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साइमन और इंस्पेक्टर हरीश इस्माइल के सामने बैठे थे। दोनों उसे घूर रहे थे। वह समझ गया था कि दोनों उससे पुष्कर के कत्ल के संबंध में पूछताछ करेंगे। उसने कहा,
"आप लोगों को जो भी पूछना है पूछ लीजिएगा। पर मुझे प्यास लगी है। पानी पिला दीजिए।"
इंस्पेक्टर हरीश उठकर बाहर चला गया। कुछ देर बाद पानी की बोतल लेकर लौटा। उसके सामने रखते हुए बोला,
"पानी पी लो। उसके बाद जो हम पूछें उसका सही सही जवाब देना।"
इस्माइल ने पानी की बोतल उठाई। ढक्कन खोलकर आधी बोतल खाली कर दी। बोतल का ढक्कन वापस लगाकर बोला,
"मैं जो जानता हूँ सब सच सच बताऊँगा।"
साइमन ने कहा,
"तुम और कौशल मिले हुए थे। तुम्हारा प्लान था कि तुम सुनसान जगह टैक्सी रोकोगे। कौशल मौका देखकर पुष्कर को मार देगा। फिर तुम लकी ढाबे पर क्यों रुके ?"
इस्माइल ने बोतल सामने मेज़ पर रख दी। उसने कहा,
"आपने कौशल से पूछताछ की होगी। उसने बताया होगा।"
इंस्पेक्टर हरीश ने डांटते हुए कहा,
"तुमसे जो पूछा जाए उसका जवाब दो। तुमने टैक्सी लकी ढाबे पर क्यों रोकी थी ?"
इस्माइल ने कहा,
"कौशल ने मैसेज करके बताया था कि प्लान में कुछ बदलाव आ गया है। मैंने कहा था लकी ढाबे पर मिलकर बात करेंगे। मुझे पता था कि पुष्कर और दिशा रास्ते में चाय पीना चाहेंगे। बीच में कोई अच्छी जगह नहीं थी सिवाय लकी ढाबे के। वही हुआ भी। पुष्कर और दिशा ने किसी ढाबे या चाय की दुकान पर ले चलने को कहा और मैं उन्हें लकी ढाबे पर ले गया।"
इस्माइल ने प्लान में बदलाव वाली बात सही बताई थी। इसलिए साइमन ने बात आगे बढ़ाई। उसने पूछा कि ढाबे पर उसकी कौशल से क्या बात हुई। इसका जवाब भी उसने वही दिया जो कौशल ने बताया था। साइमन ने उससे कहा,
"कौशल के साथ नया प्लान बना लेने के बाद क्या हुआ वह बताओ।"
इस्माइल ने उन्हें अपनी कहानी बताई.....
कौशल के साथ नया प्लान तय कर लेने के बाद वह वापस अपनी टैक्सी में आकर बैठ गया। कुछ देर बाद उसने कौशल को ढाबे में जाते देखा। उसने सोचा कि चाय पीने गया होगा। उसके मन में आया कि कहीं कौशल के ढाबे में जाने से कोई गड़बड़ ना हो जाए। फिर उसने सोचा कि कौशल इस बात का ध्यान रखेगा। वह टैक्सी में बैठा पुष्कर और दिशा का इंतज़ार कर रहा था। उसे बैकसीट से फोन की घंटी सुनाई पड़ी। वहाँ एक मोबाइल था। उसने स्क्रीन पर विशाल भइया नाम पढ़ा पर फोन उठाया नहीं। उसे सिगरेट की तलब लग रही थी। वह टैक्सी से बाहर आया। टैक्सी लॉक करके चहल कदमी करते हुए ढाबे के आगे किसी पान की दुकान की खोज में चला गया। कुछ देर बाद सिगरेट पीकर लौटा। टैक्सी में बैठा तो फिर फोन की घंटी सुनाई पड़ी। इस बार स्क्रीन पर दिशा लिखा था। उसने फोन उठा लिया। दिशा ने उससे पुष्कर के बारे में पूछताछ की। उसने बताया कि पुष्कर वहाँ नहीं है। वह घबरा कर ढाबे के बाहर आई। उसने कहा कि पुष्कर अपना फोन लेने टैक्सी तक आया था। फिर चला कहाँ गया ? वह पुष्कर को आवाज़ देकर ढूंढ़ने लगी। वह भी उसके कहने पर पुष्कर को खोजने लगा। कुछ देर बाद पुष्कर की लाश मिली।
इस्माइल ने जो कुछ बताया था वह दिशा और कौशल के बयानों से मेल खा रहा था। साइमन ने लैपटॉप पर लकी ढाबे की उस दिन की सीसीटीवी फुटेज भी देखी थी। उसमें भी इस्माइल टैक्सी से उतर कर ढाबे से आगे जाता दिखाई पड़ा था। साइमन ने कुछ सोचकर कहा,
"तुम ढाबे से कितना आगे निकल गए थे ?"
इस्माइल ने याद करते हुए कहा,
"सीधे चलते हुए कोई चलीस पचास मीटर आगे।"
"वहाँ से तुम टैक्सी को देख पा रहे थे ?"
"नहीं.... टैक्सी के आगे एक और गाड़ी खड़ी थी।"
"तुमने पुष्कर को टैक्सी के पास जाते नहीं देखा।"
"साहब जब टैक्सी नहीं दिख रही थी तो मैं पुष्कर को कैसे देख पाता। मैं सिगरेट जलाकर दुकान के पास लगे पेड़ के नीचे खड़ा होकर पीने लगा। वहाँ से तो कुछ भी नहीं दिख रहा था।"
इंस्पेक्टर हरीश ने कहा,
"याद करो जब तुम टैक्सी में बैठे थे तो किसी को मोटरसाइकिल पर ढाबे के आसपास देखा हो।"
"मुझे तो ऐसा कुछ याद नहीं आ रहा है।"
साइमन ने कहा,
"ठीक से याद करो। कुछ भी ऐसा जो तुम्हें अजीब लगा हो। किसी ने पुष्कर को जान से मार दिया। कातिल वहीं आसपास रहा होगा।"
इस्माइल ने कहा,
"साहब सच कह रहा हूँ कि मुझे कुछ याद नहीं आ रहा है। पुष्कर की लाश मैंने भी देखी थी। उसकी हालत देखकर कुछ पल के लिए मैं सहम गया था। मुझे खुद आश्चर्य हो रहा था कि उसे इस बेरहमी से किसने मारा।"
इंस्पेक्टर हरीश ने कहा,
"तुम्हें ऐसा नहीं लगा कि यह काम कौशल का हो सकता है।"
"नहीं साहब। कौशल इतनी बुरी तरह उसे मारने की हिम्मत नहीं कर सकता था। उसे मारना होता तो अपनी गन से मार देता। उसने तब मुझसे बात करने की कोशिश की थी। पर मैंने इशारे से उसे भाग जाने को कहा था।"
इस्माइल ने जो बताया था उससे केस को कोई भी नई दिशा नहीं मिली थी। उसे भी उसके चाचा के पास लॉकअप में भेज दिया गया। साइमन ने कहा,
"इस्माइल और उसके चाचा के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर देते हैं। विशाल का साइकोलॉजिकल टेस्ट हो जाए तो नए सिरे से पुष्कर के केस में जुटना पड़ेगा।"
इंस्पेक्टर हरीश ने कहा,
"सर डॉ. हिना सैयद तीन दिन बाद लौट रही हैं। उन्होंने कहलाया है कि उन्हें विशाल से संबंधित सारी जानकारी, उसने पुलिस को जो बयान दिए हैं सब चाहिए। इसके अलावा वह विशाल के साइकोलॉजिकल टेस्ट से पहले उसके परिवार के किसी सदस्य से मिलना चाहती हैं। जो उन्हें विशाल के बारे में सबकुछ बता सके।"
"विशाल का दस्तखत किया गया बयान और उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग तो है ही। उसके बारे में और जो जानकारी है देकर एक फाइल तैयार करवा दो। विशाल के पिता बद्रीनाथ से कहो कि डॉ. हिना सैयद उनके परिवार के किसी सदस्य से मिलना चाहती हैं।"
"सर मैंने विशाल के बारे में जो कुछ पता था उसकी एक फाइल तैयार करा दी है। बद्रीनाथ जी को भी डॉ. हिना सैयद का नंबर दे दिया है। वह बात करके जैसा डॉ. हिना कहेंगी कर लेंगे।"
"गुड जॉब.....अब तुम अपना ध्यान विशाल की पत्नी और बच्चे की मौत के केस पर लगा दो।"
"सर केशव द्विवेदी ने रजत खुराना का पता और नंबर दिया था। रजत खुराना ने फोन पर बताया कि उन्होंने भी वह मकान कानपुर के संतोष गुप्ता से खरीदा था। संतोष गुप्ता ने ही वह मकान डॉ. आकाश को किराए पर दिया था। सर मैंने संतोष गुप्ता से फोन पर बात की। वह इन दिनों दिल्ली में अपनी बेटी के पास हैं। अपना इलाज कराने गए हैं। उनका ऑपरेशन होना है। उसके बाद ही कुछ बता पाएंगे।"
"ठीक है...तब तक देखते हैं कि विशाल के साइकोलॉजिकल टेस्ट में क्या आता है। फिलहाल हम लोग सोचते हैं कि अब पुष्कर के हत्यारे को तलाश करने के लिए क्या किया जाए।"
"सर हमें सिर्फ पुष्कर के ही नहीं बल्की चेतन के हत्यारे को भी तलाश करना है।"
"मेरे मन में आ रहा है कि दोनों का हत्यारा एक ही है। सिर्फ इसलिए नहीं कि हत्या का तरीका एक है। बल्की मुझे लगता है कि चेतन पुष्कर की हत्या के बारे में कुछ ज्यादा जानता था।"
इंस्पेक्टर हरीश ने कुछ सोचकर साइमन को चेतन के मैसेज के बारे में बताया जो उसने भेजा था। दोनों उस पर विचार करने लगे। साइमन और इंस्पेक्टर हरीश सोच रहे थे कि अब आगे शुरुआत कैसे की जाए।
सब इंस्पेक्टर कमाल को पता चला था कि कांस्टेबल शिवचरन को अदीबा के साथ थाने के पास वाली चाय की दुकान पर देखा गया था। वह समझ गया कि अदीबा को विशाल और कौशल की गिरफ्तारी की खबर देने वाला वही है। उसने कांस्टेबल शिवचरन को बुलाया। उसने कहा,
"शिवचरन सुना है तुम्हारा थाने के पास वाली चाय की दुकान पर बहुत आना जाना है।"
शिवचरन समझ गया था कि सब इंस्पेक्टर कमाल क्या कहना चाहता है। लेकिन बात बनाते हुए बोला,
"जब आप लोगों के लिए चाय लानी होती है तो चले जाते हैं। कभी कभी खुद भी जाकर चाय पी लेते हैं।"
सब इंस्पेक्टर कमाल ने उसे घूरा। उसके बाद बोला,
"वहाँ अक्सर अदीबा भी तुमसे टकरा जाती है।"
शिवचरन नज़रें चुराने लगा। सब इंस्पेक्टर कमाल ने डांटते हुए कहा,
"शर्म नहीं आती है। उसके मुखबिर बने हो। उसे ज़रूरी खबरें देते हो। वह उन खबरों को मसाला लगाकर छापती है।"
शिवचरन बुरी तरह घबरा गया था। उसने कहा,
"गलती हो गई हमसे। हमें माफ कर दीजिए। यह बात किसी से कहिएगा नहीं।"
सब इंस्पेक्टर कमाल ने उसे और ज़ोर से घूरा। उसके बाद कहा,
"तुमने जो किया है उसकी सज़ा तो मिलनी ही चाहिए तुम्हें। इस तरह से किसी केस की जानकारियां देना उसे कमज़ोर कर सकता है। तुम्हें मालूम नहीं है।"
"सर लालच में आकर ऐसा कर बैठे। अब कसम खाकर कहते हैं कि ऐसा कभी नहीं करेंगे।"
"अगर आगे तुमने ऐसा किया तो समझ लेना तुम्हारे साथ अच्छा नहीं होगा। फिलहाल मैं साइमन सर से तुम्हारी शिकायत करूँगा। तुम्हारे खिलाफ क्या एक्शन लेना है यह उन पर है।"
शिवचरन ने एकबार फिर माफी मांगी और वहाँ से चला गया। उसके जाने के बाद सब इंस्पेक्टर कमाल ने साइमन को फोन करके सारी बात बताई। साइमन ने कहा कि वह वापस आकर देखेगा कि क्या करना है।
डॉ हिना सैयद को विशाल से संबंधित सारी सामग्री दे दी गई थी। उन्होंने उसे पढ़ने के बाद बद्रीनाथ से मुलाकात भी की थी। सब होने के बाद उन्होंने विशाल के साइकोलॉजिकल टेस्ट की व्यवस्था करने को कहा।