रिश्ते… दिल से दिल के - 8 Hemant Sharma “Harshul” द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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रिश्ते… दिल से दिल के - 8

रिश्ते… दिल से दिल के
एपिसोड 8
[विराज का असली चहरा]

विराज ने एक फ्लैट के आगे आकर बाइक रोकी। उसके साथ ही प्रदिति ने भी ऑटो ड्राइवर को ऑटो रोकने के लिए कहा। विराज फ्लैट के अंदर चला गया। प्रदिति ने ऑटो ड्राइवर को पैसे दिए और फ्लैट की तरफ देखने लगी। फ्लैट देखने में बहुत ही सुंदर था। प्रदिति खुद से ही बोली, "ज़रूर इस फ्लैट में रहने के पैसे भी ये आकृति से ही लेता होगा।"

वो विराज के पीछे ही चुपके से पीछे जाने लगी। विराज को किसी का एहसास हुआ तो उसने मुड़कर देखा लेकिन प्रदिति छुप गई। विराज फिर से आगे चलने लगा और प्रदिति भी उसके पीछे–पीछे। विराज अपने रूम पर आया और उसे खोलकर अंदर चला गया। प्रदिति बाहर ही रह गई और सोचने लगी कि अब क्या करे

"अब मैं कैसे पता करूं कि इस लड़के के दिमाग में क्या चल रहा है?", प्रदिति ने खुद से ही कहा।

थोड़ी देर बाद प्रदिति को किसी के पैरों की आवाज़ सुनाई दीं।

प्रदिति वहीं पास में छुप गई। उसने देखा एक लड़की ऊपर आई और विराज के फ्लैट का दरवाज़ा खटखटाने लगी।

"ये लड़की कौन है?", प्रदिति ने खुद में ही सवाल किया। तभी विराज ने दरवाज़ा खोला और उस लड़की को देखकर उसके चहरे पर मुस्कान आ गई। उसने उसे गले से लगा लिया और बोला, "कितनी देर कर दी तुमने, बेबी! मैं कब से तुम्हारा वेट कर रहा हूं।"

वो लड़की विराज को खुद से अलग करके बोली, "अब मुझे अंदर भी आने दोगे या नहीं?"

"अरे, हां, चलो चलो।", कहकर उसने लड़की को अंदर किया और दरवाज़ा बंद कर दिया। उन दोनों को इस तरह देखकर प्रदिति गुस्से से बोली, "मेरा शक सही निकला। ये लड़का मेरी अक्कू को धोखा दे रहा है। इसे तो मैं छोडूंगी नहीं। पर एक मिनट, अभी पूरी बात तो जान लूं कि आखिर इसका पूरा प्लैन क्या है?" कहकर वो दरवाज़े के पास जाकर उन दोनों की बातें सुनने लगी।

"बेबी! क्या हुआ? मिले दो लाख रुपए?", उस लड़की ने विराज से पूछा तो विराज एक कुटिल मुस्कान के साथ बोला, "अरे, क्यों नहीं मिलेंगे? तुम्हारा ब्वॉयफ्रेंड है ही इतना शातिर कि उस लड़की से दो लाख क्या दस लाख भी निकलवा सकता है।" कहकर उसने अपना फोन दिखाया जिसमें दो लाख रुपए डिपॉजिट होने का मैसेज था उसे देखकर वो लड़की खुशी से झूम उठी और विराज के गले लग गई।

फिर वो उससे अलग होकर बोली, "बेबी! तुम इतने चालक हो या वो इतनी बेवकूफ जो तुम्हारे जाल में फंस गई?"

उसकी बात पर विराज मुस्कुराकर बोला, "दोनों" और दोनों ही ज़ोर से हँस दिए।

फिर विराज उस लड़की के गाल पर अपनी उंगली फेरकर बोला, "अब तक मैंने उससे दो–दो लाख करके लगभग तीस लाख रुपए लूटे हैं पर अब ये नंबर बढ़ने वाला है। अब मैं उससे सीधा दस लाख रुपए मांगूंगा और वो बेवकूफ बहुत आसानी से उन्हें भी मुझे दे देगी। सच बताऊं तो अब तक जितनी लड़कियों को मैंने ठगा है उनमें से ये टॉप लेवल वाली बेवकूफ है। वो लड़कियां तो एक–दो बार मना करती भी थीं पर ये… ये तो एक बार में मुझे पैसे दे देती है।"

विराज ने कहा तो दोनों फिर से हँस दिए।

प्रदिति को उनकी बात पर बहुत गुस्सा आया। वो गुस्से से अंदर जाने को हुई कि अचानक से रुक गई और उसने मन में सोचा, "नहीं, अगर मैं अभी अंदर गई और इन्हें कुछ भी कहा तो ये विराज अक्कू को कुछ उल्टी–सीधी पट्टी पढ़ा देगा जिससे अक्कू मेरी बात सुनेगी ही नहीं। पहले मुझे अक्कू से बात करनी पड़ेगी।" कहकर प्रदिति वहां से नीचे की तरफ चली गई।

आकृति राहुल के साथ बाहर गार्डन में ही बैठी थी। प्रदिति उन्हें देखकर उनकी तरफ आने लगी। आकृति को प्रदिति दूर से ही दिख गई तो वो राहुल से बोली, "राहुल! देख, वो चिपकू मैम आ गईं। जल्दी चल।"

राहुल ने आकृति के कहने पर उस दिशा में देखा और प्रदिति को देखकर फिर आकृति से बोला, "हां, चल, चल।"

वो दोनों जाने ही लगे कि प्रदिति की आवाज़ पर रुक गए, "रुको!"

दोनों ने मुड़कर प्रदिति की तरफ देखा। प्रदिति ने राहुल की तरफ देखकर कहा, "तुम नहीं, तुम जा सकते हो।"

प्रदिति ने कहा तो राहुल ने आकृति की तरफ देखा, आकृति ने मुंह बनाकर उसे जाने का इशारा किया तो वो चला गया।

प्रदिति आकृति की तरफ देखकर बोली, "अ… आकृति! मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।"

आकृति ने एक फीकी सी मुस्कान के साथ कहा, "मैम! आपने मुझे इस तरह रोका है इसका मतलब साफ है कि आपको मुझसे कुछ बात करनी है तो बताइए क्या है आपकी वो ज़रूरी बात?"

प्रदिति ने एक गहरी सांस लेकर कहा, "उस लड़के से दूर रहो।"

प्रदिति ने कहा तो आकृति ने पहले अपने पीछे की तरफ मुड़कर देखा और फिर बोली, "मैम! राहुल मेरा बेस्टफ्रेंड है। उससे मैं दूर क्यों रहूं?"

प्रदिति ने अपनी आंख बंद करके कहा, "मैं राहुल की बात नहीं कर रही हूं।"

"तो?"

"मैं उस विराज के बारे में कह रही हूं। वो लड़का तुम्हारे लिए सही नहीं है, वो तुम्हें धोखा दे रहा है। उसकी एक ग…"

प्रदिति की बात पूरी हो पाती उससे पहले ही आकृति गुस्से से बोली, "मैम! प्लीज़, आप मेरी लाइफ में इंटरफेयर ना करें तो बेहतर होगा। ये मेरी जिंदगी है और मैं अच्छे से जानती हूं कि मेरे लिए कौन सही है और कौन गलत तो प्लीज आप मुझे मत बताइए।" कहकर आकृति जाने लगी कि प्रदिति ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोका और बोली, "आकृति! प्लीज़ मेरी बात समझने की कोशिश करो। वो लड़का सच में तुम्हारी फीलिंग्स के साथ खेल रहा है।"

"मैम! प्लीज़, आप मेरी मैम हैं इसलिए मैं कुछ नहीं कह रही लेकिन अगर आपने मुझे इसी तरह परेशान किया तो मैं मैनेजमेंट से आपकी कंप्लेन कर दूंगी फिर अगर आपको कोई परेशानी हुई तो उसकी ज़िम्मेदार आप खुद ही होंगी।" कहकर वो आगे चली गई और प्रदिति उसे आवाज़ देती रह गई।

आकृति थोड़ी आगे चली ही थी कि उसका फोन बजा। उसने उसे अपनी पॉकेट से निकाला तो उस पर 'मॉम' नाम आ रहा था।

आकृति ने गुस्से से खुद से ही कहा, "ओह गॉड! अब ये मॉम मुझे क्यों फोन कर रही हैं? वैसे ही मेरा दिमाग खराब हो रहा है।"

उसने गरिमा जी का फोन काट दिया। वो फिर थोड़ा आगे बढ़ी कि फिर से गरिमा जी का फोन आ गया। उसने उसे उठाया और गुस्से से बोली, "क्या है, मॉम? क्यों मुझे परेशान कर रही हैं? शांति से सांस क्यों नहीं लेने देतीं आप मुझे?"

गरिमा जी उधर से आकृति को डांटते हुए बोली, "अक्कू! बिहेव योरसेल्फ… अपनी मॉम से ऐसे बात करते हैं!"

आकृति ने उनकी बातों को नज़रंदाज़ करते हुए इधर–उधर अपनी नजरें घुमाईं। गरिमा जी उससे आगे बोलीं, "कहां हो तुम?"

"कहां होऊंगी, कॉलेज में हूं।"

"उस लड़के के साथ?"

"मॉम! प्लीज़… सब लोग विराज के पीछे क्यों पड़े हैं? क्यों मुझे और उसे चैन से सांस नहीं लेने दे रहे।"

"अक्कू! तुम…", गरिमा जी अपनी बात पूरी कर पातीं उससे पहले ही आकृति ने फोन काट दिया।

गरिमा जी ने गुस्से से अपना फोन फेंका और बोलीं, "क्या करूं मैं इस लड़की का? उस लड़के के पीछे इतनी पागल हो गई है कि अपनी मॉम से ढंग से बात तक नहीं करती।" कहकर वो अपने कमरे में चली गईं।

उनके पीछे खड़ी दामिनी जी जो आकृति और गरिमा जी की सारी बातें सुन चुकी थीं, हाथ जोड़कर बोलीं, "हे भगवान! हमारी अक्कू का ख्याल रखना, उसे हर परेशानी से बचाना… और गरिमा के डर को कभी सच मत होने देना। आप तो जानते हैं ना कि उस दिन के बाद से गरिमा ने आपसे कुछ नहीं मांगा पर ये बात मैं और आप दोनों अच्छे से समझ पा रहे हैं कि वो भी आपसे अक्कू की सलामती चाहती हैं।" कहकर दामिनी जी ने अपनी आंखें बंद कर लीं।

आकृति अपने क्लासरूम में पहुंचने वाली थीं कि फिर से उसका फोन बजा। उसने उसे पॉकेट से निकाला और दांत पीसकर बोली, "अब कौन है जो…" वो पूरी बात कह पाती उससे पहले ही उसने स्क्रीन पर नाम देखा। उस पर विराज लिखा हुआ था।

आकृति ने एक गहरी सांस लेकर फोन उठाया और बोली, "हाय, विराज!"

"हाय, बेबी! व्हाट्स अप?"

"कुछ नहीं, बस क्लास में जा रही थी।"

"ओके, मुझे तुम्हें कुछ बताना है।"

"क्या?"

"मेरा एक स्कूल फ्रेंड है। उसने अपने बर्थडे पर एक पार्टी रखी है तो उसने मुझे और तुम्हें दोनों को बुलाया है।"

"पर मैं कैसे…"

"कैसे, मतलब? मेरे साथ"

"नहीं, मेरा मतलब है कि मॉम अलाउ नहीं करेंगी।"

"तुम अपनी मॉम से डरती हो?"

"नहीं, नहीं, ऐसा कुछ नहीं है।"

"तो फिर…"

आकृति ने खुद से ही कहा, "मॉम तो वैसे भी कुछ ना कुछ कहती ही रहती हैं। पर अगर नहीं गई तो विराज बुरा मान जायेगा।"

फिर वो मुस्कुराकर बोली, "ओके, मैं आ जाऊंगी। पर आना कहां हैं?"

"तुम टेंशन मत लो। मैं तुम्हें पिक कर लूंगा।"

"ओके!"

विराज ने उधर से फोन काट दिया। विराज की बात पर आकृति के चहरे पर मुस्कान आ गई।

क्रमशः