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एहिवात - भाग 5

माई तीखा ने बेटी सौभाग्य के मन में करुणा भाव को महसूस कर बहुत गर्व से बोली शाबाश बेटी केहू के दुःख पीढ़ा कि खातिर कूछो कर सको तो जरूर करो ऐसे अपने बन देवता प्रसन्न होहिए और बरक्कत होई ।

सौभाग्य माई तीखा कि बाते सुनकर बोली माई तोरे सिखावल है जेके कारण शेर के बच्चा के ले आए ई जानत है माई कि ई जब बलवान होई तब कबों घात कर देई ई ठहरल जंगल के राजा लेकिन ई समय एकर हालत बहुत खराब बा एके जीआवे के बा सौभाग्य ने शेर के बच्चे को जो सिर्फ सांस ही ले रहा था और कभी भी दम तोड सकता था को माई तीखा को दिया और बोली माई दूध एका पिलाओ तीखा ने दूध कि व्यवस्था किया और शेर के बच्चे को सितुही से पिलाने कि कोशिश करने लगी लेकिन बहुत कोशिशों के बावजूद वह दूध नही पी पा रहा था तीखा सारे जतन करके थक गई फिर भी शेर का बच्चा था कि दूध पीने का नाम ही नहीं ले रहा था तीखा अन्य आदिवासी महिलाओं एवम पुरुषो से शेर के बच्चे को दूध पिलाने के अनेकों नुस्खे पूछे और आजमाया लेकिन सब बेकार ।

तीखा परेशान इस बात को लेकर अधिक थी कि जब सौभाग्य बिटिया को पता चलेगा कि उसके शेरू को उसकी माई नाही बचाए पाई तब ऊ सर आसमान पर उठा लेई अंत में आदिवासी कुनबे कि सबसे बड़ी बुजुर्ग महिला झलारी जब तीखा कि दुविधा जानीन तब से खुदे तीखा के पास जाई बोलिन का बात है तीखा सुना सौभाग्यवा कौनो शेर के बच्चा जंगल बीच से उठा लाई है और ऊ दूध नाही पियत बा कुछ खाई सकत नाही ससुरा मरीन जाई वोके मरते सौभाग्यवां आफत खड़ा कर देई उहे एगो आंखे में के पुतरी बा खिसियाए जाई त बड़ा मुश्किल मनावल होई ।

झलारी तीखा से पुछिन सौभाग्य जब एका उठाए के लै आईन तब शेर के ई बच्चा का करत रहा तीखा बताएन जब सौभाग्य एका देखीन तब ई अपने मरी माई जो सड़ गई थी वास मार रही रहे वोकरे दूध पिए खातिर वोकर थान पकरे रहा और दूध पिए क कोशिश करत रहा लेकिन मरे के थान से कतो दूध निकरत है।

आदिवासी परिवारों में सबसे अनुभवी बुजुर्ग झलारी बोली तीखा शेर के बच्चा के दूध तू खुदे पिलाओ तीखा बोली चाची सौभाग्य दस बारह वारिश के होई गई अब हमरे कहा से दूध निकरे झलारी बोली पियाए के देख शायद चमत्कार होय जाए तीखा का करतेंन बिटिया सौभाग्य के जिद्द और एक मरत जानवर के जिनगी के सवाल रहा तीखा शेर के बच्चा के आपन स्तन दूध पिए खातिर जैसे पकड़ान झट उसने तीखा का स्तन पीना शुरू किया जैसे उसकी सौभाग्य हो और चमत्कार तब हुआ जब तीखा के स्तन से दूध कि धार निकल पड़ी और शेरू के जान में जान आई।

सौभाग्य को जब यह पता चला कि माई तीखा वोकरे शेरू के आपन दूध पिलाई रही है गर्व और खुश होकर बोली माई देख वन देवता हमें एक भाई दिहले ऊहो शेर तीखा बोली बावली तोरे खुशी खातिर तोरे शेरू के आपन दूध पिलावत हईन काहे ससुरा कोनो विधा ई बाहर से दूध नाही पियत रहा सौभाग्य बोली माई ई जी जाय हम वनदेवता देवी के खुदे जमीन पर सूती सूती पैकरा करब शेरू को तीखा ने एक सप्ताह तक अपना दूध पिलाया शेरू अब बाहर का भी दूध आहार पीने खाने लगा दो महीने में ही शेरू सौभाग्या तीखा जुझारू के परिवार का प्यारा दुलारा महत्वपूर्ण पारिवारिक हिस्सा बन गया दो महीने में शेरू स्वस्थ और ताकतवर बन गया आदिवासी बच्चों के साथ खेलता जैसे वह शेर का बच्चा ना होकर किसी इंसान का बच्चा हो सौभाग्य जब लकड़ी हेतु सघन जंगलों में जाति तब शेरू तीखा और जुझारू के साथ रहता जुझारू के साथ कभी कभी छोटे मोटे शिकार करने में मदद करता शेरू बहुत महत्पूर्ण और अनिवार्य हिस्सा बन चुका था सौभाग्य के कुनबे के लिए
शेरू के बिना सौभाग्य जुझारू कि दुनियां का कोई मतलब ही नहीं था मरणासन्न शेर शावक शेरू ताकतवर शेर का रूप लेता जा रहा था जिसके खूंखार होने कि संभावना भी थी इस सच्चाई से जुझारू तीखा और सौभाग्य सभी परिचित थे लेकिन प्यार परिवार और संवेदनाओं ने खूंखार शेर शेरू को इंसानों का दुलारा प्यारा और शेरू का जीवन संसार बना दिया था।।

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