एक थी नचनिया--भाग(८) Saroj Verma द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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एक थी नचनिया--भाग(८)

जब मोरमुकुट ने रामखिलावन को अपने अस्पताल में देखा तो उससे पूछा...
रामखिलावन भइया!आप और यहाँ...
तब खिलावन ने बड़े उदास मन से कहा...
हाँ! कस्तूरी इसी अस्पताल में है ना!
लेकिन वो यहाँ क्या कर रही है?मोरमुकुट ने पूछा....
वो तो उस रात के हादसे के बाद अपना दिमागी संतुलन खो बैठी हैं,रामखिलावन बोला...
कौन सा हादसा....?मोरमुकुट ने हैरान होकर पूछा....
आपको क्या बताऊँ?मोरमुकुट बाबू कि उस पर क्या क्या बीती है?रामखिलावन बोला....
ऐसा क्या हुआ था उसके साथ?जो मुझे नहीं पता,मोरमुकुट बोला....
तब रामखिलावन बोला....
उस रात तो जैसे तैसे आप उसे जुझार सिंह के चंगुल से निकाल लाए और उसके बाद मैनें उसे उसकी दूर की रिश्तेदार के यहाँ ठहरा दिया,लेकिन वो जालिम जुझार सिंह कहाँ मानने वाला था,उसने पहले कस्तूरी को वहाँ से अगवा किया और उसकी अस्मत के साथ खिलवाड़ करके उसे ठंड में बाहर फेंक दिया,कस्तूरी खराब हालत में श्यामा डकैत को मिली तो श्यामा डकैत ने उसका इलाज करवाया और प्रण लिया कि वो जुझार सिंह को नहीं छोड़ेगी,लेकिन जुझार सिंह उसके चंगुल से भाग निकला और कस्तूरी उस सदमें से उबर नहीं और उसकी दशा बिगड़ती चली गई,जब घर में रहकर उसकी हालत ना सम्भली तो डाक्टरों की सलाह से हमने उसे यहाँ रख दिया,अब भी उसकी हालत में कुछ ज्यादा सुधार नहीं हुआ है,ये कहते कहते रामखिलावन उदास हो उठा....
ओह...ये सब झेला है बेचारी कस्तूरी ने,मोरमुकुट सिंह बोला....
हाँ...मेरी जीजी ने ये सब झेला,माधुरी बोल पड़ी....
तब मोरमुकुट ने हैरान होकर रामखिलावन की ओर देखा और उसकी आँखों में ये सवाल था कि ये कौन है?
तब रामखिलावन बोला....
ये माधुरी है ,कस्तूरी की छोटी बहन...
ओह....ये तो बड़ी तेज़ है,मोरमुकुट बोला....
हाँ....मोरमुकुट भइया!जमाना ही ऐसा है कि तेज बनना पड़ता है,नहीं तो कस्तूरी जीजी का हाल देखा ना आपने,माधुरी बोली...
सच कहा तुमने माधुरी,मोरमुकुट बोला....
तब रामखिलावन बोला....
अच्छा हुअ मोरमुकुट बाबू जो आप यहाँ डाक्टर बनकर आएं,मुझे आशा है कि आप कस्तूरी का ख़ास ख्याल रखेगें...
जी!अब आप निश्चिन्त हो जाइएं और कस्तूरी की चिन्ता बिल्कुल से छोड़ दीजिए,अब कस्तूरी को ठीक करने की जिम्मेदारी मेरी होगी,मोरमुकुट बोला....
मुझे आपसे यही आशा थी,रामखिलावन बोला....
जी!मोरमुकुट भइया!मैं चाहती हूँ कि मेरी जीजी बिल्कुल से ठीक हो जाएं क्योंकि मेरा अब इस दुनिया में कोई नहीं है,दादी तो पहले ही चली गई थी और मेरे दोनों छोटे भाइयों और छोटी बहन को हैजे ने लील लिया ,माधुरी बोली...
ओह....इतना सबकुछ हो गया,तुम दुखी मत हो माधुरी! मैं तुम्हें वचन देता हूँ,कस्तूरी को मैं बिलकुल ठीक करके रहूँगा,मोरमुकुट बोला....
ठीक है तो अब हम दोनों चलते हैं,रामखिलावन बोला...
जी!भइया!और मैं कस्तूरी से जाकर मिलता हूँ,मोरमुकुट बोला....
फिर रामखिलावन और माधुरी चले गए और मोरमुकुट कस्तूरी के कमरें पहुँचा,जहाँ वो नर्स से झगड़ रही थी और कह रही थी....
जा...जा....चुड़ैल!तू बहुत बुरी है,मैं तेरी दी हुई दवाई नहीं खाऊँगी,रोज कड़वी दवाई खिला देती है और कभी हलवा पूरी नहीं खिलाती,मैं आज हलवा पूरी ही खाऊँगी...
तब मोरमुकुट बोला....
क्या हो रहा है यहाँ?
कस्तूरी ने जैसे ही मोरमुकुट को देखा तो सोच में पड़ गई और उसे ध्यान से देखने लगी लेकिन बोली कुछ नहीं..
तब नर्स बोली....
देखिए ना सर!ये रोज रोज दवा खाने के लिए नाटक करती है....
झूठ बोलती है कुतिया!कस्तूरी बोली....
गाली नहीं....गाली नहीं...,मोरमुकुट धीरे से बोला....
इसे क्यों नहीं मना करते?कस्तूरी बोली....
इसकी तो मैं पिटाई करूँगा क्योंकि ये तो बहुत बुरी लड़की है,तुम अच्छी हो ना! मोरमुकुट बोला....
हाँ...मैं तो बहुत अच्छी हूँ ,लेकिन ये सुनती ही नहीं, कहती रहती है कि मैं बुरी हूँ,कस्तूरी बोली....
तुम अच्छी हो ना!तो फिर चुपचाप ये दवाई खा लो,मोरमुकुट बोला....
दवाई...दवाई नहीं...बहुत कड़वी है,कस्तूरी बोली....
ओह....तब तो तुम इस नर्स से भी बुरी हो,मोरमुकुट बोला...
ना!मैं तो बहुत अच्छी हूँ,कस्तूरी बोली...
तो फिर खाओ दवाई,मोरमुकुट बोला....
लाओ....दवाई,लेकिन हलवा पूरी भी खाऊँगी,कस्तूरी बोली....
हाँ!शाम को मैं अपने हाथों से हलवा पूरी बनाकर लाऊँगा,मोरमुकुट बोला...
तुम सच कहते हो,कस्तूरी बोली...
हाँ!लेकिन पहले दवाई,मोरमुकुट बोला....
और फिर कस्तूरी गटगट करके प्याली मेँ रखी सारी दवाई पी गई, दवाई पीने के बाद मोरमुकुट बोला....
शाबास.....शाम को तुम्हारा हलवा पूरी पक्का....
तुम कित्ते अच्छे हो,कस्तूरी बोली....
ठीक है तो अब मैं जाता हूँ,अब इन्हें बिलकुल तंग मत करना,जो ये खिलाएं सो चुपचाप खा लेना,मैं रात को तुम्हारे लिए हलवा पूरी लाऊँगा और इतना कहकर मोरमुकुट सिंह वहाँ से अपने कमरें में चला आया और कुर्सी पर बैठकर पुराने बातें सोचने लगा कि कस्तूरी क्या से क्या हो गई है...
अब माधुरी और रामखिलावन कस्तूरी की ओर से चिन्तामुक्त हो गए थे और अब माधुरी अपना सारा ध्यान थियेटर में लगाने लगी,ऐसे ही कुछ महीनें बीते और माधुरी थियेटर की दुनिया की बेताज़ रानी बन गई,उसे अब दूसरों शहरों से भी अपने थियेटर में एक एक प्रोग्राम करने का न्यौता मिलने लगा,इससे खुराना साहब को कोई एत़राज ना था,वें तो सोच रहे थे कि उनके थियेटर ने इस मनोरंजन की शौकीन दुनिया को एक उभरता हुआ सितारा दिया है ,बस उनकी एक ही शर्त थी कि माधुरी किसी के भी थियेटर में प्रोग्राम पेश करें लेकिन उनका थियेटर छोड़कर कभी ना जाएं क्योंकि उन्होंने ही माधुरी को तराश कर इस काबिल बनाया है कि आज दुनिया माधुरी के कदम चूम रही है....
इधर माधुरी और रामखिलावन भी कभी भी खुराना साहब को धोखा देने का नहीं सोच सकते थे,उनके साथ नमकहरामी नहीं कर सकते थे क्योंकि वो आज जो कुछ भी थे तो ये सब खुराना साहब की देन थी,,इसलिए उनकी हर शर्त मानने को मंजूर हो गए और फिर एक दिन माधुरी के लिए कलकत्ता के एक बड़े थियेटर से प्रोग्राम करने का बुलावा आया और रामखिलावन और माधुरी तो इसी ताक़ में थे...
और उन्होंने अपनी टोली सहित कलकत्ता जाने का फैसला कर लिया,वे सब जब कलकत्ता पहुँचे तो उन्हें एक बहुत ही आलीशान होटल में ठहराया गया,वहाँ उनकी बहुत खातिरदारी भी हुई और फिर दो तीन दिन बाद माधुरी का थियेटर में डान्स पेश हुआ,उसका जबरदस्त डान्स देखकर लोगों ने दाँतो तले उगलियाँ दबा लीं,थियेटर के मालिक ने भी माधुरी को बहुत सराहा और उससे गुजारिश की कि वो एक हफ्ते तक उनके यहाँ नृत्य पेश करें,सच तो ये है कि वो भी यही चाहती थी....
इसी दौरान रामखिलावन ने थियेटर मालिक अरिन्दम चटोपाध्याय से जुझार सिंह के बारें में पूछा,तब चटोपाध्याय साहब बोलें...
वो जुझार सिंह जो अपने गाँव से पाँच साल पहले कलकत्ता भागकर आया था,यहाँ आकर उसने अपने साले को जहर देकर मरवा दिया क्योंकि वो अपनी जमीन जायदाद और करोड़ों की सम्पत्ति का इकलौता मालिक था,साले को मरवाकर उसने उसकी सारी सम्पत्ति हड़प ली,इसी ग़म में उसकी बीवी भी चल बसी और अब वो उस दौलत पर अय्याशी कर रहा है,उसका एक बेटा और बेटी भी है....
लेकिन उसका बेटा शुभांकर उसके जैसा नहीं निकला क्योंकि उसकी माँ ने उसे अच्छे संस्कार दिए थे,वो बहुत ही नेक और शरीफ़ है इसलिए बाप बेटे में ज्यादा नहीं बनती....
अच्छा तो बेटे का नाम शुभांकर है,रामखिलावन ने पूछा...
जी हाँ!अरिन्दम चटोपाध्याय बोलें...
अरिन्दम चटोपाध्याय की बात सुनकर माधुरी और रामखिलावन का माथा ठनका और वें अपनी अगली योजना को अन्जाम देने का सोचने लगे....

क्रमशः.....
सरोज वर्मा....