एक थी नचनिया - भाग(३९) Saroj Verma द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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एक थी नचनिया - भाग(३९)

इधर ये सब रामखिलावन और मोरमुकुट सिंह ने नहीं सोचा था कि जुझार सिंह ऐसा कुछ करेगा,इसलिए ऐसी बात उन सभी के दिमाग़ में नहीं आई और तीसरी रात को ही पानकुँवर कस्तूरी को अस्पताल के बगीचे में घुमाने ले आई और रुमाल में कुछ ऐसी दवा डालकर उसे सुँघा दी जिससे कि कस्तूरी बेहोश हो गई , बगीचे में ही जुझार सिंह के दो गुण्डे छुपे हुए बैठे थे और मौका देखकर वे गुण्डे कस्तूरी को एक बोरे में डालकर अस्पताल से बाहर ले गए ,साथ साथ पानकुँवर भी उनके साथ अस्पताल से बाहर चली गई और उधर खण्डहर मिल में जुझार सिंह के गुण्डो ने कस्तूरी और चमनलाल खुराना को बाँध दिया और उन दोनों के मुँह पर पट्टी भी बाँध दी जिससे वे दोनों मदद के लिए चिल्ला ना सकें.....
और काम पूरा होने के बाद जब पानकुँवर ,पानकुँवर की माँ इमरती देवी और दोनों गुण्डे जुझार सिंह के पास पहुँचे तो जुझार सिंह ने उन सभी से कहा....
"काम पूरा हो गया"
"हाँ! सरकार! वो तो होना ही था,उसमें इमरती देवी का हाथ जो लगा था",इमरती देवी बोली...
"इमरती! तुमसे यही उम्मीद थी",जुझार सिंह बोला....
"सरकार! आपको भला मैंने कभी धोखा दिया है जो अब देती,अपनी जवानी के दिन जरा याद कीजिए,जब आपको कोई छोकरी पसंद आ जाती थी तो उसे पकड़कर मेरी ही कोठरी में तो लाया जाता था"इमरती बोली...
"तुम्हें उस काम के मुँहमाँगे दाम भी तो मिलते थे",जुझार सिंह बोला....
"वो तो है हुजूर! ना जाने कितने राज दफन कर रखे हैं मैने अपने दिल में,ना जाने कितनी लड़कियों की जिन्दगी बर्बाद की है आपने,लेकिन मजाल है जो कभी इस जुबान पर आपका एक भी राज आया हो",इमरती बोली...
"और आना भी नहीं चाहिए ,नहीं तो तुम मुझे अच्छी तरह से जानती हो",जुझार सिंह बोला....
"नहीं आएगा हुजूर! आपका कोई भी राज बाहर नहीं आएगा",इमरती बोली....
"तो अब यहाँ से जाओ और साथ में अपनी बेटी को भी ले जाओ,अब तुम्हारा काम पूरा हो चुका है,अब मुझे तुम्हारी जरूरत नहीं है",जुझार सिंह बोला....
"ठीक है हुजूर",इमरती बोली...
इसके बाद इमरती देवी अपनी बेटी पानकुँवर के साथ वापस चली गई और फिर जुझार सिंह ने मोरमुकुट सिंह को अस्पताल के टेलीफोन पर फोन किया और उससे बोला....
"विचित्रवीर रायजादा बोल रहे हैं न आप! मैं जुझार सिंह ,आपसे कुछ जरूरी बात करनी थी"
"लेकिन इतनी रात गए आपको कौन सा जरूरी काम आन पड़ा,जो आपने मुझे इस वक्त टेलीफोन किया",मोरमुकुट सिंह ने पूछा....
"जी! बात बहुत जरूरी थी,सोचा आपको बता दूँ",जुझार सिंह बोला....
"जी! कहिए",मोरमुकुट सिंह बोला....
"मैं ये कह रहा था कि थोड़ी देर पहले मैंने कस्तूरी को अस्पताल से उठवा लिया है और अगर उसकी खैरियत चाहते हो तो तुम रुपतारा रायजादा को जल्द ही मेरे सामने लेकर आओ",जुझार सिंह बोला....
"लेकिन आपको मेरी दादी से क्या काम है"?,मोरमुकुट सिंह ने पूछा....
"डाक्टर! अब ज्यादा बनने की जरूरत नहीं है,मुझे मालूम हो चुका है कि तुम मोरमुकुट सिंह हो,इसलिए होशियार बनने की कोशिश मत करना और ध्यान रहे ये खबर अगर पुलिस तक पहुँची तो कस्तूरी के साथ साथ चमनलाल खुराना के भी टुकड़े टुकड़े हो जाऐगें",जुझार सिंह बोला.....
"तू इतना कमीना निकलेगा,ये मैं नहीं जानता था",मोरमुकुट सिंह दहाड़ा..
"अब पता चल गया ना कि मैं कितना कमीना हूँ,इसलिए बच्चे मेरी बात ध्यान से सुन,शहर से बाहर बहुत दूर एक खण्डहर मिल है,मैंने कस्तूरी और खुराना को वहीं कैद कर रखा है,तू जल्द से जल्द रुपतारा रायजादा और माधुरी को लेकर वहाँ पहुँच,जब तक मैं खुराना और कस्तूरी की खातिरदारी करता हूँ और खुराना के मुँह से सच्चाई उगलवाने की कोशिश करता हूँ",
और ऐसा कहकर जुझार सिंह ने टेलीफोन काट दिया,अब ये सब सुनकर मोरमुकुट सिंह परेशान हो उठा और सीधा,रामखिलावन,माधुरी और मालती के पास पहुँचा और उनसे पूरी बात कह सुनाई,तब दुर्गेश बोला....
"अब हमें शुभांकर भइया की मदद लेनी चाहिए",
"हाँ! यही ठीक रहेगा",रामखिलावन बोला...
फिर सभी उसी समय शुभांकर के पास पहुँचे और उसे सारी बात बताई ,तब शुभांकर बोला....
"मेरे पास एक आइडिया है",
"वो भला क्या?",मोरमुकुट ने पूछा....
"वो ये कि आप सभी मुझे भी अपने साथ ले चलिए,मेरे हाथ पैर बाँधकर ,मेरे मुँह पर पट्टी लगा दीजिए,वहाँ पहुँचकर आप मेरे बाऊजी से कहिएगा कि कस्तूरी और खुराना साहब को छोड़ दीजिए,नहीं तो तुम्हारी बेटे की जान को खतरा हो सकता है",शुभांकर बोला....
"हाँ! यही ठीक रहेगा,तब ये तय रहा कि मेरे साथ मालती भाभी,माधुरी और शुभांकर जाऐगें",मोरमुकुट सिंह बोला....
"हाँ! यही ठीक रहेगा और मैं तुम्हारे पीछे पीछे,श्यामा जीजी और रागिनी को साथ लेकर पहुँचता हूँ" रामखिलावन बोला...
"हाँ! यही ठीक रहेगा,तो अब हम चारों को चलना चाहिए,आप जल्दी से हमारे पीछे पीछे आ जाइएगा" मोरमुकुट सिंह बोला....
और फिर मोरमुकुट सिंह,माधुरी,मालती और शुभांकर के साथ एक कार में खण्डहर मिल की तरफ चल पड़ा....
और उधर जुझार सिंह खुराना साहब और कस्तूरी के पास पहुँचा,उस वक्त कस्तूरी और खुराना साहब के हाथ पैर बँधे हुए थे और आँखों पर काली पट्टी भी बँधी हुई थी,जुझार सिंह खुराना साहब के पास जाकर बोला....
"खुराना! अब सब कुछ सच सच बता दे,नहीं तो मैं इस लड़की के टुकड़े टुकड़े कर दूँगा"
"मुझे कुछ नहीं मालूम",खुराना साहब बोले....
"क्यों इस बुढ़ापे में अपनी दुर्गति करवा रहा है,अपने बुढ़ापे पर कुछ तो रहम खा ",जुझार सिंह बोला....
"मैंने कहा ना कि मुझे कुछ नहीं मालूम और अगर कुछ मालूम भी होगा तो मैं तुझे कुछ नहीं बताऊँगा" खुराना साहब बोले....
"नहीं मालूम... तू सच कहता है कि तुझे कुछ नहीं मालूम,तो तू ऐसे नहीं बताएगा"
और ऐसा कहकर जुझार सिंह ने कस्तूरी के गाल पर चोर का थप्पड़ रसीद दिया,थप्पड़ खाते ही कस्तूरी बोली....
"मुझे मत मारो,मैंने क्या किया है,मुझे अस्पताल जाना है,डाक्टर बाबू कहाँ हैं"?
"अब तो बताएगा कि नहीं, तू क्या चाहता है कि मैं इस लड़की को मार मारकर लहूलूहान कर दूँ",जुझार सिंह बोला....
"नहीं! इसे मत मारो,उसे छोड़ दो और कितना सताओगे उस बेचारी को,मैं तुम्हें सब बताता हूँ",
और ऐसा कहकर खुराना साहब ने जुझार सिंह को शुरू से लेकर अन्त तक की सारी बातें बता दीं लेकिन उन्होंने जुझार सिंह को जानबूझकर श्यामा और रागिनी के बारें में कुछ नहीं बताया...
फिर खुराना साहब की बातें सुनकर जुझार सिंह आगबबूला हो उठा और बोला....
"तुम सब मेरे खिलाफ़ इतनी बड़ी साजिश रच रहे थे और मुझे कुछ पता भी नहीं चला"
"तेरे गुनाह भी बहुत बड़े थे जुझार सिंह",खुराना साहब बोले...
तब जुझार सिंह बोला...
"चुप कर खुराना! अब एक भी लफ्ज और बोला तो मैं तेरी हड्डी पसली एक कर दूँगा,वो रुपतारा रायजादा और कोई नहीं रामखिलावन की बीवी थी,अब आने दो उसे भी उसकी भी खैर नहीं और उस नमकहराम रामखिलावन को तो मैं जिन्दा नहीं छोड़ूगा,मुझसे गद्दारी करता रहा,मेरी पीठ पीछे छुरा भोकता रहा"
"अपने गुनाह कुबूल कर ले जुझार सिंह,शायद वो ऊपरवाला तुझे माँफ कर दे",खुराना साहब बोले...
"गुनाह....मैंने कोई गुनाह नहीं किए,मैंने जिन्दगी हमेशा अपनी शर्तों पर जी है और आगें भी वही होगा,जैसा मैं चाहता हूँ",जुझार सिंह बोला....
"भगवान बनने की कोशिश मत कर जुझार सिंह! तू उस ऊपरवाले से बड़ा नहीं हो सकता",खुराना साहब बोले...
"तू अपनी जुबान बंद कर खुराना! अब कुछ और बोला तो मैं अभी तेरा खून कर दूँगा",
"तू मेरी जुबान तो बंद करवा लेगा,लेकिन ऊपरवाला तेरा हिसाब जरूर पूरा करेगा",खुराना साहब बोले...
"मेरे पास तेरी बकवास सुनने का वक्त नहीं है",
और ऐसा कहकर जुझार सिंह खुराना साहब के पास से चला गया...
इधर रामखिलावन भी खुराना साहब की कार में दुर्गेश के संग श्यामा और रागिनी को ये खबर पहुँचाने चल पड़ा,रामखिलावन अकेला जाना चाहता था लेकिन उसे कार चलानी नहीं आती थी इसलिए कार चलाने के लिए दुर्गेश उसके साथ गया था,रामखिलावन श्यामा और रागिनी के पास पहुँचा और दोनों को पूरी बात बताई,ये सुनकर श्यामा का खून खौल उठा और वो बोली....
"आज जुझार सिंह की मौत पक्की है,वो आज बचने वाला नहीं है"

क्रमशः....
सरोज वर्मा...