The Author Singh Pams फॉलो Current Read प्यार में धोखा - भाग 7 By Singh Pams हिंदी प्रेम कथाएँ Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books नफ़रत-ए-इश्क - 16 रायचंद हाऊसरायचंद हाऊस में आज यशवर्धन रायचंद के दिल का टुकड़... शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल - पार्ट 34 "शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल"( पार्ट -३४)NGO की हेड ज्योति... प्रेम और युद्ध - 6 अध्याय 6: आर्या और अर्जुन की यात्रा में एक नए मोड़ की शुरुआत... You Are My Choice - 42 काव्या जय के केबिन में बैठी हुई थी। वह कबसे जय के आने का इंत... सच्ची मोहब्बत सच्ची मोहब्बत (प्यार की जीत ) सच्ची मोहब्बत एक ऐसा... श्रेणी लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी क्राइम कहानी उपन्यास Singh Pams द्वारा हिंदी प्रेम कथाएँ कुल प्रकरण : 15 शेयर करे प्यार में धोखा - भाग 7 (1) 2k 4.2k और अब जूली के छेड़छाड़ करने से तारा के गाल शर्म से लाला हो जाते जो तारा के चेहरे से अपने आप बया हो जाता और अनजाने में ही तारा के मन में तेजस के लिए प्यार पनपने लगा और समय तारा तेजस के सपनों में खोई रहती क्योंकि सपने ही तो होते जिन पर किसी का जोर नही चलता और प्यार भरे सपनों की जाती यां धर्म के बंधन को नही मानते और तारा को कभी कभी अपने ऊपर बहुत गुस्सा आता क्योंकि तेजस एक बहुत ही अमीर खानदान का लडका था और तेजस के लिए अमीर घरों की लडकियों की कोई कमी नही थी और यही तारा भी सोच रही थी की मैं तो एक साधारण से परिवार की लडकी हुं और तेजस का क्या मेल और वो मुझे क्यो पंसद करने लगा लेकिन तारा फिर भी मन ही मन में तेजस के सपन देखने लगी थी क्योंकि प्यार पर आज तक किसी का जोर चला है क्या और तारा तो तेजस की तरफ अपने आप खिंची चली जा रही थी और इधर रमा तारा की मां ने भी अपनी बेटी के लिए लडके ढूंढने में लगी हुई थी और इधर तेजस हर दो तीन महिने में देहरादून के चक्कर लगने लगा था और जब भी तेजस देहरादून आता तो साथ मे जूली और तारा को घूमन के लिए ले कर जाता कभी मसूरी कभी नैनीताल तो कभी शिमला घूमने के लिए जाते लेकिन तेजस ने कभी भी तारा से कभी बदतमीजी नही की थी बहुत ही अच्छ तरिके से तेजस तारा के साथ प्यार से पेश आता था तेजस ने कभी भी कोई गलत हरकत नही की थी जिससे तारा को बूरा लगे और तारा का ऐसे ही विश्वास बढ़ता गया और ऐसे ही एक दिन तेजस ने अपने मन की बात तारा से कह दी तारा क्या तुम मुझसे शादी करोंगी और तारा भी जो इतने दिनों से जिस बात का इंतजार कर रह थी वोवो आखिर आ ही गया और पहले तो तारा के यकीन नहीं हो रहा था लेकिन तेजस को अपनी ओर देखते हुए पा कर तारा शर्म गगय और बोली जे बात तुंुम्ह मारी मां से करनी चाहिए और मेरी मां के पास तुम्हे खुद हमरे रिश्ते की बात करनी होगी क्योंकि मेरी मां ने हमें बहुत मुश्किलों से पाल पोस कर बडा़ किया है तो मैं अपने मां की सहमति से ही इस शादी के लिए हां कहूगी तो तेजस ने पूछा लेकिन मुझे तुम पहले ये बताओ की जैसे मैने तुम्हे अपने मन की बात बताई बैसे क्या तुम भी प्यार तो करती हो ना तो तारा ने शर्म से सीर झूका लिया और तारा के गाल शर्म से लाला हो गये थे और तेजस और तारा अभी घूम कर देहरादून में आये ही थे और तारा अपने होस्टल के कमरे में आई थी तभी तारा को तारा की मां रमा का का पत्र मिला जिसमे तारा की मां ने तारा के लिए रिश्ते की बात कही तेेेेरे लिए एक जगह रिश्ते की बात चली थी और मैंने तेरा रिश्ता पक्क ककर दिया है ✍️क्रमशः ✍️ ‹ पिछला प्रकरणप्यार में धोखा - भाग 6 › अगला प्रकरण प्यार में धोखा - भाग 8 Download Our App