असमर्थों का बल समर्थ रामदास - भाग 26 ՏᎪᎠᎻᎪᏙᏆ ՏOΝᎪᎡᏦᎪᎡ ⸙ द्वारा जीवनी में हिंदी पीडीएफ

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असमर्थों का बल समर्थ रामदास - भाग 26

तमोगुण लक्षण सार

इंसान का आध्यात्मिक उत्थान होने में तमोगुण बहुत बड़ी बाधा है। अहंकार तमोगुण का सबसे शक्तिशाली मूल है। अहंकार को ठेस पहुँचती है तो इंसान क्रोधित हो जाता है और क्रोध तमोगुण का सबसे बड़ा लक्षण है। क्रोध के साथ-साथ लालसा, नफरत, ईर्ष्या, जलन, आलस्य, विवेक का अभाव आदि लक्षण भी तमोगुणी में प्रबल होते हैं। तमोगुण इंसान के पतन का कारण बनता है क्योंकि तमोगुणवश जो कर्म उससे होते हैं, उसका फल उसे पूरे जीवन में भुगतना पड़ता है। जिन्हें जीवन में भौतिक तथा आध्यात्मिक विकास करना है, उनके लिए तमोगुण से ऊपर उठना बहुत आवश्यक है। इस भाग में हम समर्थ रामदास द्वारा बताए गए तमोगुण के लक्षण समझेंगे।

* संसार में दुःख हो, इच्छाओं में बाधा आए तो जो क्रोधित होता है, वह तमोगुणी है।

* जो क्रोध को काबू में नहीं रख पाता, आस-पास के लोगों, रिश्तेदारों पर जो क्रोधित होता है, वह तमोगुणी है।

* जो क्रोध आने पर हैवानियत पर उतर आता है, वह तमोगुणी है।

* जो शस्त्र का उपयोग करके अपने आप पर तथा दूसरों पर आघात करता है, वह तमोगुणी है।

* जिसे युद्ध के दृश्य देखना, युद्धभूमि पर जाना, युद्ध करना पसंद है, वह तमोगुणी है।

* जिसका मन हमेशा भ्रमित रहता है, जो अपना निश्चय पूरा नहीं करता, जो आलसी है, आवश्यकता से ज़्यादा सोता है, वह तमोगुणी है।

* जो आवश्यकता से अधिक खाता है, मीठा स्वाद हो या कड़वा, इससे जिसे फर्क नहीं पड़ता, जो मूर्ख है, वह तमोगुणी है।

* जिससे प्रेम है, उसकी मृत्यु होने पर जो आत्मघात करना चाहता है, वह तमोगुणी है।

* जिसे जानवरों को प्रताड़ित करना, कीड़े-मकौड़ों को मारना पसंद है, जिसमें करुणाभाव का अभाव है, वह तमोगुणी है।

* जो स्त्री और बालकों के साथ हिंसा करता है, द्रव्य लालसा में जो किसी के प्राण भी ले सकता है, वह तमोगुणी है।

* जो व्यसनी है, जिसके मन में दूसरों का वध करने के विचार आते हैं, वह तमोगुणी है।

* जो मन में कपट रखकर दूसरों का घात करता है, जिसका व्यवहार हमेशा उद्दंड होता है, वह तमोगुणी है।

* जिसे कलह (झगड़ा) पसंद है, जिसमें मार-पिटाई करने की वृत्ति है, वह तमोगुणी है।

* जिसमें भक्ति का अभाव तथा भक्ति करनेवालों के प्रति मत्सर है, वह तमोगुणी है।

* फल-फूल रहे पेड़-पौधे काटने की, उनका नुकसान करने की जिसमें वृत्ति होती है, वह तमोगुणी है।

* जिसे सत्कर्म करना पसंद नहीं है, जिसके कर्म दोषयुक्त हैं, जो पाप कर्म करने से नहीं कतराता, वह तमोगुणी है।

* जो सज्जनों को प्रताड़ित करता है, प्राणी मात्र को पीड़ाएँ देता है, जानबूझकर गलतियाँ करता है, वह तमोगुणी है।

* जो आग लगाने का कार्य करता है, शस्त्र का उपयोग दूसरों को डराने के लिए करता है, दूसरों पर विष का प्रयोग करता है, वह तमोगुणी है।

* दूसरों की पीड़ा देखकर जिसे संतोष मिलता है, जिसका व्यवहार कठोरता पूर्ण है, वह तमोगुणी है।

* जो अपने धन का उपयोग दूसरों को परेशान करने के लिए करता है, जिसके मन में किसी के प्रति दयाभाव नहीं होता, वह तमोगुणी है।

* ‘जो ईश्वर को, भक्ति को, शास्त्रों के ज्ञान को नापसंद करता है, वह तमोगुणी है।

* जो धर्मभ्रष्ट है, वह तमोगुणी है।

* जिसे श्रेष्ठों से उपदेश सुनना पसंद नहीं है, किसी के उपदेश करने पर जो क्रोधित होता है, वह तमोगुणी है।

* जो बिना कुछ किए, बस खा-पीकर मौज़ करता है, वह तमोगुणी है।

* जिसका व्यवहार अनीतिपूर्ण है, जो टोना-टोटका, काला जादू सीखने में रुचि रखता है, वह तमोगुणी है।

* जो अघोरी है और क्लेशदायक मन्नतें करता है (जैसे मन्नत पूरी होने पर पीठ में कील चुभाना, अंगारों पर चलना, अपनी ज़ुबान काट लेना आदि), वह तमोगुणी है।

* जिसके मन में बार-बार आत्मघात के, अपनी शरीर हत्या के विचार आते हैं, वह तमोगुणी है।

* जो अपनी ज़िद पर अड़ा रहता है, वह तमोगुणी है।

* जो अपने शरीर को क्लेश देनेवाले व्रत करता है, धूम्रपान करता है, वह तमोगुणी है।

* जो अपने शरीर के स्वास्थ्य का खयाल नहीं रखता, जिसके बाल और नाखून अस्तव्यस्त रहते हैं, वह तमोगुणी है।

* जो क्रोधवश अपने देह को पीड़ाएँ देता है और बाद में जिसका खेद करता है, क्रोध आने पर अविवेकी व्यवहार करता है, वह तमोगुणी है।

* क्रोधवश जो ईश्वर की भी निंदा करता है, जिसका मन वासनाओं और दुर्भावनाओं से भरा होता है, जो दुर्जनों की संगत में रहना पसंद करता है, वह तमोगुणी है।

यदि आपको लगता है कि इनमें से एक भी लक्षण आपके अंदर है तो उसे दूर करने में आलस्य न दिखाएँ और तमोगुण से कम से कम रजोगुणी तक तो ऊपर उठने का प्रयास करें.