रमणीक दुबे ने कमेटी के अन्य सदस्यों समर्थ गुप्ता,सुकान्त श्रीवास्तव, जोगिंदर सिंह को चिन्मय से हुई वार्ता एव नाटक के नारी पात्र के चयन के संदर्भ में बताया और प्राचार्य हृदयशंकर सिंह जी को पूरी जानकारी देने के लिए सबको साथ चलने के लिए कहा कमेटी के सारे सदस्य रमणीक दुबे के साथ हृदयशंकर सिंह के पास पहुंचे ।
नारी पात्र के रूप में सौभाग्य के चयन कि जानकारी दी हृदयशंकर सिंह चौक गए और कमेटी के सदस्यों पर झिझकते हुये बोले आप लोगो ने यह जानते हुए कि सौभाग्य केवल प्राइमरी शिक्षा तक वह भी बिना पाठशाला के पढ़ी है आप लोगों ने नाटक में नारी पात्र के लिये चयन कर लिया।
संवाद बोलना बहुत कठिन सामने बैठे दर्शकों के बीच अच्छे अच्छे के लिये मुश्किल हो जाता है गांव की बोली भाली लड़की जो कभी कक्षा कि भीड़ में नही बैठी एका एक नाटक के मंच से शसक्त नारी पात्र का संवाद बोल पाएगी। कमेटी के अन्य सदस्य जोगिंदर सिंह ,सुकान्त श्रीवास्तव, समर्थ गुप्त ने कहा सर रमणीक दुबे जी ने चिन्मय के आश्वासन पर सौभाग्य को नारी पात्र के रूप में चुना है चिन्मय ने आश्वासन दिया है कि रिहर्सल में सौभाग्य कि योग्यता को देखा परखा जाय। प्राचार्य हृदयशंकर सिंह द्वारा यह जानने के बाद की चिन्मय द्वारा प्रस्तावित है नाटक के नारी चरित्र कि पात्र है सौभाग्य उनके संसय में कमी अवश्य आयी लेकिन आश्वस्त नही हुए बोले माना कि चिन्मय बहुत होशियार और विद्यालय का अभिमान है कही अति आत्म विश्वास में तो उसने निर्णय नही ले लिया रमणीक दुबे बोले नही सर चिन्मय ने पूरे सोच समझ कर मुझे सौभाग्य के विषय मे आश्वस्त किया तब हमने अपने विवेक से सौभाग्य को नाटक के नारी चरित्र हेतु चयनित किया है।
प्राचार्य हृदयशंकर सिंह बोले ठीक है आपके विवेक और चिन्मय के विश्वाश कि परीक्षा रिहर्सल के दिन हो जाएगी लेकिन ध्यान रहे रिहर्सल के बाद इतना समय ही नही होगा कि किसी भी दूसरे नारी पात्र को चयनित कर नाटक हेतु दक्ष किया जा सके।
रमणीक दुबे बोले सर अब जोखिम तो चिन्मय के कहने पर मैने उठा ही लिया है आप सभी रिहर्सल कि प्रतीक्षा करे एव ईश्वर पर भरोसा करें जो होगा अच्छा ही होगा कहते हुए निकले विद्यालय प्रांगण में नाटक के पात्र कोल बस्तियों में जाने हेतु दुबे जी की प्रतीक्षा कर रहे थे उनमें चिन्मय नही था दुबे जी ने पूछा चिन्मय कहा है छात्रों ने एक स्वर में कहा कि चिन्मय सुबह सात बजे से ही सीधे कोल बस्ती चला गया है वही मिलेगा दुबे जी जब छात्रों को लेकर कोल बस्ती नेवाड़ी पहुंचे दिन के ग्यारह बज चुके थे उन्होंने देखा शेरू बैठा है और चिन्मय सौभाग्या को नाटक के संवाद बोलने के तौर तरीके और शैली सीखा रहा है ।
दुबे जी अपने साथ के छात्रों को लेकर नेवाड़ी से मंझारी गए और पुनः कुछ देर बाद नेवाड़ी लौट कर चिन्मय से पूछा चिन्मय तुमने कहा था कि सौभाग्य को कब पढ़ाया है और सौभाग्य से कैसे मुलाकात हुई यह तुम मुझे बताओगे चिन्मय ने बिना किसी भूमिका के दुबे जी से सुगा खरीदने से लेकर दो वर्षों तक सौभाग्य को पढ़ाने के अतीत को सिलसीलेवार बताया चिन्मय ने बताया कि उसके बाद उसकी मुलाकात सौभाग्य से यही हुई थी दुबे जी आश्वस्त होकर अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते रहे धीरे धीरे रिहर्सल का समय आ गया छात्रों ने कोल आदिवासी संस्कृति भाषा बोली बहुत कुछ भाव भंगिमा में उतार लिया था रमणीक दुबे ने छात्रों से कहा दो दिन बाद रिहर्सल है कल कोल बस्ती में आप लोंगो का अंतिम दिन है ।
चिन्मय बोला सर कल आपकी उपस्थिति में विद्यालय मे रिहर्सल से पूर्व रिहर्सल का आयोजन होता तो नाटक के नारी पात्र सौभाग्य के विषय मे आप भी आश्वस्त हो जाते दुबे जी को चिन्मय का सुझाव रास आया उन्होंने कहा मझारी ,नेवाड़ी एव आस पास के गांवों में डुगडुगी पिटवाया जाय कि कल आदर्श उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के छात्र कोल आदिवासी आधारित नाटक का रिहर्सल करेंगे सभी कोल परिवार सादर आमंत्रित है ।
मुखिया जोगी से दुबे जी ने स्वंय विनम्रता पूर्वक निवेदन किया कि सभी परिवारों के साथ कल बच्चों का उत्साह वर्धन करे ।
दूसरे दिन आस पास गांवों के लगभग सभी कोल परिवार स्कूली बच्चों का खुद कि संस्कृति पर आधारित नाटक का पूर्वाभ्यास देखने के लिए एकत्र हुए।
अपरान्ह तीन बजे आदिवासी परिवेश में नाटक का मंचन छात्रों ने शुरू किया ज्यो ज्यो नाटक बढ़ता कोल समुदाय गौरवान्वित हो बड़े शांत भाव से नाटक के पात्रों में स्वंय कि अनुभूति करता एकाएक नाटक में सौभाग्य के पात्र का आगमन हुआ सभी कोल परिवार के सदस्य क्या युवा क्या बुद्ध औरत लड़कीयो के आश्चर्य का ठिकाना ही नही रहा संवाद ऐसे बोल रही थी सौभाग्य जैसे कोई मजा हुआ मंचीय कलाकार।
रमणीक दुबे सौभाग्य के किरदार को स्तब्ध होकर देखते ही रह गए मन ही मन सोचने लगे कि वास्तव मे चिन्मय ने बिल्कुल सही नारी पात्र का चयन किया है नाटक का रिहर्सल पूर्व रिहर्सल शाम को समाप्त हुआ।
रमणीक दुबे खड़े होकर हाथ जोड़ते हुए सभी कोल परिवारों का आभार व्यक्त करते बोले कि आप लोंगो से निवेदन है कि आप लोग विद्यालय में नाटक देखने अवश्य आएं विद्यालय के प्राचार्य जी को लेकर हम सभी पुनः आपको औपचारिक न्योता देने आएंगे इस नाटक का उद्देश्य भी तभी पूरा होगा जब आप सभी विद्यलय नाटक देखने आएंगे एव नाटक के संदेश को समझ आत्म साथ करने कि कोशिश करेंगे।
नाटक में सहभागिता करने वाले सभी छात्र एव कमेटी के सदस्य रमणीक दुबे,समर्थ गुप्त ,सुकान्त श्रीवास्तव ,जोगिंदर सिंह प्राचार्य हृदय शंकर के कक्ष में पहुंचे प्राचार्य ने बड़ी गर्म जोशी से सबका स्वागत किया और सबको उनके परिश्रम एव लगन के साथ कार्य करने के लिये साधुवाद देते बोले विद्यालय का वार्षिकोत्सव शुरू होने में मात्र तीन दिन ही शेष बचे है निर्धारित कार्यक्रमों कि रूप रेखा बनाई जा चुकी है सिर्फ कोल जनजाति को आमंत्रित करना एव नाटक का रिहर्सल शेष कार्य हैं नाटक का रिहर्सल कल होगा आज हम लोग कोल जनजातीय बस्तियों में नाटक देखने हेतु आमंत्रित करने चलते है ।
प्राचार्य हृदयशंकर का आदेश मिलते ही रमणीक दुबे एव कमेटी के सभी सदस्य प्राचार्य के नेतृत्व में कोल बस्तीयों को चल दिए मझारी, नेवाड़ी,गौसड ,विलासपुर आदि सभी गांवों के कोल समाज को एकत्र करने के लिए डुगडुगी बजायी गयी गांवों के मुखिया से कमेटी के लोंगो ने व्यक्तिगत एक साथ एकत्र होने के लिए अनुरोध किया बहुत निहोरा करने एव समझाने पर एक बार फिर कोल समुदाय एक साथ एकत्र होने के लिए राजी हुआ कारण था छात्रों द्वारा आदिवासी समाज के बीच रहकर उनकी संस्कृति सीखना आदिवासी नही चाहते उनके जीवन संस्कृति में किसी का भी हस्तक्षेप हो वह स्वतंत्र एव निर्द्वंद जीवन शैली के आदि है ।
अपरान्ह तीन बजे आस पास के सभी कोल बस्ती के जवान बृद्ध औरतें एकत्र हुई प्राचार्य हृदयशंकर जी ने बड़ी विनम्रता पूर्वक सभी का स्वागत करते हुए बोले आदिवासी जो वन जंगलों में रहता संस्कृतियों के विकास की धुरी धारा है ज्ञान के प्रकाश केंद्र गुरुकुलों एव ऋषि मुनियों के आस पास ही जिन्होंने जन्म लिया और पीढ़ी दर पीढ़ी चले आ रहे है कुल्ल भिल्ल जिनकी चर्चा वेद पुराण धर्म ग्रंधो सनातन सत्य के संस्कार के रूप में है ईश्वर के सृष्टि में अवतरण से निर्वाण तक आदिवासी आदि अनादि काल से है प्रकृति का देवता आदिवासी वन जंगलों का रक्षक और सृष्टि मानवता का संवर्धन संरक्षण करने वाला समाज आदिवासी शिक्षा एव जीवन की मूलभूत सुविधाओं से अब तक वंचित है तो कारण है उसका जागृत ना होना स्वंय के प्रति जागरूक ना होना मैं चाहता हूँ मेरी इच्छा है कि अदिवासी समाज नई चेतना के साथ जागृत हो अपने भविष्य की पीढ़ियों के लिए सर्वोत्तम समय सुविधाओं के मार्ग का निर्माण करें इसके लिये आवश्यक हैं आदिवासी समाज शिक्षित हो जागरूक हो मेरे विद्यलय आदर्श उच्चतर माध्यमिक विद्यलय के आस पास कोल जन जाती है जिसे आधार मानकर मैंने एक नाटक लिखा है जो आप सबके अपने जीवन समाज की वास्तविकताओ को उजागर करता आवश्यकताओ को रेखांखित करता सत्ता एव आत्म सत्ता को झकझोरता आवाज देता है आप लोंगो ने इसका रिहर्सल कल देखा था सम्पूर्ण नाटक का मंचन आप आदर्श उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्रांगण में आए देंखे समझे चिंतन करें।
नाटक के दिन आप लोंगो को विद्यालय तक आने जाने कि उपलब्ध सुविधा प्रदान किया जाएगा।
मैं विद्यालय का प्राचार्य होने के नाते सादर विनम्रता पूर्वक आप सभी को आमंत्रित करता हूँ सभा समाप्त हुई कमेटी के सदस्य एव प्राचार्य जी विद्यालय लौट गए कोल आदिवासीयो में नाटक चर्चा का विषय बन चुका था कुछ कहते मेरी समझ मे तो कुछ नही आता कुछ कहते अच्छा कार्य स्कूल द्वारा किया जा रहा है कुछ का मत था ए सब चोचले बाजी है जिसका कोई मतलब नही निकलने वाला।
जिसकी जैसी सोच उसके वैसे विचार लेकिन एक बात पर सब एकमत थे कि नाटक जरूर देखा जाय ।
विद्यलय लौटने के बाद प्राचार्य हृदयशंकर सिंह ने नाटक मंचन कमेटी को बुलाया कमेटी के सारे सदस्त उपस्थित हुए प्राचार्य जी ने बड़े शक्त लहजे में समर्थ गुप्त एव सुकान्त श्रीवास्तव को नाटक के दिन रोडवेज विभाग से दो बसों को सुबह से शाम सिर्फ विद्यालय से कोल बस्तियों तक चलाने के लिए विभाग से सम्पर्क कर एव निर्धारित शुल्क जमा कर सुनिश्चित करने का आदेश दिया तो रमणीक दुबे को नाटक के दिन अधिक से अधिक कोल आदिवासियों कि सहभागिता सुनिश्चित कराने की जिम्मेदारी दी जोगिन्दर सिंह को नाटक के सफल मंचन एव रिहर्सल आदि कि जिम्मेदारी दी सभी अध्यापक अपनी अपनी जिम्मेदारियों के उत्कृष्ट निर्वहन हेतु जुट गए।
विद्यालय के अन्य अध्यापक खेल कूद गायन वात विवाद आदि प्रतियोगिताओं का संचनल कर रहे थे।