बड़े लोग छोटी सोच Arun Singla द्वारा यात्रा विशेष में हिंदी पीडीएफ

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बड़े लोग छोटी सोच

मैं जब भी ओला या उबर टेक्सी  से ट्रेवल करता हूँ तो अक्सर समय बिताने के लिए उनसे बातचीत का सिलसला शुरू कर लेता हूँ. एक तो इससे कब डेस्टिनेशन पर पहुंचते हैं, पता ही नहीं चलता दुसरे इन लोगों के पास एक दम ताजा किस्से- कहानिया का जखीरा होता हैं.

अभी कल ही मेरे कैब ड्राईवर ने  मुझे ये क़िस्सा सुनाया था:

“सर, कल रात मैंने दो यंग लड़कियों को पार्लियामेन्ट स्ट्रीट से अपनी गाडी में बैठाया था, दोनों लडकियां नशे में चूर नजर आ रही थी” उसने किस्सा सुनाना शुरू किया.

“हूँ” मैंने सिर हिलाया.

“सर,मेने डेस्टिनेशन कन्फर्म करने के लिए लड़कियों से पूछा,

“आपको परी चौक नॉएडा ही जाना है ना”

“एप्प में नजर नही आया क्या“ उनमे से एक लडकी ने तीखी आवाज में जवाब दिया

“ मैडम, मै तो बस कन्फर्म कर रहा था“ मैंने बेक मिरर में देखते हुए कहा

“ज्यादा स्मार्ट ना बन, तू हमे जानता नही“ दुसरी लडकी ने सीट पर सीधा बैठते हुए कहा, वह पुरी तरह नशे में चूर नजर आ रही थी

“अरे नेहा, ये लोग रात को एकेली लडकी देख कर उसे लूट का माल समझते हैं, पर यह जानता नहीं हम लोग क्या चीज हैं ” पहली ने नशे में तमतमाते हुए कहा

“पर मेने तो कुछ भी गलत नहीं कहा, मैडम” मैंने शिकायत भरे लहजे में कहा.

“गलत बोल के तो दिखा, जानता नही मेरा बाप कोन है“ लडकी ने आवेश में कहा. सर, मैंने चुप रहने में ही भलाई समझी . फिर ड्राईवर ने किस्सा आगे बढ़ाते हुए बताया, अभी मैं कुछ दूर ही चला था की, पहली लडकी ने कहा

“ड्राईवर AC तेज करो”, और मैंने AC को  फुल स्पीड पर कर दिया, थोड़ी ही देर में ही गाडी एकदम से ठंडी हो गई.

“क्या बात तेरा AC काम नहीं कर रहा“ पहले वाली लडकी शराब की गर्मी को सहन नहीं कर पा रही थी.

“पर मेडम गाडी तो एकदम ठंडी है” मैंने मुस्कराते हुए कहा.  

“क्या बकवास करता है, ये गाडी ठंडी है, मुझे पसीना आ रहा है“ वह तमतमाई.

“ मैडम मैं आप से तमीज से बात कर रहा हूँ, आप भी तमीज से बात करें” मुझे भी गुस्सा आ गया था

“तो तू मुझे तमीज सिखाएगा” उसने चिल्लाते हुए और लगभग सीट से खडी होते हुए कहा.

“सर, इसके बाद उन दोनों लड़कियों ने मुझे जो गंदी-गंदी गलियां दी, तो मुझे गुस्सा तो आया ही पर मैं हेरान भी हो गया था और मेरा ये भ्रम की बड़े लोग बड़े सभ्य होते हैं, क्षण भर में दूर हो गया. सर, मैं सच कहता हूँ  अगर वो लडकियां ना होती तो बड़े वाला  झगड़ा हो जाना था, पर मामला लड़कियों का था और मुझे पता था की  मेरी बात किसी  ने नहीं सुननी थी, तो मैं मन मार कर में चुप रह गया, सर लगभग एक घंटे का सफ़र था, थोड़ी देर तो वो दोनों  मुझे सबक सिखाने की बाते करती रही, और फिर जल्द ही एक दुसरे पर लुडक गई.

“लुडक गई मतलब“ मुझे अब मजा आना लगा था

“सर दोनों नशे में टुन्न तो थी ही सो गई होंगी “

“फिर”

“सर, परी चौक पहुँच कर मैंने गाडी रोक दी और बेक मिरर में से लड़कियों को देखते हुए  कहा:

“मैडम परी चौक आ गया है, पर उन दोनों ने कोई जवाब दिया. सर, मैंने बार- बार तेज आवाज में बोल कर भी उन्हें जगाना चाहा परन्तु वे दोनों टस से मस न हुई, कहीं इन्हें कुछ  हो तो नहीं गया, मैंने सोचा, पिछले ही दिन मेरा एक दोस्त जो होटल में वेटर है, मुझे बता रहा था की उनके होटल के रूम में दो लड़के ज्यादा ड्रग लेने के कारण मृत पाय गये थे, सर अब मै बुरी तरह डर गया था, उन्हें हाथ लगा कर जगाने की मेरी हिम्मत ना हुई,

“ये तुमने ठीक किया, हाथ नहीं लगाया, फिर तुम ने उन्हें कैसे जगाया” मैंने उत्सकता से पूछा

“सर, थोड़ी देर तो मैं सोचता रहा फिर मैं गाडी पुलिस स्टेशन ले गया”

“एकदम सही काम किया तुमने“ मैंने उसे शाबाशी दी.

“सर ठीक यही बात बाद में थानेदार साहिब ने भी नुझे कही थी, पर उस समय तो वो इलाके के दौरे पर बाहर थे, उनके आने से पहले पुलिस स्टेशन पर मोजूद सिपाहियों ने मुझे ही घेर लिया, और मुझे ही दोषी ठहराना शुरू कर दिया.

“बता तूने  इनके साथ क्या किया है, जरुर कोई नशीली  दवा खिला कर पहले इन्हें बेहोश कर लूट लिया और अब ज्यादा होशियार  बन कर पुलिस स्टेशन ले आया”. एक सिपाही ने कहा

“बता लूट का माल कहां छुपाया है”, दुसरे सिपाही ने मुझे हडकाया” और फिर उन्होंने मेरी और कैब की तालाशी ली, पर कुछ ना मिला, कुछ होता तो मिलता.

“साले बता तूने कैसे इनका मर्डर किया”, माल ना मिलने पर वो और भी चिड गये थे.  

“मर्डर पर ये तो ज़िंदा हैं, देखो सांसे चल राही है” मैंने फरयाद की.

“मरी नही तो क्या, तूने तो कोशिश की हे थी, बेटा अब तेरे पर धारा 302 लगेगी, हम हर रोज तेरे जेसे होशियारों से ही निबटते हैं, बोल तेरा क्या करें जल्दी बता वर्ना साहिब के आने पर हम भी कुछ ना कर सकेगें”. सर,अब मै समझ गया था कि उनकी मनसां क्या है.  

“ड्राईवर साहिब आप का तो दिन ही खराब था, फिर क्या हुआ “ मैंने ठंडी सांस भरते हुए पूछा.

“एकदम सही कही आपने, पर तभी भगवान् को मुझ पर दया आ गई, शायद मैंने किसी का भला किया होगा, कि ठीक उसी समय थाना प्रभारी अपनी जीप से थाने में वापिस लोट आये. मैंने सारा किस्सा उनको सुनाया, वो बहुत ही भले साहब थे, उन्होंने सिपाहियों को डांटा व्  मुझे शाबाशी दी की तुम ने एकदम ठीक काम किया हैं.

“थानेदार साहिब तो भले थे ही, तुम भी कम भले नहीं हो, और जो भी भला काम करता है, भगवान् उनका साथ जरुर देता है ” मैंने प्रवचन दिया, आगे क्या हुआ मैंने बात आगे बड़ाई.

“सर, फिर थानेदार साहिब ने लेडीज पुलिस बुलाई, और पानी डाल कर उन्हें जगाया. पहले तो वो थानेदार पर ही रोब डालने लगी की:

“तुम नहीं जानते हम कोन हैं, मेरे पापा IPS है, दो मिनट में वर्दी उतरवा दूंगी” उनमे से एक लडकी ने लडखडाती जबान में धमकी दी. थानेदार शांत रहा, उसने लेडीज पुलिस को कुछ निर्देश दिया, और वे उन दोनों लड़कियों को कैब से उतार कर अंदर थाने में ले गई, अंदर का माहोल देख कर उनका कुछ नशा ढीला हुआ, ओर अब वो थोडी डरी हुई नजर आ रही थी.

“पापा का नंबर बोलो, मैं अपनी वर्दी खुद ही उतरवा लेता हूँ“ थानेदार ने शान्त स्वर में कहा, पहले तो उसने नंबर बताने में आनाकानी की, पर जब थानेदार नहीं माना, तो लड़कियों ने कहा हमे ड्राईवर से कोई  शिकायत नहीं है,

“पर ड्राईवर को तो तुमसे शिकायत है” थानेदार मुस्कराया.

फिर उन्होंने थानेदार  को सॉरी बोल कर मामला निपटाना चाहा, पर बात नहीं बनी, और उन्हें नंबर बताना पडा. मोबाइल नंबर मिलाने पर पता चला की उसके पापा रिटायर्ड IPS थे, थानेदार साहिब और लडकी के पापा बीच कुछ बातचीत हुई, और थानेदार ने उन्हें सारे घटना से अवगत कराया. फिर थानेदार ने मेरी तरफ देखते हुए कहा:

“इन्हें घर छोड़ आओ किराया भी मिलेगा”

पर सर, मैंने तुरंत इनकार कर दिया, कि घर छोड़ने की बात तो दूर रही, मुझे किराया भी नहीं चाहिए. फिर थानेदार ने लडकी के पापा से बातचीत की, और थानेदार साहिब ने मोबाइल मेरी तरफ बड़ा दिया, उधर से लडकी के पापा ने मुझसे अनुरोध किया कि, डरो मत, बस मैं तुम से मिलना चाहता हूँ. फिर सर, मैं मना नहीं कर सका और लड़कियों को  घर छोड़ने चला गया, वहां उसके पापा अपनी कोठी बाहर ही हमारा इन्तजार कर रहे थे, गाडी रुकते ही सबसे पहले तो उन्होंने मुझे थैंक्स कहा, तब तक दोनों डरी हुई लड़कियां भी कैब  से उतर चुकी थी, फिर पापा अपनी लडकी को कुछ दूर ले गये और नजर आ रहा था कि वो उसे डांट रहे थे, फिर दोनों कैब  के पास वापिस आये और लडकी ने मुझ से माफी माँगी, लडकी के पापा ने मुझे मेरे मना करने पर भी इस मामले में जो मेरा  समय बर्बाद होने के कारण नुक्सान हुआ था, ना केवल उसकी भरपाई की बल्कि मुझे  अंदर आ कर चाय पीने के लिए भी बोला, पर सर मैंनेउन्हें धन्यवाद कर, तुरंत वापसी की राह ली.

“अंत भला सो सब भला” मैंने कहा

“पर सर, ये बड़े लोगों के बच्चों में वो बात क्यों नहीं जो इनके माँ-बाप में हैं”

मैं कुछ प्रवचन करना ही चाह रहा था की, ड्राईवर ने गाडी रोक दी.

“सर, आपकी डेस्टिनेशन आ गई“ और मैंने किराये का रूपए में और किस्से का धन्यवाद में भुगतान करता हुआ कैब से नीचे उतर गया.