साथिया - 13 डॉ. शैलजा श्रीवास्तव द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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साथिया - 13

शालू को उसके घर छोड़कर इशान अपने घर की तरफ निकल गया।

शालू से बातचीत कर कर और उससे मिलकर ईशान को अच्छा लगा था।अच्छा

"लड़की अच्छी है दोस्ती की जा सकती है।" इशान खुद सही बोला।

"एकदम सिंपल...! अपने पापा के पैसे का कोई घमंड नहीं है तभी तो स्कूटी से घूमती है, वरना अबीर राठौर की क्या पोजीशन है शहर में हर कोई जानता है। और यही सिंपलीसिटी उसकी मुझे भाई।" इशान बोला और उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई।

तभी ख्याल मनु का आ गया।

" हे भगवान उस भूतनी ने ना जाने क्या क्या बोला होगा घर जाकर ?!अब बस मम्मी सवाल लेकर बैठी होंगी।" ईशान सोच रहा था।

क्या क्या जवाब देगा इशान ने मन ही मन कहा और फिर बाइक घर की तरफ मोड़ दी।

"जैसा कि उसे पहले से ही अंदाजा था उसने हॉल में कदम रखा ही था कि साधना की तेज चुभती हुई नजर उसे अपने पर महसूस हुई। उसने नजर उठाकर देखा तो मनु साधना के पास बैठी एक पैर के ऊपर अपना दूसरा पैर रखे स्टाइल से हिला रही थी। उसने अपने दोनों हाथों को बांधकर सिर के पीछे टिका रखा था। मानो बोल रही हो कि "अब बच के दिखा बच्चू।"


अक्षत अपने कमरे में था और अरविंद अब तक ऑफिस से नहीं आए थे।

" थैंक गॉड कि पापा नहीं है पर यह अक्षत कहां चला गया होता तो इस भूतनी से बचा लेता। पता नहीं क्या-क्या नमक मिर्च लगाकर बोली होगी मम्मी से...!" इशान बोला और धीरे से अपने कमरे की तरफ जाने लगा।

"रुको..!" तभी साधना की आवाज आई तो ईशान के कदम रुक गए।

उसने नजर उठाकर साधना की तरफ देखा और चेहरे पर एक बनावटी मुस्कान लेकर उनके पास आया।

"जी मम्मी कहिए कुछ काम था क्या आपको? " ईशान ने कहा।

"हां बैठो तुमसे कुछ बात करनी है!" साधना ने कहा।

"मम्मी अभी बहुत थक गया हूं फ्रेश होकर आता हूं फिर आराम से बात करेंगे !" ईशान ने कहा।


"नहीं अभी बात करनी है इतना भी नहीं थके हो कोई...;पढ़ने ही तो जाते हो कोई पहाड़ थोड़े ना तोड़ रहे हो वहां कि थक के आए हो।" साधना ने सख्ती से कहा तो ईशान चुपचाप सामने बैठ गया।

उसने वापस से मनु की तरफ देखा तो मनु ने हौले से अपनी उल्टी आंख दबा भी।

इंसान की आंखें बड़ी हो गई,

"बाय गॉड बड़ी खतरनाक हो गई है यह भूतनी तो मुझे आंख मार रही है..! साधना के बोलने के बाद ईशान ने मन ही मन बोला।

पर उसने साधना से कोई सवाल नहीं किया और खामोश बैठा रहा।

"यह मनु क्या बता रही थी ? क्या बता रही थी? क्या चल रहा है यह सब?" साधना ने जैसे ही कहा ईशान ने आंखें बंद की और रट्टू तोते की तरह एकदम से बोल पड़ा।

"नहीं मम्मी यह भूतनी एकदम सही नही कह रही है। गलत कह रही है । आज पहली बार ही मैं मिला हूं शालू से...! हम दोनों के बीच में ऐसा कुछ भी नहीं है। कोई लव अफेयर नहीं है कोई चक्कर नहीं है। आप तो जानती हो आपका बस बेटा कितना भोला भाला सीधा सादा है। जब भी ऐसी कोई बात होगी सबसे पहले आपको ही बताऊंगा मम्मी। प्लीज इसकी बात का बिल्कुल भी विश्वास मत करना, यह तो है ही झूठी भूतनी...! हर समय मेरी वाट लगाए रहती है। सच कह रहा हूं मम्मी मेरे और शालू के बीच में ऐसा कुछ भी नहीं है। मैं बस उसकी मदद कर रहा था उसकी स्कूटी खराब हो गई थी ना इसलिए और आप ही ने तो सिखाया है कि हमेशा दूसरों की मदद करनी चाहिए।" ईशान बोला।


अपने कमरे से निकलते हुए अक्षत ने उसकी बात सुनी तो अपना सिर पीट लिया।

साधना ने आंखें छोटी कर ईशान को देखा तो ईशान ने साधना को देखकर मनु की तरफ देखा।


मनु मुंह फाड़े उसे यह देख रही थी और फिर अगले ही पल सोफे पर हाथ मार खिलखिला उठी।


वह हंसते हंसते लोटपोट हो गई और साधना मंद मंद मुस्कुरा रही थी।

अक्षत के चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गई पर ईशान के चेहरे का रंग ही उड़ चुका था।


'क्या हुआ ? मैंने अब तो आपको सारा सच सच बता दिया फिर कहां गलती कर दी मैंने? " ईशान कन्फ्यूज सा बोला।

"पर मैंने तुमसे इसके बारे में कुछ पूछा ही नहीं था। " साधना ने कहा

"तो यही तो इस मनु भूतनी की नानी ने आपको बताया होगा? इसने आपके कान भरे होंगे ना इसलिए मैंने खुद ही बता दिया।"ईशान बोला।

"नहीं तो मनु ने तो ऐसा कुछ भी नहीं कहा वह तो बता रही थी कि कॉलेज में तुम्हारा काफी अच्छा परफॉर्मेंस चल रहा है और मैं तो बस ऐसे ही तुम्हारी टांग खिंचाई करने के लिए पूछ रही थी कि क्या चल रहा है?" साधना ने कहा तो ईशान मन ही मन कुढ़ गया।

"पर यह शालू कौन है? तुम्हारी तो किसी लड़की से दोस्ती नही थी और आज अचानक से किसी लड़की का जिक्र वह भी मेरे बेटे की जुबान से ?" साधना ने आँखे बड़ी करके कहा।

"मम्मी..!" इशान बोला।

" मेरे बेटे की बाइक पर पहली बार लड़की बैठी और मुझे पता ही नहीं है।" साधना ने कहा तो इशान ने घूरकर मनु को देखा तो बदले में मनु फिर से हंसने लगी।

"यह भूतनी हमेशा मुझे ऐसे ही फंसा देती है...! मुझे लग रहा था इसने मम्मी को सब बता दिया पर इसने तो कुछ भी नहीं बताया और मैं नहीं हड़बड़ी में सब बता गया। अब क्या करूं?" ईशान बोला।

"मैं तुमसे कुछ पूछ रही हूं.. इशू...! कौन है यह शालू?" साधना बोली।

"मम्मी मेरे कॉलेज की लड़की है ..! जूनियर है आज रास्ते में उसकी स्कूटी खराब हो थी तो मैंने उसे लिफ्ट दे दी और यह इसीलिए मुझे चिढ़ा रही थी और मुझे लगा घर पर आकर यह आपको भी उल्टा सीधा मेरे खिलाफ भड़का देगी। इसलिए मैंने आपको सब बताया बाकी ऐसा कुछ भी नहीं है मेरे और उसके बीच। आज पहली मुलाकात हुई थी बस उसे उसके घर छोड़कर ही आ रहा हूं मैं।" इशान ने अब सारी बात बताई।

"हां तो इसमें तो कुछ भी गलत नहीं है...! तो फिर तुम इतना घबरा क्यों रहे हो? " साधना ने कहा।


"मैं घबरा नहीं रहा मम्मी मैं तो यह सोच रहा था कि इसने न जाने क्या बोल दिया है बस इसलिए थोड़ा सा नर्वस हो गया था बाकी आप तो जानती हो अपने इशू को...; मैं ऐसा कुछ भी गलत काम नहीं करूंगा जो आपको और पापा को तकलीफ दे। " ईशान ने मासूम सा फेस बना कर कहा तो मनु ने आंखें बड़ी करके उसे देखा।


"क्या मस्त गिरगिट की तरह रंग बदलता है तू हद है..!" मनु बोली।

'तू चुप कर भूतनी..! पहले खुद आग लगाती है और फिर बाद में मजे लेती है।" ईशान ने कहा।


"हां तो तू है ही इतना बुद्धू...! पहले पूछना चाहिए था ना कि आंटी किस बारे में बात कर रही हैं? उन्होंने कुछ पूछा नहीं कुछ सवाल नहीं किया और खुद ही ने पूरी महाभारत लेकर सुना दी और फिर दोष मुझे दे रहे हो। भाई इसमें मेरी क्या गलती है? मैंने तो कुछ भी नहीं कहा था। तुम्हारी गलती है कि तुमने अपने मुंह से सब कुछ से बोला। " मनु बोली और कंधे उचका कर अपने कमरे की तरफ चली गई।


"मम्मी मैं भी जाऊं..!" ईशान बोला और साधना ने जैसे ही गर्दन हिलाई ईशान एकदम से वहां से भाग खड़ा हुआ ला।


अक्षत आकर साधना के पास बैठ गया।

"कौन है यह शालू?" साधना ने कहा।

" अबीर राठौर की बेटी है। हमारे कॉलेज में हमारी जूनियर है और इशू ने जो कुछ कहा बिल्कुल सही कहा। आज पहली बार ही उसकी मुलाकात हुई है ऐसा कुछ भी नहीं है मम्मी जैसा आप सोच रही हो।" अक्षत बोला।

"पता है मुझे... विश्वास है तुम तीनो पर बस तुम से कंफर्म कर रही थी। जानती हूं मैं तुम दोनों की जिंदगी में जब भी ऐसा कुछ होगा तुम लोग मुझे जरूर बताओगे। तुम तो मुझे बता भी चुके हो उस जूनियर सांझ के बारे में जो तुम्हें अच्छी लगी है। रही बात इशू की तो मैं जानती हूं कि उसके दिल में अगर किसी लड़की के लिए एहसास होंगे तो वह अपनी मां से कभी नहीं छिपायेगा। " साधना ने अक्षत के सिर पर हाथ रख कर कहा और फिर वह किचन में चली गई।


"आपको सब बता चुका हूं पर उसी को कहने की हिम्मत नहीं है जिसके लिए दिल में एहसास है... और अभी मैं बता भी नहीं पाऊंगा। पहले थोड़ा सा समय बीतने दो थोड़ा मैं कुछ बन जाऊं किसी लायक हो जाऊं तो उससे कुछ कहूंगा और फिर वह भी तो अभी अभी आई है। जूनियर है इस तरीके की बातों में पड़ जाएगी तो उसकी पढ़ाई डिस्टर्ब होगी ला। उसको भी अपनी पूरी पढ़ाई करना चाहिए बाकी प्यार मोहब्बत के लिए तो पूरी जिंदगी पड़ी है।" अक्षत ने मन ही मन कहा और फिर उठकर बाहर निकल गया।


क्रमश:

डॉ. शैलजा श्रीवास्तव