साथ जिंदगी भर का - भाग 31 Khushbu Pal द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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साथ जिंदगी भर का - भाग 31

सारी रस्में हो चुकी थी धीरे-धीरे सभी गेस्ट भी लौटने लगे थे एकांश और करण दोनों के फैमिली ने एक साथ खाना खाया रेवा अकाउंट के पास बैठने गई उसे पहले ही एकांश में आस्था को अपने पास बुलाया और खाना खाने बैठा दिया

रेवा का गुस्सा और बढ़ गया और वह बिना खाना खाए ही वहां से चली गई

उसके पीछे कुणाल भी चला गया करण और उसकी फैमिली ने भी खाना खाकर सबसे विद्यालय और वह भी चले गए

आस्था सभी नौकरों को इंस्ट्रक्शंस दे रहे थे थकावट की वजह से उसे बहुत नींद आ रही थी लेकिन उससे पहले ही सब अच्छे से क्लीन करना था

इसलिए वैसे ही सबको बता रही थी आस्था क्या कर रही हैं आप आप यहां चलिए सोना नहीं है क्या एकांश

बस 5 मिनट कुंवर जी आस्था ने कहा और फिर से काम में लग गई वह कुछ नहीं आप चलिए हमारे साथ एकांत में बिना उसे कुछ सुने उसे कमरे के पास ले गया और सोने को बोला

कुंवर जी हाथ में जाते हुए एकांश का हाथ थामा हुआ था

कहिए एकांश ने उसकी ओर देखा आस्था ने ना में सर हिला दिया उसे भी पता नहीं था उसने एकांश को क्यों रोका है

आस्था क्या हुआ एकांश ने फिक्र में पूछा कुछ नहीं गुड नाइट आस्था ने कह तो दिया लेकिन एकांश का हाथ अभी भी उसके हाथों में था

अभी उसकी इतनी उम्र भी नहीं थी कि वह इन सब फिलिंग्स को प्रॉपर्ली समझ पाए लेकिन उसकी बुहारी आंखें बहुत आसु से उसे देख रहे थे एकांश को भी उसे अपने करीब ले लेने की बहुत तमन्ना हुई जिसे उसने शिद्दत से डाल दिया

गुड नाइट आस्था एकांश ने उसके सर पर अपने लबों की मोहर लगा दी आस्था ने अपनी आंखें बंद कर ली उसके होठ अपने आप थोड़े अलग हो गए और उनकी थरथर भी बढ़ने लगी

एकांश अपने कमरे में आ गया उसने अपने शेरवानी निकाल कर बेड पर फेंक दी उसे अपने आप पर गुस्सा आ रहा था कैसे वह आस्था के इतना करीब जा सकता है

कैसे अपने लिमिट क्रॉस कर सकता है यही सब सवाल एकांश को परेशान कर रहे थे वह बाथरूम में गया और ठंडे पानी के शावर के नीचे खड़ा हो गया अपने फिलिंग्स कंट्रोल करने लगा काफी देर बाद बाहर आया चेंज करके वैसे ही गिले वालों के साथ बिस्तर पर लेट गया

सुबह का वक्त

आस्था एकांश कहां रह गए दादा सोने कहां सभी एकांश का ब्रेकफास्ट के लिए वेट कर रहे थे पता नहीं दादा सा ने सर को झुकाए कहा

आप गए नहीं उनके रूम मैं दादी सा नहीं वह हम थोड़ा लेट उठे फिर पूजा नाश्ता बनाते हुए वक्त ही नहीं मिला

आस्था निहित के जाते हुए कहा वह जानकर एकांश के कमरे में नहीं गई थी कल की वजह से उसे थोड़ा ऑकवर्ड लग रहा था

कुंवर जी आस्था में दरवाजों नौक किया लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं आया इसलिए वह अंदर चली गई

एकांश अभी सो रहा था आस्था को थोड़ा अजीब लगा उसने पास जाकर एकांश को आवाज दी लेकिन फिर भी कोई जवाब ना मिलने पर उसने उसे हाथ लगाया एकांश का बदन बुखार से तप रहा था आस्था घबरा गई और वैसे ही भागते हुए नीचे आ गई

क्या हुआ भाभी सा आप भाग क्यों रहे हैं स्वप्न

स्वप्न भाई सा कुंवरजी आस्था ने रोते हुए कहा

कुंवर सा कुंवर सा अजिंक्य जी ने आवाज देते हुए उसे हाथ लगाया और वैसे ही पीछे ले लिया

कॉल दी डॉक्टर एकांश एकांश उठिए अजिंक्य जी बहुत परेशान हो गए

हमारा एकांश बाबा सा अजिंक्य जी के आंखों से आंसू आ गए अपनी पत्नी को खोने के बाद सिर्फ एकांश ही तो उनके जीने की वजह था और इसलिए उन्होंने अपने उसूल और कायदों को साइड में रख कर आस्था की और उसकी शादी करवाई थी

फिकर मत कीजिए अजिंक्य हमारे को वर्षा इतने कमजोर नहीं हैं कि आप इतना परेशान हो रहे हैं इतने बड़े-बड़े हाथ से उनका कुछ बिगाड़ नहीं पाए तो फिर यह थोड़ा सा बुखार ही है वह जल्द ही ठीक हो जाएंगे

आस्था का रो रो कर बुरा हाल हो रहा था किसी तरह है दादीसा और बाकी सब ने उसे शांत करवाया

डॉक्टर ने एकांश को चेक किया और मेडिसिन देकर चले गए आस्था वही उसके बाजू में बैठी रही वह लगातार उसके सर पर ठंडे पानी की पत्तियां रख रही थी सब के समझाने पर भी उसके आंखों से आंसू बह रहे थे उसके कुंवर जी को वह जरा सी भी तकलीफ हो उसे मंजूर नहीं था

वैसे ही रोते हुए कम उसे नींद आ गई उसे पता ही नहीं चला कल की थकान और एकांश के ख्यालों में देर रात तक जागने की वजह से उसकी नींद पूरी नहीं हुई थी नींद में ही उसने अपना सर अकाउंट के सीने पर रखा हुआ था

एकांश को होश आ गया था उसने किसी तरह अपनी आंखें खोली और आस्था को अपने इतने करीब देखकर उसे बहुत खुशी हुई सारी थकावट सारा दर्द जैसे एक पल में गायब हो गया लेकिन उसका मुरझाया हुआ चेहरा और आंखों से बहते हुए आंसू के निशान देखकर उसे बहुत बुरा लगा

वह बिना कोई हलचल करें उसे देख रहा था उसकी नींद खराब ना हो इसलिए वह वैसे ही लेटा रहा उसके बालों में हल्की हल्की उंगलियां घुमाते हुए कब उसे फिर से नींद लग गई उसे पता ही नहीं चलता है

रूद्र स्वप्न उतरा और ऐश्वर्या जो एकांश को देखने आए थे वह उन्हें इस तरह एक दूसरे के पास होता देख वैसे ही वापस चले गए

थैंक गॉड की भाभी साथ सो गई वरना उनकी हालत देखकर हमें तो लगा था कहीं वह भी बीमार ना पड़ जाए उतरा और नहीं तो क्या कितना रो रहे थे वह ऐश्वर्या

हाउ स्ट्रेंज ना तकलीफ भाई सा को कोई और आंसू भाभी सा के आंखों से बह रहे हैं इस दिस कॉल्ड लव स्वप्न

एकांश अब होश में आने लगा था आस्था रोते हुए भी मुस्कुरा दी और उसने जल्दी से एकांश का चेहरा अपने हाथों में थाम लिया आप ठीक है ना कुवर जी रोते हुए आस्था ने पूछा

जवाब में एकांश में उसके गाल पर हाथ लगाया और नजरों से ही हां मैं इशारा किया आस्था ने झट से उसके गले लग गई

कुंवर जी प्रॉमिस कीजिए हमें पता है कितना डर गए थे हम आप कभी भी बीमार नहीं होंगे आपको कुछ हो जाए हमें बिल्कुल मंजूर नहीं है हम आपको खोना नहीं चाहते कुंवर जी हमेशा हमेशा चाहिए आप हमें आस्था रोते हुए बड़ बढ़ाए जा रही थी

आस्था हम ठीक हैं बच्चा आप रोइए मत एकांश सच्ची आस्था ने सर ऊपर करके कहा आप फिर से कभी बीमार नहीं होंगे आस्था ने उस मासूमियत भरे सवाल से एकांश अपने आप को रोक नहीं पाया और उसे अपनी बाहों में कैद में जकड़ लिया

इतना प्यार और इतनी केयर सिर्फ उसकी मां उसके लिए कया करती थी जब एकांश बीमार होता था उनके जाने के बाद किसी ने उसका ख्याल रखने में कोई कमी नहीं रखी

एकांत के आंखों से आंसू बह निकले क्या हुआ कुंवर जी आपको दर्द हो रहा है क्या रो क्यों रहे हैं आप आस्थान एकांश के आंखों से बहते आंसू को देख कर कहा कुछ नहीं Ekansh

जरूर हमारे कुंवर सा को किसी की बुरी नजर लगी होगी तभी ऐसे बीमार हो गए हैं दाई मां ने कहा

किसी की नहीं उसी चुड़ैल की लगी होगी नजर हमारे कुंवर जी को आस्था ने धीरे से बुदबुदा रही थी

कौनसी चुड़ैल भाभीसा रूद्र और स्वपन सुन लिया और मुस्कुराते हुए

और कौन वह रेवा आसमां ने मुंह बनाते हुए कहा