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दोस्तों, ख़ुशियाँ बाँटते चलो ….

हरगढ़ के राजा बड़े ही दयालु,धार्मिक व्यक्ति थे. अपनी प्रजा का बहुत ही ध्यान रखते थे, समय-समय पर लोगों से मिलना, प्रजा भी राजा से बहुत ही खुश रहती थी. समय-समय पर राजा धार्मिक आयोजन भी कराते रहते थे.समाज में अच्छे काम करने वालो को सम्मानित भी करते थे.राजा ने अपनी प्रजा के लिये गौशाला,प्याऊ, धर्मशालाएँ,कुएँ आदि की पूर्ण व्यवस्था की हुई थी. एक दिन राजा सोचने लगे कैसे पता लगाऊँ की मेरी प्रजा खुश हैं या नहीं ?पता लगाने के लिए राजा भिखारी के वेश में निकल गये, सिर्फ़ रानी को पता था.जगह-जगह भीख माँगते रहे,अलग-अलग तरह के लोगों से मिले,भिखारी के वेश में राजा को कोई पहचान भी नहीं पा रहा था.रात में धर्मशाला में सोना, रास्ते में प्यास लगे तो कुएँ का पानी पीना,गौशाला को देखना,सब ठीक ठाक हैं या नहीं लोगों से बातें करना. कई दिनों से भीख माँगते-माँगते झोला भर गया था,रास्ते में जो भी मिलता उसको झोले से कुछ निकाल कर दे देना,इस तरह से एक संदेश भी देते जा रहे थे,ख़ुशियाँ बाँटते चलो,इस तरह का विचार राजा के मन में सदा रहता था,रास्ते में जो भी कुछ कमियाँ मिलती उनको अपनी डायरी में लिख लेते थे.दोपहरी बहुत थी भूख़ और प्यास जोरो से लगी थी.दूर एक झौपड़ी के पास जाकर बैंठ गए, बैठते ही नींद आ गई. झौपड़ी में रह रही एक वृद्ध महिला ने देखा की एक भिखारी सो रहा हैं.वृद्ध महिला भी बड़ी ही धार्मिक प्रवृति की थीं.मन ही मन सोचने लगी पता नहीं कौन हैं और ख़ाना खाया भी या नहीं सोचते-सोचते महिला भिखारी से प्यार से बोली ,अरे बेटा कौन हो कहाँ से हो तुमने ख़ाना खाया या नहीं , माता मैं पास के गाँव से हूँ और माँग कर ही गुज़ारा करता हूँ, थका था सोचा थोड़ा आराम कर लूँ, पता नहीं कब नींद आ गई,वृद्ध महिला बोली वो तो ठीक हैं पहले तू ये बता तुनें ख़ाना खाया या नहीं , भिखारी बोला नहीं माँ, ले पहले तू कुछ खा ले, ख़ाना खाने के बाद भिखारी बोला माँ तू यहाँ पर खुश हैं, तेरे को किसी चीज की ज़रूरत तो नहीं.वृद्ध महिला एक दम से बोली मेरा जो राजा हैं ना बहुत ही बढ़िया इंसान हैं अपनी प्रजा का पूरा ख़्याल रखता हैं.भिखारी मन ही मन प्रसन्न हो रहे थे.भिखारी तुरंत वृद्ध महिला से बोले,माँ क्या तुनें राजा को देखा हैं? मिली हैं उस से कभी,वृद्ध महिला बोली नहीं,लेकिन अगर मिली कभी भी भविष्य में मैं उसको इतना आशीर्वाद दूँगी और उसकी लंबी आयु की कामना करूँगी.भिखारी ने वृद्ध महिला के पैर छू कर प्रस्थान किया.भिखारी ने महल में पहुँच कर सारी बातें रानी को बताई और जो-जो कमियाँ डायरी में लिखी थी उन पर काम करना शुरू कर दिया.समय गुजरता रहा,राजा को वृद्घ महिला की बातें याद थी. एक दिन राजा ने सेनापति को उस वृद्ध महिला को महल में लाने का आदेश दिया.वृद्ध महिला की झौपड़ी के पास जैसे ही सेनापति पहुँचे वृद्ध महिला ने सभी का आदर सत्कार किया, सेनापति ने वृद्ध महिला को राजा का संदेश सुनाया और आपको अभी हमारे साथ महल चलना होगा ,वृद्ध महिला तो राजा से मिलने को पहले से ही उत्सुक थी.महल में खुद राजा व रानी दोनों ने पैर छू कर वृद्ध महिला का आदर सत्कार के साथ स्वागत किया.वृद्ध महिला से रहा नहीं गया आख़िर राजा से पूछ ही लिया,राजा बोले माँ तुझे याद हैं, कुछ समय पहले एक भिखारी तेरी झौपड़ी के पास रुका था और तुनें बड़े आदर सत्कार के साथ ख़ाना खिलाया था और यह कहा था अगर मुझे राजा से मिलने का मौक़ा मिला तो मैं इतना आशीर्वाद दूँगी और भगवान से लंबी आयु की प्रार्थना करूँगी,ले माँ राजा रानी के साथ तेरे सामने खड़ा हैं.वृद्ध महिला की आँखों में आँसू और दोनों को गले लगाकर बहुत रोई,अगर तेरे जैसा राजा हो उसकी प्रजा हमेशा ख़ुश रहेगी,राजा वृद्ध महिला से बोले माँ अब तू हमारे साथ इसी महल में रहेगी.

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