वो बंद दरवाजा - 2 Vaidehi Vaishnav द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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वो बंद दरवाजा - 2

भाग- 2

अब तक आपने पढ़ा कि एग्जाम खत्म होने के बाद सभी दोस्त मनाली जाने का प्लान बनाते हैं।

तयशुदा दिन सभी लोग तैयार होकर रौनक के घर इकट्ठा होने लगते हैं।

हॉल में चहल-पहल को सुनकर रौनक की मम्मी डिंम्पल वहां आती है। सबको देखकर वह चहकते हुए कहती है-

वाओ ! ऑल जोकर्स आर हिअर..

काश ! मैं भी तुम लोगों की टोली का हिस्सा होती तो खूब सारी मस्ती करती।

सूर्या- लो जी कर लो गल... ये भी कोई बात हुई भला। आंटी आप तो हमारी टोली की सरदार है। आपके बिना तो हम सब अधूरे ही हैं।

डिम्पल- मक्खन लगाना तो कोई सूर्या से सीखें।

आर्यन- आंटी मक्खन से याद आया.. बड़ी जोरों की भूख लगी है। आज नाश्ते में क्या बनाया है आपने ?

रिनी- हाँ, आंटी मेरे भी पेट में चूहे दौड़ रहे हैं।

आदि (हॉल में प्रवेश करते हुए)- मैं भी दौड़ा चला आया।

डिम्पल- चलो डायनिंग टेबल पर सभी टूट पड़ो। नाश्ता तुम लोगों के इंतजार में ठंडा हुआ जा रहा है।

सभी लोग डायनिंग टेबल की ओर दौड़ पड़ते हैं और नाश्ते पर ऐसे हल्ला बोल देते हैं जैसे बरसों से भूखे हो।

चाबी का छल्ला उंगली पर घुमाता हुआ, सीटी बजाता रौनक भी वहाँ आता है।

रश्मि- यार, रौनक तू कहाँ था अब तक ? हम सब तो कबसे ही आ गए।

रौनक- "अरे भई, गाड़ी की सर्विसिंग करवा ली। लम्बा सफ़र है तो कोई रिस्क नहीं लेना चाहिए।"

सूर्या- "सही कह रहे हो। चलो अब तुम भी जल्दी से नाश्ता कर लो फिर मनाली के लिए निकलते हैं।"

आर्यन- "हाँ यार, हम अब तक यहीं पर है। मनाली पहुंचने में रात हो जानी है अब।"

आदि- "ओह नो ! शाम से पहले पहुंचना सही रहेगा। पहाड़ी इलाका है, रात को ड्राइव करना सेफ नहीं होगा।"

सूर्या - "ए डरपोक आदि ! तू न यहीं रह जा। क्योंकि हम लोग तो इस बार धूम मचाने वाले हैं।"

आदि- "ओए डरपोक तो तू है। भूल गया लॉस्ट ट्रिप पर गाईड ने जब यह कह दिया था कि यह बावड़ी भूतिया है तो तू कैसा भागा था वहाँ से।"

सूर्या (सकपकाकर)- अरे ! मैं डरा थोड़ी था, वो तो मैं वाशरूम गया था।

आर्यन- हा ! हा ! डर से पेंट गीली तो नहीं हो गई थी न ?

रौनक- बस भी करो.. वरना रो देगा हमारा सिंगिंग स्टार।

सूर्या- रोए मेरे दुश्मन ।

रिनी- यार, तुम लोग भी न..

गुज़रे ज़माने की बातें लिए बैठे हो। 

अब चलो भी। तुम लोग भी कही बैठ जाते हो तो बर्फ़ से जम जाते हो।

सूर्या- तुम हो न हम सबको पिघलाने के लिए। ऐसे ही थोड़ी हमने तुम्हारा नाम आग रखा हुआ है।

आर्यन- सही कह रहे हो भाई। हमारी गुस्से वाली बाई है रिनी। 

रौनक- बकैती बन्द करो एन्ड लेट्स गो...हम सच में लेट हो जाएंगे।

सभी लोग अपने-अपने बैग उठाएं बाहर की ओर जाने लगे। गाड़ी में सामान रखने के बाद सभी गाड़ी में जाकर बैठ गए। गेट पर खड़ी डिम्पल सबको हाथ हिलाकर अलविदा कहती है।

डिम्पल- बच्चों, अपना ख्याल रखना औऱ ख़ूब सारी मस्ती करना।

सभी एक साथ- जी आंटी, वी ऑल गोना मिस यू ।

डिंम्पल- मिस यू टू.....

रौनक गाड़ी स्टार्ट कर देता है। डिम्पल गाड़ी को तब तक निहारती रहती है जब तक कि वह उसकी आँखों से ओझल न हो गई।

गाड़ी तेज़ रफ़्तार से अपनी मंजिल की ओर बढ़ती चली जा रही थी। न जाने कितने शहरों, गांवों से गुज़रते हुए आखिरकार गाड़ी ने हिमाचल प्रदेश की सीमा में प्रवेश किया। 

बहुत सुकून था इस प्रदेश की फ़िज़ा में।

मनाली यात्रा पर निकले सभी लोगों का सफ़र कैसा रहेगा ? जानने के लिए कहानी के साथ बनें रहे।