Aehivaat - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

एहिवात - भाग 2

उधर पूरी रात तीखा आदिवासी कुनबों के पास जाकर बिटिया सौभाग्य एव पति जुझारू का पता लगाने कि गुहार करती रही कुनबे के आदिवासी नौवजावन लुकार लेकर तैयार ही हुए की बारिश शुरू हो गयी उधर सौभाग्य ने कहा बापू लगत है तुमहू कही गिर पड़े रहो तुम्हरे कनपटी के ऊपर घाव के निशान बा जुझारू ने कहा हा बिटिया तुम अचेत पड़ी रहूं तोहे होश में लावे खातिर सोता से पानी लावे जात रहिन पता नही कैसे ठोकर लग गवा गदका पड़ गवा कि हम गिर गईनी पता नाही चलल जब बरसात भईल तब हमें होश आइल और हम पेड़ के पास अइनी तोहे देखलीं त पता चलल सौभाग्य बोली बापू ऊ कांवर उठाव हम लोग लौटा जाई जुझारू ने जब कांवर के दूसरी तरफ़ देखा कि एक इंसान है ।
तब बहुत आश्चर्य से पूछा बिटिया बता ई कौन है जब सौभगय बोली चल सब बतावत हई जल्दी जल्दी जुझारू ने कांवर पर लेटे इंसान कि नब्ज देखी उसकी नब्ज चल रही थी उसने कांवर को कांधे पर उठाया चल पड़ा सौभाग्य भी साथ साथ चल पड़ी सूरज निकलने के साथ दोनों अपनी झोपडी पहुंचे जहां तीखा एव आदिवासी कुनबे के परिवार
सौभाग्य और जुझारू का इंतजार कर रहे थे ।आदिवासी कुनबे में पहुंचते ही इंतजार करती तीखा सजल नेत्रों से बोली कहाँ रही बिटिया हम रात भर रोअती रही कबो ये कुनबा कबो ओ कुनबा निहोरा करते रही गईली ई का है कांवर पर एक तरफ लकड़ी दूसरी तरफ आदमी जुझारू बोला सवाल जिन कर अन्य कुनबे के नौजवानों की मदद से कांवड़ पर पड़े लगभग मृत व्यक्ति को झोपडी के अंदर ले गए जुझारू ने आदिवासी कुनबे के वयोवृद्ध जंगा को बुलाया जंगा ने मरणासन्न इंसान को देखते ही बता दिया कि यह शेर का शिकार होते होते बचा है लेकिन आश्चर्य ई बाती के ह की शेर के अन्य जाती भेड़िया लकड़बघ्घा काहे एकरे पास तक नाही पहुंच पाए काहे जब शेर कौनो शिकार छोड़ देत है त ईहे जनावर आई के वोके खाई जबाई स्वाहा करतेंन
तब सौभाग्य बताएस की जब शेर एकरे पास रहा तब हम दूर से देखा और शेर डरावे वदे आवाज निकारे शेर त भागा अपने कांवर के एक तरफ के लकड़ी दूसरे तरफ़ करीक़े एक तरफ एके लाद के चले के कोशिश करे लाग कबो चार परग चली कबो कांवर रखी इतने में ठोकर लगा कब बेहोश हो गयी पता नाही चला ऊ त वारिस में बापू से पेड़ के नीचे अंधेरे में टकराई गयी ।
जंगा ने जंगली जड़ी बूटियों से उस इंसान का इलाज शुरू किया उसके घांवो पर जड़ी बूटियो का लेप लगवाया और होश में लाने के लिए जंगली जड़ी बूटियों का ही काढ़ा बनाकर पिलाया इधर आस पास आदिवासी कुनबे के सभी नौजवान उसकी तीमारदारी में बारी बारी से लग गए शाम तक उस नौजवान को होश आया गया आदिवासी परिवारों में खुशी की लहर दौड़ गयी।
जुझारू और जंगा और आदिवासी परिवारों कि जिज्ञाशा एव कौतूहल का विषय था वह नौजवान जंगा ने होश में आने पर उसका नाम पूछा बड़ी मुश्किल से वह पता पाया विल्सन आदिवासी समाज को उसका नाम समझ मे नही आया उसका नाम एक साथ सभी ने बोला बिल्कु है एकर नाव।

अन्य रसप्रद विकल्प

शेयर करे

NEW REALESED