इश्क. - 10 om prakash Jain द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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इश्क. - 10

सिम्मी अपने कमरे में बहुत ब्याकुल है।अपने प्यार की बया अपने माता -पिता से कैसे करे।पिता जी उस चपरासी लड़के से शादी करने को विवश कर रहे है।सिम्मी कहती है अपने मन में मेरे दिल में सिर्फ वेदांत है।
कैसे मैं दूसरे लड़के से विवाह कर सकती हूं।बहुत बड़ा धोखा होगा।वेदांत मेरा दिल का धड़कन है।उनके दिल के किनारे किनारे चलती हूं।रोने लग जती है।
मां सिम्मी के रोने की आवाज सुन लेती है।बेटी मय कुछ नहीं कर सकती जैसा तेरे बाबू निर्णय लेंगे ।ओ अटल है।तू चपरासी लड़के से शादी कर ले।
शेखर ,वेदांत से जम कर लड़ाई होता है ।इन दोनों का आये दिन लड़ाई झगड़े होते रहते है।काका बीच बचाव करता है।पहले डॉली को लेकर बात बिगड़ी।मनोज सर मोनिका को जीने नहीं दे रही है।इसे हटा कर डॉली को हीरोइन बनाने की जिद में है।इसका सपना पूरा होने जा रहा है।
वेदांत ,मनोज को फ़िल्म प्रोजेक्ट से अलग करने की हिम्मत तो जुटाई पर हिम्मत उनका टूट गया।डोली मनोज के बिस्तर गर्म कर रही है ।मनोज सूटिंग से आ जाता है।इधर डॉली काजू,किसमिश बादाम ले कर करेक्ट 8 बजे मनोज के क्वाटर में पहुँच जाती है।रात भर क्या करती ,सीखती है।मालूम नहीं ।भोर में डाली घर पहुँच जाती है ।इन दोनों का दिनचर्या बन गया है ।डोली बहुत उत्साहित है।हीरोइन बनने के ख्वाब देख कर अपने जिस्म की आबरू लुटा रहीहै ।एक महिला की सेक्स शोषण हो रहा है ।एक पत्रकार ने आवाज लगाई उसका किसी ने गाला घोट कर आम के बगीचा में जिंदा गाड़ दिया।
मोनिका अपने मंगेतर के साथ खुश रहना चाहती है।वेदांत के फ़िल्म पूरी सूटिंग और डबिंग के बाद बाय कर के चली जायेगी। सोच ली है।परंतु वेदांत ,मोनिका के काम से संतुष्ट और प्रभावित है।और मोनिका की फ़िल्म चल कर लागत का 2 से 3 गुना दे के जाता है । र्मे वेदांत का मनोभाव पढने लगा।मोनिका बहुत चरित्र वान अभिनेत्री है।परंतु वेदांत से उनका एक बार दिल लग गया था।और अपने आप को वेेेदांत को सोप देना चाहती थी। परंतु वेदांत सिम्मी नाम की एक गरीब घर की लड़की सिम्मी को दिल दे बैैैठा था ।सिम्मी भी उन्हें बहुत प्यार करती थी।शेखर सिम्मी के हनुमान जी बन कर रक्षा करते थे।वेदांत और शेेेखर की रोज लड़ाई होती थी।काका भी परेशान कभी कभी हो जाते।और कहने लगते मैं अपना गांव चले जाऊंगा।ये दोनों बंदे काका से माफी मांगते।कुुछ दिन ठीक रहते फिर झगड़ा सुरु हो जााता।काका कहते ये दोनों कभी भी नही सुधरेंगे जब सिम्मी बेटी बिहाह के इस घर मे आएगी तभी ये दोनों सुधार जाएंगे।परंतु दोनों की गाढ़ी दोस्ती है।
सिम्मी बहुत परेशान है ,चपरासी के बेटा चपरासी से शादी करने की दबाव बन रहा है।इस दबाव से सिम्मी के कोमल मन कुंठित होता है।उनके बाबूजी उस चपरासी से शादी के रिश्ते तय कर रहा है।शेखर को अपनी ब्यधा सिम्मी बताती है।उस कल्लू से शादी नही कर सकती मैं कुँआरी भी रह जाऊँ मुझे मंजूर है।सिम्मी शेखर से कहती है कुछ कर शेखर भैया नहीं तो मैं मर जाऊंगी।मेरा वेदांत का दिल तोड़ नाही सक्ति।मैंने वेदांत को अपने दिल मे बसा लिया है।उसी की गुण गान करती हूं।।।वेदांत ने भी मुझे दिल दिया है।हम कभी जुदा नहीं होंगे।