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स्वास्थ्य सम्बन्ध बाते.....

मौसमी भावात्मक विकार को दुर करती है रेड लाईट थेरैपी......
शरीर में जरुरी हार्मोन कि कमी के कारण व्यक्ति मानसिक रूप से बीमार होता है.... थकान और वजन बढने की शिकायत होती है... इसके उपचार में रेड लाईट थेरैपी दी जा सकती है....


रेड लाईट थेरैपी. जिसे फोटोक्रोमटिक थेरैपी भी कहा जाता है, चिकित्सा विकारो, मौसमी भावात्मक विकार और नीन्द सम्बन्धी विकारो के इलाज के लिये उपयोग कि जाती है... मौसमी भावात्मक विकार सर्दियो में शुरू होता है और बसन्त या शुरूआती गर्मियो तक रहता है... सर्दियो के दौरान कम धूप होने के कारण मस्तिष्क में सेरोटोनिन हार्मोन कम बनता है. जो मूड को नियंत्रित करता है.. इसकी कमी के कारण थकान और वजन बढ़ने के लक्षण के साथ साथ अवसाद कि भावना होने लगती है.... इन लक्षणो से ग्रस्त व्यक्ति को उपचार के रुप में रेड लाईट थेरैपी दी जा सकती है.....
प्रकाश मनुष्य को भौतिक (फ़िजिकल) और आंतरिक रुप से प्रभावित करता है... रंग विद्युत् आवेगो व चुम्बकीय धाराओ या उर्जा के क्षेत्रों को उत्पन्न करते है, जो शरीर में जैव, रासायनिक और हार्मोनल प्रक्रियाओ के प्रमुख सक्रियकर्ता है.... पूरे सिस्टम उसके अंगों को संतुलित करते के लिये आवश्यक इस थेरैपी का उपयोग जरुरत पड़ने पर हि किया जा सकता है....

पहले लक्षणो को जाने : लगभग हर दिन उदासिन रहना, दुखी या चिडचिडापन महसूस करना उन गतिविधियो में रुचि खो देना. जिनमे आप एक समय आनंद लेते थे.. उर्जा कम होना और सुस्ती महसूस होना.... बहुत अधिक सोने मे समस्या होना... कार्बोहाइड्रेट कि लालसा.. अधिक भोजन करना और वजन बढना... ध्यान केन्द्रित करने मे कठिनाई होना.... निराश, बेकार या दोषी महसूस करना और जीने कि इच्छा ना रखने के विचार आना.... इस प्रकार के लक्षण होने पर विशेषज्ञ इस थेरैपी को देने से पहले कारणो का पता लगाते है.... इसके लिए वे कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओ का विशेष ध्यान रखते है... जैसे :___
आंतरिक घड़ी :
पतझड़ और सर्दियो में धूप का कम स्तर मानसिक विकार का कारण बन सकता है.. धूप मे यह कमी आपके शरीर को आंतरिक घड़ी को बाधित कर सकती है और अवसाद कि भावनाओ को जन्म दे सकती है.....!!

सेरोटोनिन हार्मोन का स्तर :
मौसमी बदलाव मूड को प्रभावित करने वाले ब्रेन केमिकल मे गिरावट का कारण बन सकते है. जो अवसाद का कारण बन सकता है...!!

मेलोटिनिन का स्तर :
मौसम मे बदलाव शरीर में मेलोटोनिन के स्तर के संतुलन को बाधित कर सकता है, जो नीन्द के पैर्टन व मूड स्विंग में अहम भूमिका निभाता है....!!

विटामिन डी का निम्न स्तर :
धूप के सम्पर्क में आने पर त्वाचा में कुछ विटामिन डी का उत्पाद होता है.. विटामिन डी सेरोटोनिन गतिविधि को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है... कम धूप, खाद्य पदार्थो और अन्य स्रोतों से पर्याप्त विटामिन डी नहीं मिलने से शरीर मे विटामिन डी का स्तर कम हो जाता है....!!
उपचार.....
लाईट थेरैपी कि मदद.....
मौसमी भावात्मक विकार से बचने के लिए आप एक लाईट थेरैपी बाक्स कि मदद ले सकते हैं यह सूरज कि रोशनी ना ले पाने वालो के लिये विकल्प के रुप मे है... यह लाईट बाक्स शरीर के सकर्डियन रिदम को उत्तेजित करता है और मेटालोनिन हार्मोन को रिलिज करता है....

फ़ैमिली और फ़्रेन्डस के साथ रहे कनेक्ट.....
जब आप अपनी फ़ैमली और दोस्तों के साथ कनेक्ट रहते है तो आप स्ट्रेस फ़्री और फ़्रेश फ़ील करते हैं.... कई बार सोशल डिस्टेसिग के साथ मौसमी बदलाव के कारण आपका मानसिक स्वास्थ्य अधिक प्रभावित होता है.. ऐसे मे आप अपने परिवार और दोस्तों के साथ अच्छा महसूस करते हैं.. इससे आपको मौसमी भावात्मक विकार से निपटने का मदद मिलेगी....

योगा और व्यायाम......
नियमित रुप से योग या व्यायाम करने से आपका शरीर अधिक एनर्जेटिक रहता है ऐसे मे शारीरिक गतिविधियो से आपको मौसमी भावात्मक विकार से मदद करता है क्योकी योगा और व्यायाम से आपके मूड को अच्छा करने और चिन्ता तनाव व डिप्रेशन को कम करने मे मदद गार है......!!
इन कुछ बातो को ध्यान मे रख कर मौसमी भावात्मक विकार को दुर कर सकते हैं.....
स्वास्थ्य से बडा कोई धन नहीं है.... जब तक आप शारीरिक और मानसिक रुप से स्वस्थ रहेगे तब तक आप खुश हाल ज़िन्दगी जी सकेगे...
स्वस्थ रहिये खुश रहिये 🙆‍♀
जय सिया राम 🙏🙏

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