उजाले की ओर--संस्मरण
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नमस्कार
स्नेही मित्रों
वैशाली की परेशानी से मन व्यथित था | जहाँ जाती काम की समस्या आड़े आती | ऐसा नहीं था कि वह शिक्षा में कम थी अथवा उसे कोई काम मिलता नहीं था, उसकी शिक्षा भी आज की शिक्षा -नीति के अनुसार अच्छी थी लेकिन उसके साथ सबसे बड़ी परेशानी यह थी कि वह किसी को उत्तर ही नहीं दे पाती थी | किसी ने अगर उसे कुछ कह दिया तो उसकी आँखों से टप टप आँसु झरने लगते और वह असमंजस में ही पड़ जाती | इस सीधे स्वभाव के कारण दूसरे उसका लाभ उठाने में समर्थ हो जाते और उसे कई ऐसे काम भी करने पड़ते जिन्हें न तो वह करना चाहती थी और न ही वे काम उसके करने के दायरे में आते थे |उसे लगता न जाने उसकी ज़िंदगी में कितने झंझावात आते हैं और वह उनको झेल पाने में क्यों असमर्थ रहती है ?
ज़िंदगी में न जाने कितने उतार-चढ़ाव, उठा-पटक आती है मित्रों लेकिन उन्हें झंझावात समझने की भूल करना ठीक नहीं है |ये तो ऐसे ही होती है जैसे अभी गर्म हवा आ गई और उसके गुजरने के बाद ठंडी हवाओं ने मन को सुरभित कर दिया |
हाँ, इसमें भी संशय नहीं है कि न जाने किस समय हमारे जीवन में इतनी बड़ी कठिनाई आ खड़ी हो जो वास्तव में झंझावात के समान कष्टकारी भी हो | उस समय हम उनसे कैसे पीछा छुड़ा सकेंगे जब हम स्वयं को छोटी-छोटी बातों में कमजोर सिद्ध कर देंगे | हमारा लाभ ऐसे लोग भी उठाएंगे जो हमसे बहुत कमज़ोर और असमर्थ भी हैं |
झंझावात को झेलने में वही समर्थ होता है जिसकी जड़े गहरी होती हैं हममे से हर व्यक्ति के लिए यह चिंतन करना आवश्यक है कि हम अपनी जड़ से कैसे मजबूत हों? केवल फूल, पत्तों पर ही ना इतराए क्योंकि जितनी ऊपर की ऊंचाई अपेक्षित है उतनी नीचे की गहराई भी। जब किसी को समस्या सुलझाने का रास्ता नहीं दिखता है तो वह बेचैन होने लगता है, चिंता करने लगता है उस स्थिति में वह समझ ही नहीं पाता कि अपनी भावनाओं और प्रतिक्रियाओं पर कैसे काबू रखे। हम चूंकि समस्याओं से भागते हैं, उन्हें स्वीकारते नहीं हैं इसीलिए उनके समाधान के विषय में सोच भी नहीं पाते हैं।
समस्या सामने आने के समय हमारे लिए अपनी इच्छा शक्ति को बिखरने देने की जगह उसको समेटने का प्रयत्न करना आवश्यक व महत्वपूर्ण है | हमें समस्या के मूल पर अपना ध्यान केंद्रित करना होगा। अपनीसमस्त ऊर्जा उसमें लगा देनी है कि आखिर हममें ऐसी क्या कमी है जो लोग हम पर हावी हो जाते हैं |
हाँ, एक बात हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है कि हम अपने हिस्से के काम को पहले पूरा करें, उसे दूसरों के लिए दूसरे स्थान पर न रखें | हम अपने काम मे अपनी ऊर्जा लगा दे और अपने काम को हरगिज़ दूसरों के लिए न छोड़ें |
वैशाली की परेशानी यही है कि चाहे उसका काम अधूरा रह जाए, वह स्वयं सफ़र करे लेकिन दूसरों के काम को अपने सिर और कंधे पर ओढ़कर वह खुद ही झंझट में फंस जाती है |अपना काम पूरा न कर पाने पर उसका रेकॉर्ड खराब भी होता है और दूसरों को कुछ न बोलकर वह खुदको कमजोर पाने लगती है |
कौनसी बात ऐसी है इस दुनिया में कि उसका समाधान नहीं मिलता |हमारे सामने जब लक्ष्य होता है तब उसका समाधान अवश्य मिलेगा।: इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि जिंदगी में जो हो रहा है वह अच्छा है या बुरा। ख़ुशी समस्याओं की गैर मौजूदगी का नाम नहीं हैं, बल्कि समस्याओं से निपटने के सामर्थ्य का नाम हैं। हमें इस बात को देखना है कि हम किस प्रकार से अपनी समस्याओं का समाधान स्वयं ही तलाशते हैं|
वैशाली मेरे पास कई वर्षों से आ रही थी, मैं देखती थी वह अपने काम को लेकर काफ़ी परेशान रहती है लेकिन वह मेरी दोस्त न होकर मेरी दोस्त की बहन थी जिसने हमारे बड़ा होने के बाद हममें घुलना-मिलना छोड़ दिया था | सबसे अलग थलग रहने पर उसकी मानसिक ग्रन्थि में और भी ढीलापन बढ़ गया |
मित्रों ! सबसे पहले किसी भी बात को बेहतर करने के पहले हम अपने स्वभाव के पीछे पड़ जाएं और जहाँ तक हो सके सामने वाले को तहज़ीब से जवाब देना सीखें जिससे वह हमें मूर्ख बनाकर हमें डिप्रेशन में जाने के लिए मज़बूर न कर सके | अपनी योग्यता और काम करने की योग्ता पर ही सोच के प्रश्न चिन्ह लगाकर उसके समाधान के बारे में सोचें और अपने जीवन को सुंदर तरीके से जीने की आकांक्षा बनी रहे |
मित्रों!इस चिंतन के बारे में आपका क्या विचार है ?
आप सबकी मित्र
डॉ प्रणव भारती