नाम जप साधना - भाग 3 Charu Mittal द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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नाम जप साधना - भाग 3

नाम जप कीर्तन से पापों का नाश

गोविन्देति तथा प्रोक्तं भक्त्या वा भक्ति वर्जितैः ।
दहते सर्वपापानि युगान्ताग्निरिवोत्थितः।।

मनुष्य भक्ति भाव से या भक्ति रहित होकर यदि गोविन्द नाम का उच्चारण कर ले तो नाम सम्पूर्ण पापों को उसी प्रकार दग्ध कर देता है। जैसे युगान्तकाल में प्रज्ज्वलित हुई प्रलय अग्नि सारे जगत् को जला डालती है।
अनिच्छयापि दहित स्पृष्टो हुतवहो यथा ।
तथा दहति गोविन्दनाम व्याजादपरितम् ।।

जैसे अनिच्छा से भी स्पर्श कर लेने पर अग्नि शरीर को जला देती है उसी प्रकार किसी बहाने से लिया गया हरि नाम पाप को जला देता है ‘वृहदपुराण' में तो यहाँ तक लिखा है कि–
नाम्नोऽस्य यावती शक्ति: पापनिर्हरणे हरेः।
तावत्कर्तुं न शक्नोति पातकं पातकी जनः।

श्रीहरि के नाम में पाप नाश करने की जितनी शक्ति है उतना पाप, पापी कर ही नहीं सकता।


नाम से मुक्ति और परमधाम प्राप्ति

किं करिष्यसि सांरव्येन किं योगैर्नरनायक।
मुक्तिमिच्छसि राजेन्द्र कुरु गोविन्द कीर्तनम् ।।

हे नरेन्द्र! सांख्य और योग अनुष्ठान करके क्या करोगे? यदि मुक्ति चाहते हो तो गोविन्द का कीर्तन करो।
यथा कथंचिद् यन्नाम्नि कीर्तिते वा श्रुतेऽपि वा ।
पापिनोऽपि विशुद्धस्युः शुद्धा मोक्षमवाप्नुयुः ।।

भगवान् के नाम का जिस किसी भी तरह उच्चारण या श्रवण कर लेने पर पापी भी विशुद्ध हो जाते हैं और शुद्ध पुरुष मोक्ष को प्राप्त कर लेते हैं।
जिह्वाग्रे वर्तते यस्य हरिरित्यक्षरद्वयम् ।
विष्णुलोकमवाप्नोति पुनरावृत्ति दुर्लभम् ।।

जिसकी जीभ के अग्रभाग पर 'हरि' ये दो अक्षर विद्यमान हैं, वह पुनरावृत्ति रहित श्रीहरि के धाम को प्राप्त कर लेता है।
नारायणमिति व्याजादुच्चार्य कलुषाश्रयः ।
अजामिलोऽप्यऽगाद्धाम विमुत श्रद्धया गृणन् ।।

पुत्र के बहाने “नारायण” – इस नाम का उच्चारण करके पाप का भण्डार अजामिल भी भगवान् के धाम में चला गया। फिर जो श्रद्धा पूर्वक भगवान् के नाम को लेता है, उसकी मुक्ति के लिए तो कहना ही क्या है।


श्री गुरु ग्रन्थ साहिब में नाम जप की महिमा

गुरु मुखि नामु जपहु मन मेरे, नानक पावहू सुख घनेरे।
मेरे मन गुरु के मुख से सुनकर नाम जप कर। इससे तू बहुत सुख पायेगा।
सकल सृष्टि को राजा दुखिया, हरि का नाम जपत होई सुखिया।
सारी सृष्टि का अधिपति होकर भी जीव दुखी ही रहेगा। हरि का नाम जप करके ही जीव सुखी होगा।
जिह मारिग इहू जात इकेला, तह हरि नामु संगि होत सुहेला।
मृत्यु के बाद जिस मार्ग से यह जीव अकेला जाता है, वहाँ हरि का नाम ही सुखदायक होता है।
अनेक विघ्न जह आई संधारै, हरि का नाम तत्काल उघारै। अनेक विघ्न जहाँ आकर जीव को दबा लेते हैं, वहाँ हरि नाम उसी क्षण उबार लेता है।
हरि का नामु दास की ओट, हरि के नाम उघरे जन कोटि।
हरि का नाम दास का सहारा है। हरि नाम से करोड़ों जीव तर गए।
हरि का नाम जपत दुखु जाई, नानक बोलै सहज सुभाई ।
हरि नाम जपने से दुख चला जाता है, स्वाभाविक ही हरि नाम जपता रहे।
जे को आपुना दुखुमिटावै, हरि हरि नामु रिदै सत गावै।
यदि कोई अपना दुःख मिटाना चाहता है तो सदा हृदय से हरि- हरि इस प्रकार गाता रहे।
भरिये मित पापां के संगि ओहु धोपै नावै के रंगी।
यदि बुद्धि पापों से भर गई तो वो नाम के रंग से धोई जाती है। सर्व धरम महि श्रेष्ठ धरमु, हरि को नाम जपि निश्चल करमु ।
सब धर्मों में श्रेष्ठ धर्म है हरि नाम जप, ये सबसे पवित्र कर्म है।
जो जो जपै तिस की गति होइ, साधसंगि पावै जनु कोई।
जो जपता है उसी की मुक्ति होती है। साधु संग से नाम को कोई बिरला ही पाता है।

[ जय श्री हरि ]🙏