एहिवात - भाग 28 नंदलाल मणि त्रिपाठी द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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एहिवात - भाग 28

बुझारत मन ही मन डॉ सौगात शर्मा का सामना करने एव उन्हें सौभाग्य कि चिकित्सा के लिए चलने को राजी करने हेतु सभी सम्भावनाओ पर आत्म मंथन करते हुए डॉ सौगात शर्मा के अस्पताल पहुंचा ईश्वर का ही चमत्कार था कि बिलंब होने के बाद भी डा सौगात शर्मा ने कुछ नही कहा।
बुझारत मन ही मन निश्चय कर चुका था कि चाहे डॉ सौगात शर्मा उंसे नौकरी से ही निकाल दे फिर भी वह उन्हें सौभाग्य कि चिकित्सा के लिए मनाने के लिए हर सम्भव प्रायास करेगा अस्पताल पहुचने के बाद नियमित औपचारिकताओ के बाद बुझारत् ने डॉ सौगात शर्मा से पूछा सर यदि कोई मरीज जीवन मृत्यु से संघर्ष कर रहा हो तो हमारी जिम्मेदारी क्या बनती है ?
डॉ सौगात शर्मा ने कहा ऐसे मरीज को अपनी जानकारी के अनुसार बचाने कि हर सम्भव कोशिश करनी चाहिए ।
बुझारत बोला सर यदि मरीज बहुत गरीब हो औऱ डॉ कि फीस दवा का मूल्य भी देना उसके लिए मुश्किल हो ?
डॉ सौगात शर्मा ने कहा डॉ ईश्वर का प्रतिनिधि होता है अतः उंसे मरीज को बचाने के लिए अपने पास उपलब्ध संसाधनों से उसकी चिकित्सा करनी चाहिए ।
बुझारत ने फिर डॉ सौगात से कहा यदि मरीज अस्पताल तक आ सकने में सक्षम ना हो किसी कारण से उस स्थिति में डॉ सौगात शर्मा बुझारत् के प्रश्नों सो आजिज आ चुके थे उन्होंने क्रोधीत होते हुए कहा बुझारत् आज जबसे तुम आएं हो अनाप सनाप सवाल किए जा रहे हो आखिर बात क्या है ?
बुझारत् ने बड़ी विनम्रता से याचक भाव मे दोनों हाथ जोड़कर डॉ सौगात शर्मा को बताया कि सर सौभाग्य मेरे ही गांव के पास कोल बस्ती के जुझारू कि बेटी है वह पिछले तीन दिनों से अचेत अवस्था मे है कोल समुदाय के लोंगो ने जड़ी बूटियों एव ओझा सोखा के माध्यम से जो भी कर सकते थे सौभाग्य कि चेतना वापस लाने के लिए किया लेकिन कोई सफलता नही मिली समस्या यह है कि सौभाग्य ने बचपन से एक शेर पाल रखा है जो सौभाग्य को एक पल के लिए अपनी नज़रों से ओझल नही होने देता जिसके कारण सौभाग्य को अन्य जगहों पर इलाज हेतु ले जाना असम्भव है क्योकि सौभाग्य के साथ उसका शेरू अवश्य रहेगा जिसे रोकना भी सम्भव नही है ।
सौभाग्य कि अजीब बीमारी एवं शेरू शेर का साथ रहना डा सौगात शर्मा को अटपटा अवश्य लगा लेकिन उनके मन मे जिज्ञासा ने जन्म ले लिया की क्यो न सौभाग्य को स्वंय चल कर देखा जाय ?
डॉ सौगात राय ने बुझारत से कहा चलो बुझारत् हम चलेंगे और सौभाग्य को देखेंगे और हर सम्भव इलाज करेंगे डॉ सौगात शर्मा के मन मे सौभाग्य से अधिक रुचि शेरू शेर में थी जिसके कारण ही वह सौभाग्य के इलाज के लिए राजी हुए थे ।
बुझारत को साथ लेकर डॉ सौगात शर्मा सौभाग्य के इलाज हेतु चल पड़े कुछ ही देर में दोनों ही सौभाग्य के गांव नेवाड़ी पहुंचे जहां पहले से ही सौभाग्य के पास उसके माता पिता जुझारू तीखा बैठे अपनी किस्मत को कोस रहे थे तो कुछ दूरी पर खड़े गांव वाले सौभाग्य के स्वस्थ होने के लिए अपनी अपनी आस्था का आवाहन कर रहे थे ।
डॉ सौगात शर्मा एव बुझारत् को देखते ही शेरू ने लंबी दहाड़ मारी और दौड़ते हुए डॉ सौगात के पास ऐसे गया जैसे बिजली डॉ सौगात भाग भी नही सके डॉ सौगात के पास पहुचते ही शेरू ने उनके पैर चाटने लगा और जब डॉ सौगात शर्मा शेरू से आश्वस्त हो गए और शेरू को इस बात का विश्वास हो गया तब शेरू डॉ सौगात शर्मा का हाथ पकड़ कर बड़े आदर सम्मान को प्रदर्शित करते सौभाग्य के निकट ले गया और स्वंय सौभाग्य कि चारपाई के पास बैठ गया ।
डॉ सौगात शर्मा को समझते देर नही लगी कि आखिर शेरू क्या कहना चाह रहा है उन्होंने सौभाग्य कि जांच शुरू किया।

पण्डित शोभराज तिवारी पत्नी स्वाति के साथ दिल्ली पहुंचे और सीधे सफदरजंग अस्पताल पहुंचे जहां जगबीर सिंह एव सुमंगला साथ बच्चों कि देख रेख बड़ी संजीदगी के साथ कर रहे थे पुराने मित्र से ऐसी स्थिति में भी मुलाकात होगी इसका अंदाज़ा जगबीर और सुमंगला को नही था।
शोभराज तिवारी ने मित्र जगबीर से बच्चों के इलाज कि अद्यतन जानकारी लेने के उपरांत इलाज कर रहे डॉ दधीचि कांडपाल से मिलने गए डॉ कांडपाल ने दोनों बच्चों के माता पिता को देखते ही कहा कि दोनों बच्चों मे दुर्घटना के बाद अलग अलग समस्याएं है कर्मबीर का रीड की हड्डी का ऑपरेशन करना होगा एव चिन्मय का ब्रेन का आपरेशन इसीलिए मैं चिन्मय के माता पिता कि प्रतीक्षा कर रहा था जिससे उनकी सहमति एव उपस्थिति में ऑपरेशन हो ।
कल चिन्मय एव कर्मबीर दोनों का ऑपरेशन दस बजे सुबह से एव चार बजे शाम को होगा उसके बाद ही कुछ बता पाना सम्भव होगा शोभराज तिवारी स्वाति के साथ जगबीर एव सुमंगला ने भी बच्चों के आपरेशन कि सहमति दे दी ।

डॉ सौगात शर्मा ने सौभाग्य का बारीकी से जांच करने के उपरांत आवश्यक निर्देश देते हुए बोले कल पुनः मैं डेढ़ बजे आऊंगा जब डॉ सौगात शर्मा लौटने लगे शेरू उनके पैरों पर अपना सर रख दिया और अश्रुपूरित नेत्रों से कृतज्ञता भाव व्यक्त कर रहा था यह दृश्य देखकर डॉ सौगात शर्मा समेत सभी उपस्थित लोंगो ने एक स्वर में कहा शेरू सौभाग्य का रिस्ता भाई बहन जैसा है रिश्तो कि संवेदना ने खूंखार शेर शेरू को भी मोम बना दिया है डॉ सौगात शर्मा लौट गए ।

डॉ दधीचि कांडपाल ने सुबह दस बजे चिन्मय का ऑपरेशन शुरू किया और दो एक बजे आपरेशन थियेटर से बाहर निकले और बताया कि कुछ ही देर में चिन्मय को होश आ जाएगा पुनः चार बजे से डॉ दधीचि कांडपाल ने कर्मबीर का ऑपरेशन शुरू किया और ऑपरेशन सफल रहा डॉ कांडपाल अपने जमाने के मशहूर न्यूरो सर्जन थे उनके हाथ किसी भी मरीज कि जान नही गयी थी।

उधर दो बजे दिन में चिन्मय को होश आया शोभराज तिवारी स्वाति कि खुशियाँ का ठिकाना ना रहा फिर कर्मबीर को भी होश आया चुका था सुमंगला एव जगबीर कि खुशियों का ठिकाना नही था।
इधर डॉ सौगात शर्मा पुनः बुझारत् को साथ लेकर सौभाग्य को देखने लगभग डेढ़ बजे दिन में सौभाग्य के गांव नेवाड़ी पहुंचे आज उन्हें शेरू का कोई खौफ नही था पहुचते ही उन्होंने जुझारू और तीखा से पूछा कि जो निर्देश कल जाते समय उन्होंने दिए थे वह पूरे हुऐ कि नही जुझारू और तीखा ने बताया की जौंन जइसे डॉ साहब बताये रहे सब वोही तरह से हम लोग किया है डॉ सौगात शर्मा ने कहा गुड और उन्होंने सौभाग्य कि चेतना वापस लाने के लिए अपने प्रयास जारी किए ज्यो ही घड़ी ने दिन में दो बजने का संकेत दिया सौभाग्य चीनू चीनू कहते हुए जाग गयी डॉ सौगात शर्मा के आश्चर्य का कोई ठिकाना ही नही था कि सौभाग्य को कोई बीमारी नही है ना ही दुर्घटना ग्रस्त है फिर अचेत हुई क्यो ?
सौभाग्य कि चेतना लौटते ही जुझारू तीखा कि खुशियां तो लौटी ही पूरे कोल परिवारों ने सुकून कि सांस ली शेरू तो मगन नाच ही रहा था डॉ सौगात शर्मा ने सौभाग्य के इलाज के लिए कुछ भी नही लिया बल्कि दोनों दिन अपने खर्चे से आए चलते समय उन्होंने जुझारू और तीखा से कहा कि सौभाग्य के अचेतन अवस्था का कारण चीनू है चीनू कौन है पता लगाना आप लोंगों का काम है।