ये तुम्हारी मेरी बातें - 4 Preeti द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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ये तुम्हारी मेरी बातें - 4



कुंडली भाग्य -1

*****************

"किसका जीवन कैसा होगा , सब ऊपर वाले ने लिख रखा है , हम बस वही करते हैं जो भाग्य में लिखा हुआ है।"

"माना कि उच्च कुल में जन्म लिया है तुमने, और उससे भी उच्च कुल में ब्याही गई हो , लेकिन अचानक से पंडिताई करने का क्या औचित्य है?"

"बिना सवाल किए बात कर लोगे , तो धरती इधर की उधर नही हो जायेगी! "

"तुमसे बिना सवाल किए रहा नही जाता , वो क्या है ना, बेतुके जवाब सुनने की आदत हो गई है , इसमें मेरा क्या कसूर ?"

"बातों बातों में मुझे कम अक्ल कहे बिना तुम्हारा खाना नही पचता ना?"

"सीधे मुंह तुमसे बात करने के चक्कर में मेरा मुंह टेढ़ा हो जाता है, नज़र टेढ़ी हो जाती है, और......"

"दिमाग भी टेढ़ा हो जाता है, ये मुझे पता है बताने की ज़रूरत नही!!!"

"और क्या क्या पता है तुम्हें मेरे बारे में , बताओ ना प्लीज़ प्लीज़!!!!"

"पता तो बहुत कुछ है , लेकिन बताने का कोई फायदा नही है , कौन सा मेरा कहा मानने वाले हो , क्यों बोल कर बात खराब करनी अपनी ।"

"अरे!!!! ऐसा क्या पता है तुम्हें? और फायदा क्यों नही है ? तुम्हें लगता है कि तुम कुछ कहोगी और मैं नही सुनूंगा ? मुझसे मन की बात करने का ये मतलब समझती हो तुम ? की तुम्हारी बात ख़राब हो जायेगी ? ऐसा सोचती हो मेरे बारे में?"

"इतने सारे सवालों की ज़रूरत नहीं है, और जो बात सच है सो है , वैसे भी जो पता चला है उस हिसाब से सवाल तो मुझे करने चाहिए , एक नहीं हजारों, आई बात समझ में!"

"अरे देवी मां, क्या जानती हो ? कौन सी दिव्य शक्ति से भूतकाल देख कर बैठ गई हो? किसने कान भर कर खाली दिमाग भर दिया तुम्हारा ? बताओगी ?"

"भूतकाल नहीं, वर्तमान और भविष्य की बात है जो पता चली है!"

"अरि मोरी मईया! श्री श्री १०८ बार माता का नाम जप करके अब सवालों के जवाब पता करने पड़ेंगे लगता है , भविष्य की ज्ञाता जो ठहरी माता रानी!"

"अभिषेक!"

"प्रतिमा!"

"कुछ भी कह लो , जो पता चलना था सो चल चुका। मेरे बस में जो है , जितना है वो तो मुझे करना है, बाकी तुम्हारे ऊपर है , बात सुनोगे या नहीं।"

"अरे , जलेबी बनाने के कंपटीशन में विजेता थी क्या?"

"क्या?"

"तब से बात घुमाए पड़ी हो , एक बार में कह कर खत्म नहीं कर रही, सस्पेंस क्रिएट करने के चक्कर में मुझे घनचक्कर कर दिया है , बताना है बताओ , वरना?"

"वरना क्या?"

" अरे विनती करता रहूंगा और क्या, राम जाने कौन आके मेरी फूंकी फुकाई गृहस्थी में हवा कर गया है, आग लगा कर ही मानते हैं लोग, क्या बताऊं, कौन है नाम बताओ !"

"कुंडली भाग्य २.० "

"हैं?????"

"एक एप्लीकेशन है, जहां बर्थ डिटेल्स डाल दो, तो भूत भविष्य वर्तमान सब पता चल जाता है!"

"ये ज्ञान तुम्हें किसने दिया? ये करने की बुद्धि किसके कहने पर आई ?"

"किसी ने नहीं कहा , मन किया तो कर लिया , टाइमपास!"

"टाइमपास! टाइमपास में कुंडली भाग्य कौन पढ़ता है? लोग टीवी देखते हैं, मोबाइल में इंस्टाग्राम, फेसबुक, व्हाट्सएप चलाते हैं, सेल्फी खींचते भेजते और मांगते हैं,जो तुमसे होने से रहा , मतलब मांग नहीं सकती ना सही, भेज ही दिया करो, मुझ गरीब का भला कर दिया करो । ऑफिस में बॉस को देख कर पक जाता हूं, अपनी मोहनी सुरतिया दिखा दिया करो, लेकिन नहीं!!!! ये तुम थोड़ी करोगी! तुम तो कुंडली चेक करोगी, और कुंडली भाग्य पढ़ने जितना महान टाइमपास करोगी, और यकीन मानो ऐसा टाइमपास केवल तुम ही कर सकती हो, वाह ! क्या टाइम पास है, तुम्हारा टाइमपास सुन कर मेरा बाई पास हो जाने वाला था ! क्या ही सोच रहा था और क्या निकला, ये तो वही बात हो गई , खोदा पहाड़ निकली चुहिया!!"

" कार्तिक आर्यन वाला मोनोलॉग ज्यादा अच्छा था! ज्यादा बेहतर डायलॉग थे उसके ! ज़्यादा नहीं बोल गए? मुझे चुहिया तक कह दिया तुमने?"

"अब भी असली मुद्दे से कोसो दूर हैं आप मातेश्वरी, कृपा करें, टाइमपास में क्या ज्ञान अर्जित किया है आपने , जिसके कारण मेरा जीवन अंधकारमय प्रतीत हो रहा मुझे, बताने की कृपा कर दीजिए प्लीज़!!!"


शेष अगले भाग में.......