेलियां बुझाता रहेगा?" अक्षत ने उसके चेहरे से हाथ लगाकर कहा तो नील उसके गले लग गया।


"कुछ नहीं यारा। बस सबकी अपनी अपनी किस्मत होती है। कोई बात नहीं जाने दे। मेरी किस्मत में शायद अधूरा प्यार ही है।

उसे ना चाहते हुए भी चाहने लगा और वह है कि ना जाने अपने मन में मेरे बारे में क्या-क्या सोचकर बैठी है।" नील बोला।


"शायद उसे कोई गलतफहमी हो गई हो...?? अब तुम पूरे टाइम रिया से चुपके रहते हो तो कोई भी तुम लोगों को देखेकर यही समझेगा कि तुम दोनों का बहुत ही गहरा रिश्ता है और शायद इसीलिए जिस लड़की की बात तुम कर रहे हो उसने तुम्हारे लिए ऐसा बोला हो। पर एक बार अपने दिल की बात उससे कह कर तो देखो शायद वह तुम्हें समझे।" अक्षत ने कहा।


"सोचा तो था कि उसे अपने दिल की बात बताऊंगा पर अब हिम्मत नहीं है...!! खैर तू जाने दे। तू बता तेरी और सांझ कैसी चल रही है?

सब सही चल रहा है ना तुम दोनों के बीच में ?" नील ने कहा।


" हाँ सब सही चल रहा है। थोड़ी सी परेशान है वह क्योंकि मैं इतने लंबे टाइम के लिए जा रहा हूं ट्रेनिंग के लिए। पर कोई बात नहीं मैंने उसे समझा दिया है कि आते ही उसके साथ शादी करूंगा। बस कुछ महीनो तक मेरा इंतजार करें वह।" अक्षत ने कहा।।

"चलो अच्छा है मैं बहुत खुश हूं तुम्हारे लिए ..!! फाइनली तुम और इशु तुम दोनों का प्यार पूरा हो जाएगा। बस तुम ट्रेनिंग से लोटो उसके बाद तुम्हारी और सांझ की शादी होगी। तो मुझे लगता है उसके बाद ईशान का रास्ता भी साफ हो जाएगा। वैसे भी बेचारा ना जाने कब से शालू को डेट कर रहा है पर तुम बड़े हो तो उसे शादी करने का मौका नहीं मिल रहा है।" नील ने हंसकर कहा


"तुम ठीक कह रहे हो मम्मी पापा से भी यही बात हुई..!! वह लोग भी यही चाहते हैं कि जैसे ही मेरी ट्रेनिंग से मैं वापस लौटूं मेरी और सांझ की इशू और शालू की शादी एक साथ करवा दें। हम लोग भी सेटल हो जाए तो उनका टेंशन खत्म हो। बस फिर मानसी रह जाएगी तो उसके बारे में भी वह लोग सोच रहे हैं। जल्दी ही कोई अच्छा सा लड़का देखकर उसका रिश्ता भी फाइनल कर देंगे।" अक्षत ने कहा।




"क्या मानसी की लाइफ में भी कोई है ? आई मीन क्या वह भी किसी को प्यार करती है ?" नील ने कहा।


"कभी-कभी उसकी बातों से लगता तो मुझे ऐसा था कि शायद उसके लिए दिल में किसी के लिए फीलिंग है..!! पर उसने आज तक कभी भी हम लोगों से कुछ भी नहीं कहा है तो इसका मतलब कि शायद मेरी गलतफहमी ही होगी मेरी। वैसे भी अगर उसके दिल में कुछ भी होता तो वह मुझे जरूर बता देती। हर बात शेयर करती है मुझे कुछ भी नहीं छुपाती तो इतनी बड़ी बात मुझसे नहीं छुपा सकती। इसीलिए मैं श्योर् हूँ की उसकी लाइफ में ऐसा कोई भी नहीं है। इसीलिए मम्मी और पापा की रिस्पांसिबिलिटी है कि वही अब उसके लिए लड़का देखेंगे।" अक्षत ने कहा।



"चलो अच्छा है सबको सबके हिस्से की खुशियां मिल जाए और चाहिए क्या जिंदगी में।।

बहुत खुश हूं तुम सबके लिए और हां पहुंच कर अपने दोस्त को भूल मत जाना। जब भी मौका मिले मुझे कॉल करते रहना और फिर जब यहां लौट कर आओगे फिर खूब मस्ती करेंगे हम सब।" निल ने कहा।

"हां बिल्कुल कैसे भूल सकता हूं तुम्हें । जरूर कॉल करूंगा बाकी तुम भी ध्यान रखना। और हां अभी भी तुमसे यही बात कह रहा हूं तो मुझे नहीं बताना चाहते कि कौन लड़की है तो कोई बात नहीं पर उसे तो अपने दिल की बात एक बार कह कर देखो। वैसे भी तुम्हारी बातों से यही लग रहा है कि वह तुमसे दूर जा रही है। ज्यादा से ज्यादा क्या होगा तुम्हारे प्रपोजल को मना कर देगी पर तुम्हारे मन में यह अफसोस तो नहीं रहेगा कि तुमने अपने दिल की बात नहीं कहीं।" अक्षत ने नील को समझाया।


"देखता हूं सोचता हूं और जो भी होगा तुझे बताऊंगा चल अब तू अपनी तैयारी कर ले मैं निकलता हूं। ऑफिस जाना है पापा के साथ।' नील बोला,

" अंकल का ऑफिस ज्वाइन कर लिया फाइनली..!" अक्षत बोला।

" हाँ ऑफिस ज्वाइन कर लिया क्योंकि पापा नहीं चाहते कि मै वकालत में ज्यादा टाइम बर्बाद करूं। ठीक है मैंने वकालत की थी इसलिए क्योंकि मैं बहुत बड़ा वकील बनना चाहता था या फिर तुम्हारी तरह जज। अब जज बन नहीं पाया तो अब वकालत करके भी क्या उखाड़ लूंगा। तो इससे अच्छा है पापा के साथ उनका बिजनेस ही ज्वाइन कर लेता हूं । पापा को भी सपोर्ट मिलेगा और मेरी भी लाइफ में स्टेबिलिटी आ जाएगी।" नील ने कहा,


"और निशि उसके क्या हाल-चाल है? उसका भी तो बीएचएमएस कंप्लीट हो गया है होगा? अब क्या कर रही है वह आजकल ?" अक्षत ने कहा।

"उसने गवर्नमेंट जॉब के लिए अप्लाई किया था और किस्मत वाली है उसको जॉब मिल गया है। तो बस यही एक प्राइमरी हेल्थ सेंटर पर उसकी ड्यूटी रहती है। रोज सुबह निकल जाती है वहां कुछ घंटे ड्यूटी करके आती है और शाम को फिर अपना पर्सनल क्लीनिक चलाती है । कुल मिलाकर उसकी लाइफ सेट है जैसा उसने सोचा था वैसा कर पा रही है।" नील बोला।


"बड़ी खुशी की बात है ...!! भगवान करे सब की लाइफ में सब कुछ ऐसे ही सही हो जाए और बस मैं जल्दी से वापस आ जाऊं अपनी सांझ के पास। न जाने क्यों बहुत ही टेंशन होती है मुझे सांझ को लेकर।" अक्षत ने कहा।


"तुम चिंता मत करो अगर कोई भी प्रॉब्लम हो तो मुझे कॉल कर देना..!! मैं खुद जाकर उसके हॉस्टल में सब कुछ देख लूंगा और अगर कोई बात होगी तो तुम्हें बता दूंगा। निश्चित होकर अपनी ट्रेनिंग के लिए जाओ। " नील न कहा और फिर अक्षत को गले लगाया और वहां से निकल गया।

क्रमश:

डॉ. शैलजा श्रीवास्तव