DOLI ARMANO KI - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

डोली अरमानों की - भाग 3

आगे  आपने  देखा की   कैसे  कैलाशपुर  मे  एक के  बाद  एक  मौते  होती  रहती  है  । 

लेकिन  किसी को  कुछ  पता  नहीं  चलता । 

फिर  एक दिन भोलाराम  सब -कुछ  देख  जाता  है  । 

ओर  अपने  भाई  राजाराम  की  मौत  का  बदला  लेने  की  प्रतिज्ञा  करता  है  । 

 

ओर  वो  तांत्रिक  ओर  तांत्रिका ए  कोन  थी ।

चलीए  जानिए  मेरे  साथ मे  हु  अभिषेक  जोशी  ओर  ये  रही  हमारी  आज की  कहानी  

 

दरअसल  ये  तांत्रिक  रुद्ररेश  था  । 

जो  की  रंभा  का  प्रेमी  था  । 

ओर  तांत्रिका  रंभा  खुद  थी । 

जो  प्यार  के  झांसे  देकर  नौजवान  लड़कों  को  फसाती  थी  ओर  फिर  उसकी  बलि  देकर  अपने  गुरु  को  प्रशन  करती  थी  । 

ओर  बाकी  सब  उसके  साथी  थे  जो  गाव  के  बाहर  जंगल  मे  रहते  थे । 

 

अब  भोलराम  दिन भर  सोते  - जागते  यही  सोचता  रहा  की  उस  रंभा  ओर  उस  टोली  से  कैसे  बदला  ले  । 

गाव  मे  राजाराम  की  गुम  होने  की  खबर  तेजी  से  फेलने  लगी  । 

भोलाराम  ओर  उसकी  पत्नी  भी  बहुत  दुखी  थे । 

क्युकी  मा - बाप  के  गुजर  जाने  के  बाद  राजाराम  को  उन्होंने  अपने  बच्चे  की  तरह  पाला  था । 

पर  भोलाराम  ने  किसी  से  कुछ  नहीं  कहा । 

यहा  तक  की  अपनी  पत्नी  को भी  कुछ  नहीं बताया । 

वो  रात रात भर  बाहर  भटकता  रहा  । 

ओर  अपने  जैसे  लोगों  को  इकठे  करता  रहा  । 

जिसका  कोई  न  कोई  इस टोली  सिकंजे  मे  आकर  बलि  चड़  गया  हो । 

 

अब  भोलाराम  ने  अपनी  खुद  की  टोली  बनाली  थी । 

ओर  वो  सब  भी  तंत्र - मंत्र  सिख  रहे  थे  । 

कुछ  मास  पश्चात  वो  टोली  भी  तंत्र - मंत्र  मे  निपूर्ण  हो  गई  । 

अब  गाव  मे  मौतों  का  आकडा  डबल  हो  गया । 

पर  ये  खेल  कुछ  ही  दिनों  का  था । 

वो  सब  अब मौके  की  ओर  बदले  की  ताक  मे  थे । 

 

आखिरकार  वो  दिन  भी  आ  गया । 

रंभा  ओर  रुद्ररेश  सादी  के  बंधन  मे  बंधने  जा रहे  थे । 

इस  मौके  का  फायदा  उठाकर  भोलाराम  ओर  उनकी  टोली  ने  । 

रंभा  की  टोली  जिनमे  तकरीबन  १०  लोग  थे  सब  पर  तंत्र  हमला  बोल  दिया । 

एक  के  बाद  एक  शैतान  की  बलि  चड़ते  गए  । 

ओर  इन  बलिओ  से  भोलाराम  की  टोली  ओर  भी  शक्तिशाली  हो  गई । 

अब  वो  रंभा  ओर  रुद्ररेश  से  बदला  लेने  के  लिए  तैयार  थे । 

 

अब  उनका  विवाह  सम्पनन  हो  चुका  था । 

रंभा  अपनी  डोली  मे  बैठकर  ससुराल  जा  रही  थी  । 

तब  भोलाराम  की  टोली  ने  उन्हे  तंत्र विध्या  से  मार  गिराया  । 

पर  रंभा  को  वरदान  था  की  उसे  मारने  वाला  मात्र  छह  घंटों  तक  जीवित  रहेगा  । 

इसलिए  अब  भोलाराम  ने रंभा  को  मारकर  अपनी  प्रतिज्ञा  पूरी  करली । 

अब  उसके  पास  सिर्फ  छे  घंटे  थे  । 

उसने  गाव वालों को  सब  हकीकत  बतादी  । 

 

फिर  अगले  ही  दिन उसकी  मृत्यु  हो गई । 

उसी  रात  फिर  से  गाव  मे  मौते  होने  लगी । 

फिर  पता  चला की  ये  सब  रंभा  ओर  उसकी  डोली  के  साथ  जो  लोग  मरे  उनकी  आत्मा ए  कर  रही थी । 

क्युकी  डोली  मे  मारी  गई  रंभा  ओर  उसकी  टोली  अब  भूत  हो  चुकी  थी । 

वो  अब  उस  रास्ते  से  गुजरने  वाली  हर  डोली  को  ओर  बाराती  को  बे -मौत  मारते  थे । 

इन  सबसे  तंग  आकर  गाव के पंडित  ने  उन सबको  बंधी  बना  लिया  ओर  श्राप  दे  दिया की  । 

तुम लोग  यहा से  तब ही  बाहर  निकलोगे  या कोई तुम्हें पुकारेगा या फिर   तुम्हारी  वस्तु  को  अपने  साथ  ले  जाएगा  । 

आज भी  साम के  वक्त  वहा  ऐशा  नहीं  कहते  की  मेरे  साथ  चलो । 

या  फिर  वहा से  कोई  वस्तु  अपने  साथ  नहीं लाते । 

 

पार्थ  ने  कहा  अब  क्या  होगा  पापा । 

ये  सुनकर  नटवर लाल  बोले  मौत  का  तांडव  । 

कैसा  होगा मौत  का  तांडव  जानने  के लिए  पढे । 

डोली  अरमानों की भाग  - ४ 

 

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