हर सांस पे मेरी बैरागी दिलीप दास द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

हर सांस पे मेरी

(१)
माँ तू ने सबकुछ दिया हमें,
तेरे बिना जग सुना सा था।
आंसू तेरे ही थे मेरे,
हर सांस में बस तू ही समाई।

तेरी जागीर बस मेरी जिंदगी ,
मेरे आगे तेरे लिए संसार कुछ भी नहीं
तू जीवन का आधार थी।
तुमने मेरी खुशियों के लिए,
अपने आपको कुर्बान किया।

माँ के प्यार में बस एक बात है,
वो निर्मल और पवित्रता के साथ है।
और अलौकिक एहसास है
तेरे संग हर पल बिताना,
मेरे लिए सबसे जरूरी।
मुझसे तेरी तुझसे मेरी है जिंदगी पूरी

छोटी उम्र में मिला
मुझे बस तेरा साथ,
तब तू ही थी मेरे हाथ।
तेरे बिना जीना नहीं था संभव,
माँ जैसी शक्ति किसी को मिलना असंभव।

माँ, तेरा प्यार बेमिसाल है,
तू ही जगती आँखों की राहत है।
तू मेरी जान है, मैं तेरा अंश हूँ,
ये बंधन हमेशा बना रहेगा अपनी मिठास है।

हर सांस पे मेरी , तेरी हर सांस कुर्बान थी।
हर सांस पे मेरी , तेरी हर सांस कुर्बान थी।
तू मेरी जान थी , मैं तेरी जान था।
फिर कैसे मैं भूल गया ,
तेरा सब कुछ मुझ पे कुर्बान था।

(२)
हर सांस में बसती है तेरी खुशबू माँ,
मेरे लिए तू है अनमोल वरदान।
जीवन के हर मोड़ पर, मेरे साथ तू रही,
माँ तू ही थी मेरी राहों की पहचान।

तेरे बिना जीवन बैरंग सा बेडंग सा,
तूने दी खुशियाँ,
तेरे संग हर पल खुशहाली का।
किसी अंधेरे में तूने जलाई रोशनी,
हर बुरी घड़ी में तू लाई सवेरा।

माँ तू ही थी मेरी सुनहरी धूप,
तूने बचपन को सजाया, बढ़ाया और संवारा।
जब भी थक जाता था मैं राहों में,
तेरी ममता ने दिया मुझे सहारा।

जीवन की लड़ाई में तूने सिखाया,
सामर्थ्य और साहस, सबको जो आया।
हर मुश्किल में तू मेरे साथ,
तेरी ममता ने दिया मुझे बल,
और किसी खुशनसीब को नसीब है
तेरे आंचल की छाव।

जब भी मैं हार जाता था संघर्षों में,
तू बल बिलकुल सही, देती थी मुझे ताक़त।
जिंदगी के सफर में तू थी मेरी साथी,
माँ, तू ही थी मेरी जिंदगी की राहत।

आज भी तेरी यादें साथ छोड़ नहीं रहीं,
तू है मेरे दिल में, हर दम बसी हुई।
माँ, तेरी ममता को क्या कहूँ अब तक,
हर सांस पे मेरी, तेरी ही सांस कुर्बान हुई।

(३)
माँ की ममता, माँ की यादें,
जिन्दगी की राहों में हरदम संग थी।
हर सांस पे मेरी, तेरी हर सांस कुर्बान थी,
तू मेरी जान थी, मैं तेरी जान था।

प्यार की बहारों में रूह की ज़ुबां थी,
दुआओं की सौगातें,
तेरे आँचल में समाईं।
तेरी खुशियां ,
मेरी खुशियों के आगे बस बर्बाद थी,
हर सांस पे मेरी, तेरी हर सांस कुर्बान थी।
तू मेरी जान थी, मैं तेरी जान था।

गम की बारिशों में तू सुख की बरसात थी,
छाती को सी-सी कर, तूने राहत दिलाईं थी।
मेरे उदास चेहरे को मुस्कान दिलाईं थी।
प्यार की नदियों में तुने ममता बहाईं थीं

फिर कैसे भूल गया मैं उन पलों को,
जब तूने सब कुछ मेरे लिए त्यागा था।
हर सांस पे मेरी, तेरी हर सांस कुर्बान थी,
तू मेरी जान थी, मैं तेरी जान था।

माँ की ममता, माँ की यादें,
जिन्दगी की राहों में हरदम संग थी।
हर सांस पे मेरी, तेरी हर सांस कुर्बान थी,
तू मेरी जान थी, मैं तेरी जान था।

तेरी खुशियां , मेरी खुशियों के
आगे आबाद थी या बर्बाद थी
हर सांस पे मेरी , तेरी हर सांस कुर्बान थी।
तू मेरी जान थी , मैं तेरी जान था।