और जब दो चार दिन के बाद पानी वाला जहाज आगे चला तो और दूसरी सीमा पर चैकिंग के रोका तो वहाँ के लोगों ने वही सभी को पकड़ कर जेल भेज दिया और ऐसे ही कुछ दिनों जेल से चिट्ठी पत्र भेजते रहे लेकिन धीरे-धीरे पत्रों का सिलसिला बंद हो गया जिन लोगों पता चल गया था कि हमरे देश के लोगों बिदेश मे जा कर फंस गये वे कुछ समय तक अपने लोगों को छुडाने के लिए कोशिश करते रहे लेकिन जब कोई रास्ता नहीं बचा तो वे लोग भी चुप बैठ गये थे क्योंकि भारत के देहरादून से यां दूसरे देशों से गये लोगों को अब काफी साल हो गए थे और फिर वो दलाल जिस का नाम चूनीलाल जाली पासपोर्ट बना कर लोगों को गलत तरीके से बिदेश भेजने का काम करता था उसे पता चल गया था कि कुछ लोगों ने चूनीलाल के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी गई है तो वो चूनीलाल दलाल देहरादून छोड़कर कर बिदेश भाग गया था
और फिर तारा के पिता जुगल शर्मा के बिदेश जाने के बाद तारा की मां जया जी ने अपने पैरों खडे़ होने के लिए अपन अधूरी पढ़ाई पूरी की और फिर एक स्कूल में नौकरी करके अपने बच्चों को पालने लगी और तारा पढाई में बहुत होशियार थी तारा की मां जया जी ने अपनी बेटी तारा को पढ़ा लिखा कर नौकरी करने योग बना दिया और तारा ने भी अपनी मां का हाथ हल्का करने के लिए कई जगह पर नौकरी के लिए आवेदन लगी और कई जगह पर नौकरी के योग्य होते हुए भी बीना सिफारिश के नौकरी मिलनी मुश्किल लगती और तारा नौकरी ना मलने पर निराशा रहने लगी थी लेकिन फिर तारा को देहरादून के ऑफिस में एक नियुक्ति पत्र आया शायद ये पत्र समीर से मिलने की पहली सिढी़ थी
और जब तारा ने अपनी मां जया से बताया की उसे देहरादून के शहर में नौकरी मिली है पहले तो जया जी तारा को अपने से दूर देहरादून में नौकरी करने के लिए मना कर दिया लेकिन तारा ने अपनी मां समझाते हुए कहा मां आज कल लडकीयां काम करने अलग अलग शहरों में काम करने के लिए जाती है और फिर घर की हालात को देखते हुए जया जी ने तारा को देहरादून जीने की इजाजत दे दी
और देहरादून पहुंच कर तारा ने अपनी नौकरी लगने से काफी खुश थी और ऑफिस के पास ही लडकीयों के होस्टल में तारा ने एक कमरा ले लिया और तारा को जो कमरा रहने के लिए मिला था उसमे पहले से एक लडकी रहती थी वो लडकी किसी बडे़ खानदान घर की लडकी लग रही थी और उस लडकी का नाम जूली था और जूली तारा के आने से जैसे नाखुश सी थी लेकिन फिर तारा ने ही पहल करते हुए जूली से दोस्त का हाहा बढ़ाया और तारा को बातों बातों में पता चला जूली भी उसी ऑफिस में काम करती है यहां पर तारा को नौकरी मिली है और जूली अपने माता-पिता की रोज रोज की टोका टाकी और बंदिशों के कारण जूली यहां कमर ले कर रहती है और थोड़ी घमंडी किस्म की लडकी है जूली लेकिन तारा का अपना पन देख कर जूली ने भी तारा से दोस्ती कर ली थी
✍️क्रमशः ✍️