ईश्क है सिर्फ तुम से - 17 Heena katariya द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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ईश्क है सिर्फ तुम से - 17

नाज आमिना के साथ कॉलेज के कैम्पस में दाखिल हुई थी की उसकी नजर साहिर पर पड़ती है जो की कॉलेज के गेट के पास किसी का इंतजार कर रहा था । जैसे ही साहिर की नजर नाज पर पड़ी नाज अपनी आंखे चुरा लेती है। वह दूसरी ओर देखते हुए आमिना से बात करने लगती है। जैसे ही वह साहिर के नजदीक से गुजरने वाली होती है। साहिर उसे रोकते हुए कहता है।


साहिर: जरा सुने!? ।


नाज: ( आंखे मिचते हुए खुद को कोसती है फिर साहिर की ओर देखते हुए कहती हैं । ) बोले!? ।


साहिर: ( मुस्कुराते हुए ) आपसे कुछ गुफ्तगू करनी थी अगर आपको कोई ऐतराज ना हो तो क्या थोड़ी देर आप रुक सकती है!? ।


नाज: लेकिन....! मेरे! क्लास शुरू होंगे कुछ ही मिनिट्स बचे है।


साहिर: बेफिक्र रहे! ज्यादा वक्त नहीं लूंगा! बस कुछ मिनिट ।


नाज: ठीक है! ।


साहिर: चले फिर! ( नाज को कॉलेज के गार्डन की ओर ले जाते हुए ) ।


नाज: अच्छा सुने!? ( चलते हुए ) ।


साहिर: ( नाजिर ओर बिना देखे ) बोले! ।


नाज: वो... वो..... लास्ट टाईम मैने कुछ ज्यादा ही उल्टा सीधा बॉल दिया था...! तो ।


साहिर: ( सिर्फ मुस्कुराते हुए एक नजर नाज की ओर देखता है फिर नजर घुमाते हुए कहता है। ) कोई नहीं! गलती मेरी भी थी ।


नाज: हां.. वो तो है ही! पर फिर भी... मैने वैसे रिएक्ट नहीं करना चाहिए था ।


साहिर: ( हंसी रॉक नहीं पाता! । मन मे: इंट्रेस्ट्रिंग ) जाने दे! खैर! मैने आपको इसलिए बुलाया है! आप तो जानती ही होगी की आपको मेरे साथ प्रोजेक्ट करना है राइट!? ।


नाज: नो!? ।


साहिर: ( हंसते हुए ) अरे! आप भूल गई क्या!? मैं आपके क्लास के प्रोजेक्ट का इतजामिया हूं!? ।


नाज: नहीं वो तो मैनू पता है! पर आपके साथ प्रोजेक्ट ये!? ।


साहिर: कल ग्रुप में मैसेज नहीं पढ़ा शायद आपने!? ।


नाज: ( सिर को ना में हिलाते हुए ) .।


साहिर: खैर! तो अब कब से शुरू करे!? ।


नाज: पता नही!? ( मासूम शक्ल के साथ साहिर की ओर देखते हुए ) ।


साहिर: ( होठ भींचते हुए एक नजर नाज की ओर देखता फिर जल्दी से नजर घुमाते हुए गला साफ करते हुए कहता है। ) कोई नहीं! आप मुझे आज शाम तक जवाब दे दीजिएगा! और!... ।


नाज: और!? ।


साहिर: हम कॉन्टेक्ट कैसे करेंगे!? ।


नाज: ओब्वियस्ली फॉन के थ्रू! ये भी कोई पूछने वाली बात है क्या!? ।


साहिर: वो मुझे भी पता है! पर लास्ट टाईम एक नाम पूछने पर कितनी बाते सुननी पड़ी थी अगर इस बार मैं नंबर के लिए बोलता तो पिटाई ही हो जाती तो इसलिए...! ।


नाज: ( शर्म से पूरी लाल हो जाती है। बिना कहे साहिर को फोन आगे करते हुए कहती है। ) नंबर डाले अपना मैं आपको कॉन्टेक्ट करूंगी! ।


साहिर: ( नंबर सेव करते हुए ) आपने अभी तक जवाब दिया नहीं मेरी बात का ( नाज को छेड़ते करते हुए ) ।


नाज: ( साहिर के हाथ से फॉन लेते हुए कहती है। ) मेरी क्लास का वक्त हो गया है! मैने जाना है। ( इतना कहते ही! वह आमिना कुछ दूरी पर खड़ी थी उसकी ओर भागते हुए चली जाती है। ) ।


साहिर मुस्कुराते हुए नाज को भागते हुए देख रहा था। उसकी आंखों में एक अलग सी कशिश दिख रही थी। जो की इस बात को साद साफ बयान कर रहा था की वह नाज की ओर की दिल कशी को साफ साफ बयान कर रहा था । तभी रियाज साहिर के कंधे पर हाथ रखते हुए कहता है।


रियाज: तेरे इश्क की इंतहा चाहता हूं!..... ( गजल गाते हुए ) ।


साहिर: ( खुद को संभालते हुए ) तुम यहां क्या कर रहे हो!? ।


रियाज: क्यों भाई मैं यहां क्यों नहीं हो सकता!? यहां पर आने पे पाबंदी है क्या!? या फिर अपने महबूब के साथ ही आ सकते है!? ( मुस्कुराते हुए साहिर को छेड़ते हुए ) ।


साहिर: रियाज.... ऐसा कुछ नहीं है और धीरे बोलो! वर्ना वो मेरी जान ले लेगी! अगर ऐसी बात उसके कान तक पहुंची तो!।


रियाज: साहिर हसन डर रहा है! और वो भी एक लड़की को गलतफहमी ना हो इस बात से!? आज कयामत आने वाली है क्या!? ।


साहिर: ( सिर को ना में हिलाते हुए ) चलो! अब क्लास शुरू होने वाली है! और प्लीज ये बेगैरत बाते आगे से ना करना! सच में अभी हमारे बीच में कुछ नहीं है ।


रियाज: अभी नहीं है आगे तो हो सकता है ना! हां हां... हां..! । ( साहिर को छेड़ते हुए ) ।


साहिर: ( शरमाते हुए नजरे झुका लेता है और होठ को भींचते हुए खुद को मुस्कुराने से रोकता है। लेकिन फिर भी उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ ही जाती है। ) ।


रियाज: ( चिल्लाते हुए ) क्या बात है आखिर कार साहिर मियां मुहब्बत में पड़ ही गए! ।


साहिर: ( बैग में से बोटल को रियाज को मारने के लिए देखते है ) रियाज.... । ( भागते हुए ) ।


रियाज: ( कॉलेज की ओर भागते हुए ) ब्रेकिंग न्यूज.... ।


साहिर: ( जल्दी से भागते हुए रियाज को कस के पकड़ते हुए गुस्से में देखता है।)।


रियाज: ( साहिर की पकड़ से छूटने की कोशिश करते हुए ) अच्छा सॉरी...! सॉरी...! ।


साहिर: ( गुस्से भरी नजरो से एक बार रियाज की ओर देखते हुए ) प्लीज.. हर बात पे मजाक नहीं! ।


रियाज: ( शोखी मिजाज के साथ) तो तुम कुबूल करते हो की तुम्हे उससे मुहब्बत है वर्ना इतना फर्क क्यों पड़ता!? हां..! हां..! बोलो बोलो...! ।


साहिर: रियाज…! ( इरीटेट होते हुए ) ओके फाइन पसंद है मुझे वो अब खुश! ।


रियाज: ( समझ नहीं आता कैसे इस बात को हजम करे की साहिर को मुहब्बत हुई है। वह कुछ पल तो ठहर कर साहिर की ओर देखता है फिर साहिर को गले लगाकर थपथपाते हुए कहता है। ) मुबारक हो! आखिरकार मुझे मेरी भाभी मिल ही गई । वैसे काफी हसीन भाभी जान है नहीं! ( नाज जो की नोटिस बोर्ड पर नोटिस पढ़ रही थी उस ओर देखते हुए । ) ।


साहिर: ( जो की नाज की ओर कशिश भरी नजरो से देख रहा था । ) हम्म ..! ।


रियाज: ( मुस्कुराते हुए ) तो अब आगे क्या प्लान है!? ।


साहिर: ( नाज की ओर से नजर से हटाकर रियाज की ओर देखकर कहता है। ) रियाज कुछ भी उल्टा सीधा नहीं हां! मुझे तेरी कोई भी मदद नहीं चाहिए! तो तू उससे दूरी ही बनाए रखना! । तो मेरी बात बनाने के बजाए बिगाड़ दोगे! । मैं खुद संभाल लूंगा तो तू बिलकुल दूर... दूर...! ।


रियाज: ( हंसते हुए ) शांत शांत..... हाहाहाहाहा.... इतना डर क्यों रहे हो!? अभी तो मैने कुछ सोचा भी नही! खुदा ना खासता अगर कुछ करने का सोचा भी तो! तुम रिजल्ट से पहले ही खुदा को प्यारे हो जाओगे । हाहाहाहाहा... ।


साहिर: ( गुस्से भरी नजरो से रियाज की ओर देखते हुए )।


रियाज: ( हाथ ऊपर करते हुए ) खुदा कसम मैं भाभी के आसपास जाना तो दूर मेरी परछाई भी नजर नहीं आएगी! जब तक तुम मुझे मदद के लिए ना बुलाओ।


साहिर: बैटर! ।
रियाज: ( साहिर के कंधे पर हाथ रखते हुए ) चलो फिलहाल तो क्लास का बेल बज रहा है ।

साहिर भी एक नजर नाज की ओर घुमाता है तो नाज भी अपने क्लास की ओर जा रही थी। जब नाज की नजर साहिर की ओर पड़ती है तो एक मुस्कुराहट के साथ साहिर की ओर देखती है। और अपने क्लास की ओर चली जाती है । साहिर मुस्कुराते हुए अपने क्लास की ओर रियाज के साथ चला जाता है।

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