प्यार भरा ज़हर - 18 Deeksha Vohra द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • आखेट महल - 19

    उन्नीस   यह सूचना मिलते ही सारे शहर में हर्ष की लहर दौड़...

  • अपराध ही अपराध - भाग 22

    अध्याय 22   “क्या बोल रहे हैं?” “जिसक...

  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

श्रेणी
शेयर करे

प्यार भरा ज़हर - 18

एपिसोड 18 ( प्लैन फ्लॉप ! )

काश्वी राघव को वहां से जाते हुए देख रही थी | वो उसकी नम आँखें ये ब्यान कर रहें थीं , की काश्वी को राघव की इस बात का कितना बुरा लगा है | पर राघव को तो मानो कोई फर्क ही नहीं पड़ा , वो काव्या को अपनी गोद में उठाकर वहां से चला गया | उसके बाद , काश्वी अपने कॉलेज चली गई | 

शाम को जब काश्वी घर आई , तो राघव उसे कहीं भी नहीं दिखा , काश्वी रंजना जी के कमरे में गई , ओर बोली | 

काश्वी :: "माँ , राघव कहाँ पर हैं ?" काश्वी आसपास देख रही थी | तो रंजना जी काश्वी को अपने पास बेड पर बैठाते हुए बोलीं | 

रंजना जी :: "अभी तक तो वो घर नहीं आया है | पर क्या हुआ बेटा , तुम कुछ परेशान लग रही हो | सब ठीक है न ?" काश्वी रंजना जी की बात सुन , थोडा उदास हो गई | ओर फिर , रंजना जी की आँहों में खुद के लिए इतनी फ़िक्र ओर प्यार देख , काश्वी ने आज सुबह मंदिर में जो भी हुआ | वो बताया | 

काश्वी :: "मुझे अच्छे से याद है माँ , मैंने काव्या को धक्का नहीं दिया था |" काश्वी की बात सुन , रंजना जी बहुत परेशान हो गईं | ओर वो मन ही मन खुद से बोलीं | (जिस बात का डर था  ,वही हो रहा है |  हे भोलेनाथ , ऐसा नहीं होना चाहिए था |) फिर काश्वी के सर पर हाथ रखते हुए , रंजना जी प्यार से बोलीं | 

रंजना जी :: "तुम चिंता मत करो बेटा , तुम जैसा सोच रही हो वैसा कुछ नहीं है | बात सिर्फ इतनी है , की रघु के लिए काव्या  हमेशा से ही उसकी छोटी बेहन जैसे रही है | ओर इसलिए रघु थोडा काव्या के लिए परेशान हो जाता है |"

काश्वी रंजना जी की बात समझ रही थी | इसलिए उसके बाद , काश्वी ने इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया | ओर फिर डिनर तैयार करने के लिए चली गई | काश्वी ओर राघव की शादी को अब काफी समय हो चूका था , तो काश्वी को पहले राघव की पसंद ना पसंद , घर वालों की पसंद ना पसं का पता चल चूका था | सब के लिए खाना बनाने के बाद , काश्वी अपने रूम में कुछ काम करने के लिए चली गई | 

कुछ दिन सब ऐसा ही चलता रहा | काश्वी को अब तक इतना तो पता चल ही चूका था , की राघव के लिए काव्या बहुत जरूरी है | राघव काव्या का ध्यान रखता था | उस पर कोई आंच भी नहीं आने देता था |ओर काश्वी को इतना भी समझ में आ गया था , की काव्या जितनी भोली दिखाई दे रही है , वो इतनी भोली हकीकत में तो बिलकुल भी नहीं है |

काश्वी समझ गई थी , की काव्या को राघव की मासूमियत ओर राघव के प्यार का फायदा उठाना तो अच्छे से आता है | ओर इसी के चलते , काव्या ने राघव को काश्वी से दूर करने की पूरी कोशिश की | पर दिन के एंड में तो राघव को काश्वी के पास ही आना होता था | काव्या अपनी पूरी कोशिश करती थी , की जीता हो सके राघव को काश्वी से डोर रखे , लेकिन राघव को शायद काश्वी से प्यार होने लगा था | ओर ये बात सिर्फ काव्या को ही नहीं , बल्कि घर के हर सदस्य को दिखाई दे रही थी | 

ख़ुशी ओर रोनित भी इस बात को नोटिस कर रहे थे , की राघव को काश्वी से प्यार हो रहा है | क्यूंकि अनजाने में ही सही . लेकिन राघव काश्वी का बहुत ख्याल रखने लगा था | पर काश्वी के मन में बहुत सारे सवाल चल रहे थे | कॉलेज में काश्वी की परफॉरमेंस बहुत शानदार रही थी | ओर काश्वी के बैच मेट्स ने , काश्वी के फर्स्ट आने की ख़ुशी में उस के लिए एक क्लब पार्टी थ्रो करने का सोचा था | 

काश्वी ने रंजना जी की मद्दत से , पार्टी के लिए ड्रेस चूज़ की , वो शाम के समय पार्टी के लिए निकल गई | ओर उसी दिन , काव्या का तो कोई ओर ही प्लैन था | काव्या इस बात से कुछ ज्यादा ही खुश थी की , काश्वी ने आखिर कार राघव को एक दिन के लिए अकेला छोड़ दिया | वरना , राघव तो काश्वी के पिच्छे ही जाता था | वो काव्या के पास रुकता ही नहीं था | काव्या ने किसी काम के बहाने , राघव को शाम के वक्त अपने कमरे में बुलाया था | राघव को भी कुछ अजीब नहीं लगा , क्यूंकि इससे पहले भी काव्या के कमरे में राघव न जाने कितनी ही बार आ चूका था | तो वो इस बार भी चला गया | 

लेकिन आज राघव को तन अजीब लगा, जब राघव ने काव्या कमरे में रेड वाइन देखि | रेड वाइन राघव की पसंदीदा ड्रिंक थी | ओर ये बात काव्या अच्छे से जानती थी | काव्या मन ही मन बोली | 

काव्या :: "आज तो राघव को मैं अपना बना कर ही रहूंगी |" काव्या के प्रोजेक्ट में मद्दत करते करते , काव्या ने राघव को काफी पिला दी थी | जिससे राघव को नशा होने लगा था | 

पर उसके बाद , एक फ़ोन कॉल आता है | राघव अपना फ़ोन देखता है , जल्दी से उस कॉल को उठाता है , ओर उसके बाद जो होता है , उससे काव्या की सारी साजिश पर पानी फिर जाता है | 

आखिर ऐसा क्या तह उस कॉल में ?  राघव को किसका फ़ोन आया था  ? ओर क्या काव्या इसके बाद भी अपनी साजिश में कामियाब हो पायेगी ?

जानने के लिए बने रहिये मेरे साथ |