प्यार में धोखा - भाग 3 Singh Pams द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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प्यार में धोखा - भाग 3

तारा यहां पर एक गांव से शहर में आई एक भोली भाली सी लडक थी लेकिन जूली तारा से से एक दम अलग किस्म की लडकी थी जो एक रहीस खानदान की एक बिगड़ी हुई औलाद कहेगे तो बेहतर होगा और तारा में भी जूली को देख कर अपने बदलाव आने लगे थे
और तारा एक मध्यवर्गीय परिवार
अाई और सफलता की सिढी़ चढते हुए कामयाबी की तरफ बढ़ रही थी और तारा को अपनी जीवनशैली में जो चीजे खरीद के लिए सौ बार सोचना पड़ता अब पहली तनख्वाह मिलते ही अपनी
सभी जरूरतों को पूरा करने लगी
और ऐसे एक गांव से शहर में आई एक भोली भाली सी लडकी ने बहुत जल्द शहर के रंग में रंगने लगी थी और गांव की अच्छे संस्कारों को पीछे छोड़ कर कब तारा ने शहर के चमक धमक की दूनिया में कदम रख चुकी और जैसे कोई नया नया पैसे को देख कर लालचा जाता ठीक बैसे ही तारा का हाल भी कुछ ऐसा ही था और तारा अपने में बदलाव का कारण जूली को देती थी
और जूली के पिता का बिदेशी चीजों का व्यापार करते थे और जूली के पिता बिदेश से समान ला कर अपने भारत देश में जानीकी देहरादून के बडे
शहर में ला कर बेचने का काम करते थे जिस बजह से जूली को कभी किसी चीज की कमी नही थी लेकिन माता पिता के टोकने से जूली अपने माता-पिता से अलग कमरा ले कर रहती थी
और तारा को जब जूली अपनी सबसे अच्छ ससहेली कहती तो तारा फूली नही समाती क्योंकि तारा को ये बात पत थी कि जूली एक बहुत बड़े खानदान की लडकी हैं तो तारा भ जूजूली कभी नराज नही करती बैसे भी दोनों एक ही ऑफिस में काम करती थी
और तारा तो अपने नौकर और साज श्रृंगार के के चलते अपनी मां तक को भल गयी थी तारा जब देहरादून आई थी तब एक बार भी अपनी मां को पत्र नही भेजा था
और जब तार की मां रमा ने अपनी को देहरादून जा दो महिने से ज्यादा समय हो गया तो तो तारा की मां रमा ने खुद देहरादून जा कर अपनी बेटी तारा की खबर सार लेने का फैसला किया और रमा जब देहरादून पहुच गयी तो अपनी बेटी का बदला हुआ रूप देख कर रमा दंग रह गयी थी क्योंकि तारा सुट सलवार को छोड़कर जीन की
पैंट और टी शर्ट में अपनी मां रमा के सामने खडी़ हुई थी और तारा ने अपने बाल कटवा कर छोटे कर लिये थे
और तारा अपनी मां को इस तरह से देखते हुए थोड़ा सा झेप गयी थी और अपनी मां के सामने तारा नजर निनिचे किये हुए खडी़ हुई थी और फिर तारा अपनी मां को अपने कमरे में ले कर चली गई और अपनी मां से बोली आज कल इतना तो सभी को बदलना पड़ता है कह कर तारा अपनी मां को बहलाने की कोशिश करने लगी
रमा देवी के तारा का यूं अचानक से बदल जाना कुछ अच्छ ननही लगा और तारा भी अपनी मां को
अलग अलग तर्कों से समझाने में लगी हुई थी
✍️ क्रमशः ✍️