राख!! Madhu द्वारा पत्र में हिंदी पीडीएफ

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राख!!

अरे ये क्या कह रही हो तुम अभी कुछ दिन पहले हि हमारी बात हुई थी तब तो सब ठीक था! एकदम फ़िट एण्ड फ़ाइन थी ये सब कैसे क्या हो गया ?यकीन नहीं हो रहा है सुन्न पड गये है!
हैं....? कल तो मिले थे राम राम हुई थी ढेरो बाते हुई थी कही कुछ नहीं था चेहरे पर कितनी आभा थी आंखों में कितने सपने सजोये थे कितना कुछ करना था l
ये क्या कह रहे हो अभी तो थोड़ी देर पहले तो हमारी मुलाकात हुई बात चीत हुई थी!
अरे अभी तो इधर गुजरे थे तब तो सही थे l अभी थोड़ी देर पहले हमारे साथ हि तो आ रहे थे पूरे रास्ते ढेरो बाते हुयी थी l कल एक झलक देखा था मैने दुसरी तरफ़ बात कर रहे थे उनसे राम राम भी ना हुई l
कुछ दिन पहले हि बिटिया कि शादी कि थी कितनी खुश थी सभी से मिलाना जुलाना हो रहा था l कैसे क्या हो गया तब तो सब ठीक था!
कल हि तो अपने भाई कि शादी में नाच रहा था कितना खुश था l
अरे अभी तो हम साथ निकले थे आफ़िस से तब तो सब ठीक था l
कल हि तो अपनी बुआ को छोड कर गया था कितनी हि देर रुका खुशमिजाज लग रहा था l
अरे हम साथ स्कूल से आये थे l
अभी मंदिर में भजन कर रहे थे जब मै उधर से गुजरी थी l
वो बूढे बाबा अभी तो हमे कह कर गये थे आ रहा हूँ चाय बना कर रखना अब ये क्या कह रहे हो!
मम्मी तो मेरे कुछ वक़्त पहले बाजार जाने को कह रही थी ये हुआ क्या?
अभी बस पापा आकर पानी पिये है ये क्या हुआ कुछ कह भी ना एक हि झलक देखी थी l
आप ये क्या कह रहे हो अभी तो हमसे मिल कर गई है ! बोल रही थी कल फिर आउगी l ये नहीं हो सकता है कतई नहीं!
अरे अभी तो खेल रहा था मैदान में हम देखे थे ऐसे कैसे?
अरे अभी तो हम साथ बाजार गई थी!
अरे हम साथ में दर्शन करने गये थे!
अभी तो दिदि टहलने गई थी!
अरे अभी तो हम साथ शादी के तैयारी कि लिस्ट बना रहे थे! हम कुछ देर के लिये चला क्या गये कि ये.....!!
ये अचानक कुछ भी होता है ना अकसर तबाही हि लाता है ना कुछ कहने का मौका मिलता है ना कुछ सुनने का ना कुछ करने का! कभी कभी तो करते हुये चल पडते हि उस लोक को सब कुछ त्याग कर! हमारे साथ वालो को खबर भी नहीं हो पाती है ! कब हमारा एक क्षण भी आखिरी बन जाय कुछ खबर नहीं! हर क्षण हर गम खुशी के स्वीकार करते चलो नहीं तो कोई भी क्षण आखिरी हो जाये नहीं जानते हैं! पता भी नहीं चल पाता उस लम्हे हम कितनी बाते कर रहे थे नये नये योजना बना रहे थे कैसे क्या कब करना हम बनाते हि रह जाते है हमारा क्षण कब अंतिम बन गया ! पता नहीं कितनी बातो को कह भी नहीं पाते है हा अब कह देगे ऐसा कर देगे !!पता है कभी कभी साथ होकर भी छोड जाते कब बिछड गये उन्हें खुद भी नहीं पता नहीं चला ना अहसास अरे एक लम्हा हि चेतना जाग्रत हो जाय खैर कुछ बाते असम्भव हि है!!

पल भर में हि हम सब यादे बन कर रह जाते हैं!

इति!!