इस जन्म के उस पार - 20 Jaimini Brahmbhatt द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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इस जन्म के उस पार - 20

(कहानी को समझने के लिए आगे के भाग जरूत padhe🙏🏻🙏🏻🙏🏻)


यहां रात को वो बुरी शक्ति अयंशिका को ढूंढ़ते हुआ उसके पास आ जाता है... पर अयंशिका को सोते देख उसपे मन्त्रीमूध हो जाता है.. वो अयंशिका के पेरो के पास से उसको सूंघते हुए उसके चेहरे पर रुक जाता है।

अयंशिका की गुलाबी पलके.. सुन्दर चेहरा और नर्म होंठ देख वो कहता है, "इस मुर्दे को भी जीने की चाह लगा दे ऐसा है तुम्हारा जिस्म.. बहुत खूबसूरत हो तुम आद्रोना अब तुम्हे मारना नहीं है अपना बनाना है..!!"वो उसके होठो को चूमने के लिए आगे बढ़ता है की अयंशिका किसी की बदबूदार सांसे महसूस कर आंखे खोल देती है.. सामने इतना डरावना चेहरा देख वो जोर से चीखती है...."आआ......!"

चीख सुन वरदान और बाकि सब भाग के आते है.. वरदान उस मुर्दे को देख तलवार निकाल, "अपने गंदे हाथ दूर रख उनसे 😤!"अयंशिका मौका पर के वही बिस्तर के निचे छूप जाती है की.. वो मुर्दा,"एय.. ये सिर्फ मेरी है... तू निकल.!"वो आगे बढ़ता है तभी अयन आ जाता है वो उसे बिल्ली को दिखा के,"तेरी दोस्त से तो मिल..!!"वो मुर्दा बिल्ली तो देख जट से गायब हो जाता है।

वरदान भाग के अयंशिका के पास चला जाता है अयंशिका बहुत डरी हुई थी वो वरदान के गले लग जाती है..।अयन बाकि सब को बाहर ले कर चले जाता है। वरदान अयंशिका को अपनी गोद मे उठा के बिस्तर पर बैठा देता है।

अयंशिका डर के,"वो🥺.. वो.. बहुत... गन्दा.. था.. वो हम... सो रहे थे.. उसने... हमें 😭छुआ... छी... वो एहसास गन्दा.. था... हम गंदे हो गए वरदान...!"अयंशिका अपने चेहरे को रगड़ ने लगी थी.. उसे अब भी वो बदबूदार सास अपने आसपास महसूस हो रही थी।

वरदान उसके दोनों हाथ को पकड़ :- श.. शश..!हमारी तरफ देखिए कुछ नहीं हुआ. उसने नहीं छुआ आपको अयंशिका हम थे यहां.!!

अयंशिका😭 :- नहीं हम गंदे हो गए..!!हम..!

वरदान उसे अपने करीब कर लेता है :- चुप कोई गन्दी नहीं हुई है आप आई बात समझ..!अच्छा हमें बताइये कहा लगता है आपको की उसने छुआ.!!

अयंशिका अपने माथे पर इशारा करती है.. तो बरदान उसके माथे को चुम लेता है.. अयंशिका अपने गालो पर इशारा करती है.. वरदान वहा भी बड़े प्यार से चुम लेता है.. अयंशिका की पलकों को भी वो बारी बारी चुम लेता है.. अयंशिका अपने होठो पर इशारा करती है की वरदान उसका चेहरा थाम् के उसके करीब जाता है दोनों की आँखे एहसास से बंद थी की अचानक वरदान खुद सोचते हुए "ये. हम क्या कर रहे है.?'वो अयंशिका से दूर होने जाता है की अयंशिका उसके कुर्ते को पकड़ बंद आँखो से ही कहती है."आप भी मानते है ना की हम गंदे हो गए इसलिए हमसे दूर जाना चाहते है.!"ये सुनते ही वरदान अयंशिका के होठो को चुम लेता है.. और अपने करीब कर लेता है.. कुछ देर बाद वो अयंशिका को अपने सीने उसका सर रख लेटा देता है.अयंशिका अब भी अपनी आंखे बंद कर उसके सीने लगी हुई थी.. और अयंशिका के सर को सेहला कर,"आप हमारे लिए बहुत मायने रखती है अयंशिका.. आप कभी गन्दी हो ही नहीं सकती.और हम कभी आपसे दूर नहीं हो सकते.. आप मे जान बस्ती है हमारी अयंशिका... जानती है क्यों क्युकी.??"

अयंशिका बंद आँखों से मुस्कुरा के,'क्युकी आप हमसे प्यार करते है इसलिए.!!'

वरदान ये सुन 😲:- आपको पता है.??

अयंशिका उसकी और देखती जहाँ उसकी आँखोंमे बहुत प्यार और शर्म दिख रही थी वरदान को., "तबसे पता है जबसे आपके एहसास को हमने महसूस किया था.. वो उस दिन ज़ब आपने पहलीबार हमें अपने करीब किया था.. तब ही हम आपके एहसास को जान गए थे!"

वरदान मुस्कुराके ' तो अब आप बता दीजिये की आप हमारे प्रेम को स्वीकार करेगी.?'अयंशिका शर्मा के उसके सीने मे अपना चेहरा छुपा लेती है।वरदान, "समझ गया.. पर अगर आप खुद कहेगी तो हमें अच्छा लगेगा.!!"

वरदान अयंशिका चेहरा अपने दोनों हाथो मे भर के उसके सर से अपना सर लगा के,'कहिये ना अयंशिका हम सुनना चाहते है.!'

अयंशिका बंद आँखों से, "हम.. हम आ.. हम.. आप.. आपसे."

वरदान :- हम क्या.??

अयंशिका आंखे खोल के देखती है की वरदान की आंखे भी बंद थी.. उसे शरारत सूजती है बो बरदान के कान के पास जाती है., "वो हम.. आपसे... आपसे..(जोर से )कुछ नहीं कहना चाहते.!!"वो भाग जाती है...

वरदान 😠:- अयंशिका... रुकिए.... अभी बताते है हम आपको.. रुकिए.!!

अयंशिका भाग ते हुए,"वरदान पहले हमें पकडीए तो सही..!!अयंशिका की हसीं गूंज उठी थी वहा दोनों कमरे मे भाग रहे थे.. गलियारे के सारे पर्दे उड़ रहे थे... वरदान.. अयंशिका को पकड़ने के लिए भाग रहा था की वो अयंशिका को पकड़ने के चक्कर मे उसका हाथ पकड़ लेता है पर दोनो निचे गिर पड़ते है.. अयंशिका निचे और वरदान उसके ऊपर.. ठीक सूर्यांश और नंदिनी की पहली टक्कर की तरह निचे गिरे थे.. अयंशिका पर पर्दा गिरा हुआ था.. वरदान उसका हाथ पर्दे की और बढ़ गया. जैसे ही उसने पर्दा हटाया काजलभरी आँखे, गहरी घनी पलकें, ब्राउन आखे, सुन्दर गोरा चेहरा, पतले गुलाबी होंठ..वरदान और अयंशिका एक दूसरे मे ही थे की अयंशिका वरदान की आँखों मे देख..,"हम आपसे बहुत प्रेम करते है वरदान.!!"ये बोल वो वरदान के माथे पर चुम लेती है की वरदान के चेहरे पर मुस्कुराहट बिखर जाती है।

वरदान उसे उठा के बिस्तर पर सुलाता है वो वहा से जाने लगता है की अयंशिका उसका हाथ पकड़ उसे रोक के अपने पास बैठा लेती है.. वरदान उसके पास बैठता है की अयंशिका उसके सीने सर लगा के सो जाती है। वरदान भी होले से उसके सर को सेहला के उसे सुलाने लगता है।


( नंदिनी सूर्यांश का हाथ कसके पकड़ लेती है.. और उसकी आँखों से आंसू बह जाते है।सूर्यांश उसको देख :- हम आपके पास है अयंशिका.!!नंदिनी :- हमें याद आ गया वरदान.. हम आपको भूल गए थे। सूर्यांश :- आप अब भी भूल गयी आप नंदिनी है और हम सूर्यांश.!!

वीर आदत से मजबूर बिच मे कूद🤔 ' तो मे पिछले जन्म के क्या होगा.?'

यस्वी 😒:- गधा.!!आया था एक वरदान भईया के पास 😁😁.!!नंदिनी और सूर्यांश हस पड़ते है.. 😄😄की वीर का मुँह बन जाता है। सूर्यांश थोड़ा झुक के नंदिनी के सर पर किस कर देता है.. जब वीर और यस्वी लड़ने मे मग्न थे तब ही सूर्यांश नंदिनी के कान मे :- वैसे आज भी आपके होठो का स्पर्श हमारे होठो पर महसूस होता है हमें.!😉!नंदिनी शर्मा के उसके सीने पर मरती है.. तो सूर्यांश मुस्कुरा देता है।)



..................बाकि अगले भाग मे..!!!!