जिन्नातों की सच्ची कहानियाँ - भाग 34 - अंतिम भाग सोनू समाधिया रसिक द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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जिन्नातों की सच्ची कहानियाँ - भाग 34 - अंतिम भाग

जिन्न का वारिश, भाग _०३ , सोनू समाधिया 'रसिक', द्वारा -

जावेद खड़ा हो कर शब्बो के कमरे में झाँकता है तो उसे सपने वाला नजारा दिखता है। जावेद को यासिर पर शक़ होने लगा।
तभी मौलवी जावेद को अपने कमरे में खींच लेता है और जावेद को यासिर की सच्चाई बता देता है। जिन्नात मौलवी को भी उस घर में कैद कर रखा था।


तभी वह जिन्नात वहां आ जाता है। जावेद डरकर बाहर भागने की कोशिश करता है तो जिन्नात कहता है कि यह घर मेरा है और यहां एक बार आने के बाद कोई बापस नहीं जाता।

वह जिन्नात जावेद को भी मौलवी के साथ एक कमरे में बंद कर देता है।
तब मौलवी बताता है कि ये सब तब से शुरू हुआ जब एक रात शब्बो गीले और खुले वालों में छत पर चली गई। जब फातिमा ने उसे रोका तो शब्बो ने बात को मज़ाक में टाल दिया।

तभी शब्बो के कारहने की आवाज आती है। असल में वह जिन्नात शब्बो से अपना बारिश चाहता था। वह पेट में बच्चे को अपनी शक्ति से बढ़ा रहा था।
जावेद जब शब्बो को बचाने के लिए जाता है तो मौलवी कहता है कि वह उस जिन्नात का कुछ नहीं कर सकता जब तक शब्बो उस जिन्नात के तिलिस्म को नहीं तोड़ देती।
और तिलिस्म तभी टूट सकता है जब शब्बो उस जिन्नात का असली रूप देख ले।

यासिर शब्बो को बेहोश कर देता है। मौलवी मंत्र पढ़ते हुए शब्बो के कमरे के पास पहुंच गया। यासिर अपने मक़सद में रुकावट आने से बौखला गया और उसने जावेद और मौलवी पर हमला कर दिया। जावेद लगातार शब्बो को आवाज लगा रहा था। जिससे शब्बो की आँख खुल गई। जब वह जावेद की चीख सुनकर बाहर आती है तो वह यासिर को असली रूप में देख लेती है

तो शब्बो रोती हुई खुद को कमरे में बंद कर लेती है। यासिर उसके पास आता है तो ताबीज को आगे कर देती है। क्योंकि उसे यासिर की असलियत पता चल गई थी। ताबीज की वजह से वह जिन्न वहां से चला गया।
जावेद जैसे ही शब्बो को बचाने के लिए आता है तो उस पर वह जिन्नात हमला कर देता है। और शब्बो से कहता है कि अगर अपने भाई की जान बचाना चाहती हो तो ताबीज फेंक दो।

शब्बो ताबीज फेंक देती है। जिन्न जावेद को छोड़ देता है। और शब्बो के पास पहुंच जाता है।

जावेद और फातिमा, मौलवी के साथ शब्बो के कमरे में पहुंच जाते हैं। कलाम की ताकत से वह जिन्न वहां से भाग गया।
सभी को लगता है कि जिन्न वहां से भाग गया लेकिन वह जिन्न वहीं था। वह मौलवी और जावेद पर हमला करके बेहोश कर देता है।
इसी बीच फातिमा और शब्बो बाहर भागने लगती है। लेकिन जिन्न वहां पर भी पहुंच जाता है और फातिमा को हमले से बेहोश कर देता है।
जिन्न अब शब्बो की ओर बढ़ने लगता. है।

तभी शब्बो उस जिन्न से कहती है कि तुम ये सब मेरे बच्चे के लिए कर रहे हो लेकिन मेरे जीते जी तुझे बारिश कभी नहीं मिलेगा और ऎसा कहते ही शब्बो अपने पेट में पास में पड़े काँच के टुकड़े से बार करती है और खुद को मार देती है। ये देख यासिर रोने लगता है और हमेशा के लिए वहाँ से चला जाता है।

मौलवी की वजह से जावेद और फातिमा तो बच गए लेकिन शब्बो को कोई नहीं बचा पाए।

सुबह हो चुकी थी सभी लोग घर को जलाने के आ चुके थे। लोग घर को जलाते तब तक जावेद, फातिमा और मौलवी सही सलामत बाहर आ गए थे।

दोस्तो, जिन्नातों की सच्ची कहानियाँ 'सीरीज कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और साथ ही मुझे फॉलो करना न भूलें!,

आपका अपना सोनू समाधिया रसिक 🤗🤗🤗

💀समाप्त 💀
(©SSR'S Original हॉरर)
💕 राधे राधे 🙏🏻 ♥️