Sath Zindgi Bhar ka - 43 books and stories free download online pdf in Hindi

साथ जिंदगी भर का - भाग 43

हर हर महादेव

App सभी को महा शिवरात्रि की बहुत-बहुत शुभकामनाएं

आस्था पिल्लू खाना खा लो वरद ने आस्था के आगे निवाला बढ़ाया लेकिन आस्था ने कोई जवाब नहीं दिया वह खामोशी से बैठी हुई थी

आस्था को 2 दिन हो चुके उसे मुंबई आए हुए लेकिन अभी भी वह भूखी प्यासी वैसे ही बैठे हुए अपने कुंवर जी का इंतजार कर रही थी

आस्था बहुत हुआ कब तक भूखे रहना है वरद को अब सच में उसकी बहुत फिक्र हो रही थी

आस्था की ओर से कोई जवाब ना पाकर वह बाहर आ गया

हेलो कुंवर सा वरद ने एकांश को कॉल किया उन्होंने कुछ खाया एकांश ने वरद के आगे कुछ कहने से पहले ही पूछ लिया

नहीं वरद तो खिलाइए उन्हें इस तरह ध्यान रख रहे हैं आप उनका एकांश ने गुस्से से उसने कहा वरद सिर्फ खामोशी से उसे सुन रहा था

सॉरी हमें आपसे ऐसी बात नहीं करनी चाहिए थी

एकांश में अपने बिहेवियर पर बुरा लगा आपने कुछ खाया

वरद के इस तरह पूछने पर वह खामोश हो गया कैसे खाना खा सकता था

वो जब उसकी आस्था उसकी जान भूखी थी कुंवर सा ले जाइए पिल्लू.......... पिल्लू को वापस मुझसे उस की ऐसी हालत देखी नहीं जा रही है वरद की आंखें नम हो गई

हमें .......... हमे देखना है उन्हें एकांश ने किसी तरह नॉर्मल कॉल को कट कर वीडियो कॉल कर दिया वरद ने जब उसे देखा उसे यकीन नहीं हुआ कि वह एकांश है

आस्था के जाने के बाद ना ही उसने कुछ खाया था और ना ही एक पल भी वह सोया था

उसकी भूक प्यास उसकी नींद सुकून चैन सब आस्था जो ले आई थी

अपने साथ वरद ने आस्था की और कैमरा किया एकाश की एकांश की आंखें भर आई उसे देख कर सूजी हुई

आंखें लाल काला हुआ चेहरा सूखे होंठ यह उसकी आस्था थी ही नहीं इतनी तकलीफ में उसने तब भी उसे नहीं देखा

था जब वो पहली बार उसके घर में आई थी

आस्था ने अपनी आंखें बंद कर ले और नीचे गिर गई आस्था एकांश चीख कर बोला वरद देखिए उन्हें उसने जल्दी से कहा

वरद ने उसे चेक किया उसकी हाथ की कलाई चेक की बहुत धीमी चल रही थी

क्या हुआ है एकाश की फिक्र से जान ......जान....... जा रही थी

सी नील हॉस्पिटल वरद ने कहा और जल्दी से आस्था को अपनी गोद में उठाकर ले जाने लगा

एकांश भी जल्दी से अपने कमरे के बाहर आ गया आस्था के जाने के बाद उसने अपने आप को कमरे में ही बंद किया हुआ था

क्या हुआ है इसका मृणाल जी ने उसे इतनी जल्दी जल्दी जाते हुए देखा और पूछा

लेकिन उससे तो जैसे कुछ सुनाई ही नहीं दे रहा था

वह दौड़ कर अपनी गाड़ी में बैठा और फुल स्पीड से गाड़ी शुरू कि उसने आकाश से कहकर अपना प्राइवेट जेट रेडी करने को कहा

वरद आस्था को हॉस्पिटल ले आया था

लगातार रोने और खाली पेट होने की वजह से उसका बीपी सूट कर गया था

और उसी चक्कर भी आ रहे थे उसे आई वी ड्रॉप लगाया हुआ था

वह बेजान से हॉस्पिटल के बेड पर लेटी हुई थी महज डेढ़ घंटे में एकांश हॉस्पिटल आ चुका था

कहां है वह क्या हुआ है उन्हें एकाश ने वरद को देखते ही सवाल किया

वरद ने भी उसे सब कुछ बता दिया मिल सकता हूं क्या मैं आस्था से एकांश से बोला भी नहीं चाह रहा था

वरद ने उसे आस्था के कमरे के बाहर छोड़ा और खुद वहां से चला गया

एकांश की आंखों में आस्था को देखते ही बगावत कर ली और अपने आप पर बरसने लग गई

एकांश धीरे से उसके पास आते हुए बैठा जान उसका एक हाथ था में और दूसरा हाथ सिर पर रखे उसने आस्था को पुकारा

कुंवर जी बेहोशी की हालत में भी आस्था को उसका एहसास हो गया था

आस्था के उन सूखे होठों पर स्माइल आ गई और जिस हाथ से एकांश ने उसका हाथ थामा हुआ था

उस हाथ पर की पकड़ मजबूत हो गई क्या हाल कर लिया है आपने अपना इसलिए हमने आपको अपने आप से अलग किया था

क्या बताइए ना जान .......जान .........जान जा रहे हैं हमारी आपको ऐसे देख जल्दी से होश में आ जाइए

एकांश उसके करीब होकर बोल रहा था लेकिन इस बार भी वह कहां होश में थी

उसकी बातें सुनने के लिए ना जाने कितनी देर वह उसे उठाने को बोलता रहा लेकिन आस्था उठ ही नहीं रही थी दवाइयों के असर से वह काफी गहरी नींद में थी

एकांश भी वैसे ही उसके बाजू में लेट गया वह भी तो थका हुआ था

फिजिकली और मेंटली भी उसे भी नींद ने अपनी आगोश में ले लिया

आस्था के करीबी से उसे उसका सुकून उसका चैन जो वापस मिल चुका था

आस्था भी बहुत रिलैक्स महसूस कर रहे थे

भले ही वो बेहोश थी लेकिन उसका दिल उसके कुंवर जी के प्रेजेंस की गवाही जो दे रहा था

सारी रात दोनों एक दूसरे के करीब सोकर अपना-अपना सुकून पाते रहे थे

सुबह एकांश उठा आस्था को अभी तक होश नहीं आया अभी तक आस्था बेहोशी देख उसकी आंखें नम हो गई

उसने अपने होठों की मोहर उसके माथे पर लगा दी ना जाने कितनी देर एकांश के लोग अपनी जान के माथे को चूम रहे थे

जल्दी उठे आस्था एकांश ने उसके गाल को सह लाते हुए कहा और बाहर आ गया

उन्हें होश क्यों नहीं आ रहा है वरद क्या कर रहे हैं सब डॉक्टर एकांश ने परेशानी और गुस्से से ही पूछा

डोंट वरी कुंवर सा वह ठीक है अब मैंने खुद चेक किया है उसे वरद ने अपने डॉ होने की ड्यूटी बखूबी निभाई थी

एकांश और आस्था को देखने वह आया था लेकिन जब दोनों एक दूसरे के करीब सुकून भरी नींद सोता देख बिना आवाज करें उसे चेक करके चला गया

होश क्यों नहीं आया उन्हें एकांश हाथ लगाए हुए कुर्सी पर बैठा हुआ था

आ जाएगा होश आप ब्रेकफास्ट करेंगे मैं मंगवा लेता हूं आपके लिए वरद ने हीं उसके कंधे पर हाथ रख कर कहा

नहीं हमें भूख नहीं है एकांश की नजरें आस्था के कमरे की और ही थी

थैंक्यू आप सभी लोगों का जिसने कल के पाठ में बहुत अच्छे से कमेंट किया और जो मेरी इस स्टोरी को पढ़ रहे हैं उनके लिए भी बहुत-बहुत धन्यवाद नेक्स्ट पार्ट में रात तक डाल दूंगी थैंक यू सो मच

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