एहिवात - भाग 27 नंदलाल मणि त्रिपाठी द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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एहिवात - भाग 27

इंस्पेक्टर जागीर सिंह जोगट ने जगबीर सिंह से कहा ठीक है आपका लड़का मिल गया ईश्वर ने चाहा तो जल्दी स्वस्थ हो जाएगा अच्छा अब मुझे चलने की इजाज़त दिजिए सम्भव है कोई और माँ बाप अपने बच्चे के लिए परेशान हो।

जगबीर सिंह ने इंस्पेक्टर जागीर सिंह जोगट के प्रति कृतज्ञता व्यक्त किया वार्ड में लौटने पर देखा कि पत्नी सुमंगला ने सिस्टर मांडवी कि नाक में दम कर रखा है अपने सवालों के बौछार से सिस्टर मांडवी ने ज्यो ही जगबीर सिंह को देखा सुमंगला को बाहर ले जाने का इशारा किया जगबीर सिंह ने सिस्टर मांडवी से घायल बेटे और चिन्मय के विषय हो रहे इलाज और प्रगति कि जानकारी लेने के उपरांत सुमंगला के साथ बाहर चले गए और बोले सुमंगला जो बच्चा कर्मबीर के बगल के बेड पर है वही चिन्मय है ।

सुमंगला ने कहा हम भी जानते है जल्दी से जल्दी स्वाति दीदी और तिवारी जी को बुलाने कि व्यवस्था करो जगबीर ने दिल्ली में मोटर पार्ट कि दुकान खोल रखी थी और कुछ छोटे मोटे पार्ट खुद भी बनाते थे उनकी सप्लाई पूरे देश में थी अतः उनके परिचित हर शहर में थे उन्होंने दुध्धि आटोपार्ट विक्रेता को फोन से चिन्मय के घायल होने की सूचना दी और अनुरोध किया कि पंडित शोभराज तिवारी को ट्रेन पर बैठाने की व्यवस्था भी करे।

आटोपार्ट विक्रेता रियाज अहमद दुकान का कारोबार अपने विश्वसनीय मुसाफिर को सौंप कर भागे भागे पण्डित शोभराज तिवारी के गांव पहुंचा और चिन्मय के दुर्घटना में घायल होने कि सूचना दी और बताया कि चिन्मय एव कर्मबीर कि चिकित्सा सफदरजंग अस्पताल में चल रही है दोनों ही दुर्घटना के बाद से अचेतन अवस्था में है डॉक्टरों द्वारा पूरी कोशिश दोनों को होश में लाने हेतु किया जा रहा है।

पण्डित शोभराज से जब सारी बाते रियाज बता रहा था उसी समय स्वाति भी मौजूद थी उन्होंने सारी बाते सुनी रियाज खान ने पण्डित शोभराज तिवारी को दिल्ली जाने का दो टिकट दिया और पण्डित जी से अनुमति लेकर लौट गया।

रियाज के जाते ही स्वाति तिवारी दहाड़ मार कर रोने बिलखने लगी कुछ ही देर में पूरे गांव में चिन्मय के दुर्घटनाग्रस्त होने कि बात बिजली कि तरह फैल गयी लोंगो का जमावड़ा पण्डित शोभनाथ तिवारी के दरवाजे पर लग गया पंडित जी ने बड़ी विनम्रता पूर्वक हाथ जोड़ते हुए सबका आभार व्यक्त करते हुए कहा आप सभी कि सद्भावनाएँ ही चिन्मय और कर्मबीर के जीवन को बचाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाएगी अतः आप सभी चिन्मय और कर्मबीर के शीघ्र स्वस्थ होने कि कामना करें दोनों बच्चे गांव के धरोहर है हम और चिन्मय कि माँ स्वाति दिल्ली जा रहे है ।

गांव के सभी लोग जब चले गए शोभनाथ तिवारी पत्नी स्वाति से बोले जल्दी सारी तैयारी कर लो रेलवे स्टेशन ट्रेन पकड़ने निकलना है स्वाति बोली हम तो कब से तैयार आपका इंतज़ार कर रहे है पंडित शोभराज तिवारी जी और स्वाति बिना किसी बिलंब के ट्रेन पकड़ने के लिए निकल पड़े ।

नेवाड़ी और मंझारी गांव के सभी कोल बिरादरी के लोग जुझारू के घर के सामने खड़े सौभाग्य को होश में लाने की तरह तरह से कोशिश करते रहे लेकिन सौभाग्य कि स्थिति पर कोई फर्क ही नही पड़ रहा था पहले जड़ी बूटियों कि मदद से सौभाग्य को होश में लाने का प्रयास सारा कोल समाज मिलकर अपने अपने अनुभव के अनुसार करता रहा किंतु सौभाग्य के सेहत पर कोई फर्क नही पड़ा एव उसकी हालत और नाजुक होती गयी कोई सुधार ना देख सारे कोल समाज ने एक स्वर में निर्णय लिया कि सौभाग्य के ऊपर किसी भूत प्रेत या दुष्ट ग्रह कि छाया है जिसे झाड़ फूंक ओझा सोखा कि मदद से ही दूर भगाया जा सकता है क्या था सारे ओझा सोखा अपने अनुसार से सौभाग्य के झाड़ फूंक में लग गए ।

शोभ नाथतिवारी पत्नी स्वाति के साथ गढ़वा रेलवे स्टेशन लंबी सड़क यात्रा पूरी करने के उपरांत पहुंचे स्टेशन पर बहुत प्रतीक्षा करने के उपरांत दिल्ली के लिए ट्रेन मिली पण्डित शोभराज पत्नी के साथ ट्रेन पर सवार हुए ट्रेन दिल्ली के लिए चल पड़ी ।

सारे नामी गिरामी ओझा सोखा ने अपने सभी तौर तरीकों से सौभाग्य कि चेतना को वापस लाने का जी जान से कोशिश किया लेकिन सौभाग्य कि स्थिति और भी खराब होती जा रही थी दो दिन का समय बीत चुका था
सौभाग्य कि हालत नाजुक होती जा रही थी सभी इस बात को लेकर हैरान परेशान थे कि सौभाग्य को कोई बीमारी नही थी अचानक वह अचेत हुई तो क्यो और कैसे ?यही बात सारे कोल परिवारों में चर्चा का विषय बनी हुई थी सौभाग्य का चहेता शेरू शेर सौभाग्य के सिर के पास तब से बैठा था जब से सौभाग्य अचेतन अवस्था मे गयी थी सौभाग्य के अचेतन से पहले भी शेरू ही उसके साथ था ।

कोल समाज के बड़े बुजुर्गों ने यह फैसला किया कि सौभाग्य को किसी डॉक्टर से दिखाया जाए जिसमे बहुत बड़ी अड़चन था शेरू क्योकि शेरू सौभाग्य को छोड़ नही रहा था और सौभाग्य को छोड़ किसी दूसरे में साहस नही था कि शेरू से कोई बात मनवा सके ।

अंत मे यही निश्चित हुआ कि डॉक्टर को नेवाड़ी ही बुलाया जाए बुझारत कोल डॉ सौगात शर्मा के यहाँ कम्पाउंडरी करता था पूरे गांव ने बड़ी विनम्रता पूर्वक बुझारत कोल से अनुरोध किया कि डॉ सौगात शर्मा को वह साथ लेकर आए ।
बुझारत के लिए मुश्किल काम था एक तो डॉ सौगात शर्मा बहुत बड़े डॉक्टर थे कही जाते नही थे दूसरा उनके अस्पताल में मरीजों का हर वक्त ताता लगा रहता था बुझारत कोल सच्चाई से वाकिफ था फिर भी गांव वालों के अनुरोध को ठुकरा नही सका और गांव वालों को यही आश्वासन दे सका कि वह डॉक्टर साहब को लाने कि पूरी कोशिश करेगा बाकी ईश्वर कि मर्जी

बुझारत डॉ सौगात शर्मा के यहां वैसे भी कम्पाउंड्री कि नौकरी करता था सुबह आठ बजे से शाम आठ बजे तक उसे डॉक्टर साहब के अस्पताल पर ही रहना पड़ता था वह तो सौभाग्य के अचानक अचेत होने की बात सुनकर रुक गया था वह मन ही मन सोच रहा था आखिर वह क्यो रुका ?सौभाग्य को देखने बिलंब भी हुआ जिसके लिए डॉक्टर साहब की फटकार खानी पड़ेगी और गांव वालों ने गले आफत डाल दी है डॉक्टर साहब को लाने कि उसे मालूम था कि दर्जनों कंपाउंडर है डॉक्टर साहब के यहां किसी में इतना साहस नही की डॉक्टर साहब के सामने खड़ा तक हो जाए कुछ कहने की बात तो दूर।।