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माफ़ी...?





माफ़ करना क्या इतना आसान होता है..... ?
काहे कुछ भी आप कर दो.... चाहे वो आप के करने से किसी कि जान पर हि क्यों बन आई हो..... चाहे लोग उनकी वजह से घुट घुट कर जिये हो..... हर लम्हा कितनी हि मौतो मरे हो .....क्या एक माफ़ी से उन लोगों कि गुनाहो पर पर्दा डाल देती है.... या उन लोगो कि माफ़ी से सब कुछ बदल जायगा..... लोगों ने जो बाते कही हो उन बेगुनाह लोगों को कही हो बेमतलब कि प्रताड़ना देना बात बात पर उलहाने देना.... उन लोगों कि माफ़ी से क्या बदल जायगा सब.....?
नहीं कभी नहीं बदलने वाला......वो असहनीय पीड़ा अजीब नजरो से घूरती निगाहे..... उन घूरती निगाहो से अपराधी बना दिये गये हो आप...!
गैर होते तो इतना असहनीय दर्द न लगता l तुम लोग किसी पर विश्वास ना करते ना करते सही अपनी उनमे पर तो विश्वास रखते अपनी आंखों के सामने बढा होते हुये देखे l उंगली पकडकर चलाया पैर नाप कर चप्पल ले आते थे l कोई त्योहार पडा सबसे पहले तुम त्योहारी देने आते थे अपनी छोटी को l इतनी मासूम तुम्हारी छोटी पलटकर जवाब नहीं देना जा जानती थी कोई प्यार से दो बोल बोल दे कहो तो अपनी जागीर हि बता दे इतनी मासूम कि लोग उसकी मासूमियत पर खुद भी मासूम होने का सोचते l अरे एक बार हि उससे पूछ लेते क्या सच क्या झूठ l उसके कहने पर हि विश्वास कर लिये अपराधी बना दिये l
पर तुम लोगों से ऊपर बैठा ऊपर वाला तो बखूबी सब जानता है उसकी अदालत में देर है अंधेर नहीं l चाहे जितने झूठ कि इमारते खड़ी कर लो सच कि एक ईट हि उसे ढहा देगी बस उस पल का इंतजार है l
............
उन लोगों जो उन मासूम लोगों कि जिंदगी तबाह करने कि तो पूरी प्लानिग बना लि l वो दर्द तो नहीं बदल सकता ना
नहीं कुछ नहीं बदलने वाला......
नहीं मै कभी नहीं माफ़ कर सकती कभी नहीं
आप को लगता है तो आप माफ़ करो मै नहीं करने ना हि मै इतने बड़े दिल वाली नहीं मुझे बनना मुझे बडा दिल वाला.....
हा हा आप करो ना कौन रोके है......
मै नहीं कर सकती माफ़....!!
आज भी सब कुछ चलचित्र मेरे मे सपने आता है....
सोते सोते हि जग जाती हूँ पसीने से तर बतर हो जाती हूँ.....
सुकून से सो नहीं पाती हूँ....
बैचैन हो जाती हूँ...
समझ नहीं आता है कैसी अपनी बात रखु....
ना डरती हूँ ना कमजोर हूँ बस खमोश हूँ जाती हूँ
अन्दर हि अन्दर द्वन्द चलता रहता है.....
क्या सब कुछ भूलकर माफ़ कर दु.....
नहीं मै नहीं कर सकती.....
कभी नहीं ....!!
उन अपनो को घुट घुट कर जीते देखा हर हर लम्हा मरते देखा है !सोते हुये हि अचानक उठते देखा सब देखते हुये भी कुछ ना कर पाना कितना असहनीय हुआ पता भी है l आप तो सब जानती है खुद कितना सही फिर भी आप माफ़ करने को कहती हो l नहीं आप करो आपको पूरी आजादी है माफ़ करने का उन बातो को चाहे भूल ना पाय फिर भी आपका व्यक्तित्व हि तो आप ऐसा कर सकते हो l हम लोगों से ये उम्मीद ना रखो क्योकि हम लोग नहीं इतने दयालू है गलती हि सी कि हुई कि माफ़ी हो सकती पर जानबूजकर गलतियो का नहीं l
आज तक मुझे समझ नहीं आया माफ़ करने का औचित्य अरे गलतियो कि माफ़ी होती है गुनाहो कि नहीं कतई
नहीं l हमारी माफ़ी दे देना हि उन लोगों के हौसलो का बुलंद करते जो गुनाह करते हैं उनके हर बे पड जाते और गुनाह करने के वो जानते हैं ना अच्छे से कि कुछ लोग तो है हमारा साथ देने के लिए...!! कभी कभी तो लगता है कि जो ये कुछ लोग है ना साथ देने वाले इन लोगों कि वजह से हि उन लोगों को गुनाह करने का हौसला मिलता है l
माफ़ी कभी नहीं मिलनी चाहिए ऐसे लोगों को.....
कभी नहीं....!!

इति..!!
मधु!


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