POEM Vishram Goswami द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

POEM

कुछ पल

 

कभी-कभी कुछ पल मन को,

बहुत दूर ले जाते हैं

परिचित सी मधुर आवाजों से,

मीठा अहसास कराते है।

दिल करता हैं यूं ही सैर करते,

बहुत दूर निकल जाऊं मैं,

भागम-भाग के दौर से,

कही उन्ही दिनों मे खो जाऊं मैं।

वही खनकती हंसी-हंसाकर,

रोम-रोम गुद गुदाते है।

कभी-कभी कुछ पल मन को बहुत दूर ले जाते हैं।।

 

दिल करता हैं सोया रहूं,

उन जुल्फों की छावो मे यूहीं कही,

बस जाऊं सदा के लिये,

उन पलको के साये मे यूंही वही।

वो अल्हड़, वो बेपरवाह,

वो आवारा सा लम्हा,

काश! पलटकर आ जाये,

लापरवाह जीवन वही।

बीते वो सारे किस्से,

मीठा सा राग सुनाते है।

कभी-कभी कुछ पल मन को बहुत दूर ले जाते हैं।।

 

यूं जिन्दगी की दौड़ मे,

यूं ही दौड़ते चले गये

हर एक साये रहगुजर को,

यूं ही छोड़ते चले गये।

वो साये जब कभी सपनों मे,

दिल पर दस्तक देते हैं,

एक हूक जिगर से उठती हैं,

पक्षी बन उड़ने लगते है।

वो छम-छम करते कदमो की

आहट को कान तरसते है।

कभी-कभी कुछ पल मन को, बहुत दूर ले जाते है।।

 

कुछ पल

 

कभी-कभी कुछ पल मन को,

बहुत दूर ले जाते हैं

परिचित सी मधुर आवाजों से,

मीठा अहसास कराते है।

दिल करता हैं यूं ही सैर करते,

बहुत दूर निकल जाऊं मैं,

भागम-भाग के दौर से,

कही उन्ही दिनों मे खो जाऊं मैं।

वही खनकती हंसी-हंसाकर,

रोम-रोम गुद गुदाते है।

कभी-कभी कुछ पल मन को बहुत दूर ले जाते हैं।।

 

दिल करता हैं सोया रहूं,

उन जुल्फों की छावो मे यूहीं कही,

बस जाऊं सदा के लिये,

उन पलको के साये मे यूंही वही।

वो अल्हड़, वो बेपरवाह,

वो आवारा सा लम्हा,

काश! पलटकर आ जाये,

लापरवाह जीवन वही।

बीते वो सारे किस्से,

मीठा सा राग सुनाते है।

कभी-कभी कुछ पल मन को बहुत दूर ले जाते हैं।।

 

यूं जिन्दगी की दौड़ मे,

यूं ही दौड़ते चले गये

हर एक साये रहगुजर को,

यूं ही छोड़ते चले गये।

वो साये जब कभी सपनों मे,

दिल पर दस्तक देते हैं,

एक हूक जिगर से उठती हैं,

पक्षी बन उड़ने लगते है।

वो छम-छम करते कदमो की

आहट को कान तरसते है।

कभी-कभी कुछ पल मन को, बहुत दूर ले जाते है।।

 

कुछ पल

 

कभी-कभी कुछ पल मन को,

बहुत दूर ले जाते हैं

परिचित सी मधुर आवाजों से,

मीठा अहसास कराते है।

दिल करता हैं यूं ही सैर करते,

बहुत दूर निकल जाऊं मैं,

भागम-भाग के दौर से,

कही उन्ही दिनों मे खो जाऊं मैं।

वही खनकती हंसी-हंसाकर,

रोम-रोम गुद गुदाते है।

कभी-कभी कुछ पल मन को बहुत दूर ले जाते हैं।।

 

दिल करता हैं सोया रहूं,

उन जुल्फों की छावो मे यूहीं कही,

बस जाऊं सदा के लिये,

उन पलको के साये मे यूंही वही।

वो अल्हड़, वो बेपरवाह,

वो आवारा सा लम्हा,

काश! पलटकर आ जाये,

लापरवाह जीवन वही।

बीते वो सारे किस्से,

मीठा सा राग सुनाते है।

कभी-कभी कुछ पल मन को बहुत दूर ले जाते हैं।।

 

यूं जिन्दगी की दौड़ मे,

यूं ही दौड़ते चले गये

हर एक साये रहगुजर को,

यूं ही छोड़ते चले गये।

वो साये जब कभी सपनों मे,

दिल पर दस्तक देते हैं,

एक हूक जिगर से उठती हैं,

पक्षी बन उड़ने लगते है।

वो छम-छम करते कदमो की

आहट को कान तरसते है।

कभी-कभी कुछ पल मन को, बहुत दूर ले जाते है।।