साथ जिंदगी भर का - भाग 13 Khushbu Pal द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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साथ जिंदगी भर का - भाग 13

प्राकृतीक सोंदर्य से परिपूर्ण शिव मंदिर एक छोटे से पहाड़ पर बसा हुआ था .....

पारम्पारिक और आधुनिक वास्तु का उत्कृष्ट एग्ज़ाम्पल ..... 300 सीढियों को चढ़कर मंदिर मे जाना होता था ..

वैसे तो वहा लिफ्ट की भी arrangement थी ..... बट जिसकी उसकी चोईस उन्हे कैसे जाना हैं

एक दुसरे का हाथ थामे आस्था और एकांश मंदिर आ चुके थे ..... घर के सभी बड़े ऑलरेडी उपर जा चुके थे ..

सभी यंगस्टर्स ने सीढ़ियों से ही जाने का सोचा .. . रुद्र एकांश और आस्था का ही इंतजार कर रहा था .....

चलिये .... फाइनली आप दोनो आ गये .... कितनी देर .... रुद्र

एकांश उसे कुछ कहने ही वाला था उससे पहले ही उसे कॉल आ गया ..

Its urgent .... इधर लिफ्ट हे आप उपर जाईये .... हम थोड़ी देर मे आ जायेंगे ..

एकांश ने कहा और कॉल रिसीव कर लिया छोटिसी भाभीसा .... रुद्र बुलायिये .. दा .... कितनी बार कहा हे ..... हमे ऐसे मत आस्था ने मुह फुलाते हुये कहा *****

और हमने भी आपसे कितनी बार कहा हे .. आप ऐसे मुह बनाते हुये बहोत क्यूट लगती हे ..

इसिलिए तो हम यही बुलाएंगे ..... रुद्र ने भी उसी वे मे कहा आस्था ने मुह टेढा किया ।

और ये .... ऐसा करती हे ना .... तब तो और भी क्यूट .... रुद्र आप रुकिये .... हम अभी आपको बताते हे ..... आस्था रुद्र के पीछे भागी ..... और साडी मे उलझने लगी

अरे रे .... ठीक से तो चलकर बताईये .... फिर हमें पकडीयेंगा ..... हम चले बाकी सब के पास . पता नही कहा तक पहुंचे है ..

रुद्र कहते हुये भाग गया आप को तो हम बादमे देख लेंगे .. आस्था च्च .... भाभीसा .... नही नही ..... छो sss टिसी भाभीसा .....

हमे देखने से अच्छा हे की आप आपके कुँवरजी को देखिए .... बाय ..... रुद्र

आस्था की नजरे खुदबखुद एकांश की और चली गयी .....

कॉल पर बात करते हुये ट्रेडिशनल ड्रेस में वो बहोत ही हँडसम दिख रहा था . उसके मसल्स .... बायसेप्स .... और उसके वो हवा के साथ उडते बिखरते बाल .... उफ्फ ....

वो चाहकर भी उससे नजर नहीं हटा पा रही थी ..... फीलिंग्स की तो कुछ समझ नही थी ....

लेकिन उसे इस तरह देखकर दिल को एक अजीब सा ही सुकून मिल रहा था .... जी हे की भर ही नही रहा था ....

हमारी ही नजर लग जायेंगी हमे .... आस्था ने दिल ही दिल में कहा और मंदिर की और उपर देखा ..

पुरे दिल से अपने हाथ जोड़कर उसने अपने शिवजी को याद किया और सीढियों से उपर चढ़ने लगी .....

एकांश का कॉल आधे घण्टे तक चला .... जब उसने सामने देखा तो उसे कोई भी नहीं दिखाई दिया ....

उसे बुरा लगा की वो आस्था के साथ नही जा पाया ....

लेकिन उससे मिलने की चाह में वो जल्दी से लिफ्ट की और बढ़ा और उपर पहोच गया .....

उसने हर तरफ नजरे घुमाई लेकिन आस्था उसे कही नही दिखी ...

सुबह से निर्जला उपवास . काम और 10 km चलने की वजह से आस्था पहले ही कमजोर हो गयी थी ....

लेकिन फिर भी उसने एक शिकंज तक के अपने चेहरे पर नही आने दी .. लेकिन अब सीढ़ियाँ चलकर वो थक गयी ....

उसे हल्के हल्के चक्कर भी आने लग गये थे .... उपर से दोपहर की तेज धूप .....

फिर भी किसी तरह वो धीरे धीरे चल रही थी ...

. एकांश को समझ नहीं आ रहा था की वो किसे नजरो ने तो कब का अप्ना काम कर पुछे .. लिया .....

मंदिर के चारो तरफ आस्था को देखा ...

लेकिन वो है की दिख ही नहीं रही थी .... उसका दिल बहोत बेचैन हो रहा था ....

जिसे करार सिर्फ आस्था को देखकर ही आना था ...... आखिर मजबूर होकर उसने दाईमा को आवाज दी .. दाईमाँ ..... वो ..... कांश को समझ नहीं आ रहा था ।

को आगे का वो कैसे पुछे क्युके लगभग सभी घर के बड़े वही थे

कुँवरसा .... अच्छा हो गया आप दोनो आ गये ... आस्था बेटा कहा हे .. उनसे ये ..... दाईमाँ आगे कुछ बोल पाती तभी तक एकांश ने कहाआस्था कहा हे मतलब ....

वो उपर नही आयी .... एकांश के आखों मे फिक्र साफ साफ सभी को दिखाई दे रही थी ।

वो आपके साथ थी ना ..... फिर .... दाईमाँ को समझ नही आ रहा था की वो क्या कहे .... बाकी सब भी परेशान हो गये ..... एकांश ने झट से रुद्र को कॉल किया . .....

हेल्लो रुद्र .... आप दोनो कहा हे .... एकांश भाईसा ..... बस आ जायेंगे थोड़ी देर मे ....

हम stairs से आ रहे हे तो वक़्त लगेंगा .... रुद्र Ohh okay ... . not the problem .... 32 आपके साथ ही हे ना ....

एकांश नही भाईसा .... वो भाभीसा पीछे हे .... रुद्र आपको उनके साथ रहना चाहिये था ना ..

एकांश को गुस्सा आ गया भाईसा वो .... हम सबके साथ आ गये .... रुद्र ने बेचारगी से कहा ठीक हे .....

लेकिन अब स्लो चलिये .... उन्हे साथ लेकर आइयेंगा ..... एकांश ने कहा और कॉल रख दिया

वो ठीक हे .... सबके साथ stairs से आ रही है .... एकांश ने कहा लेकिन दाईमाँ परेशान हो गयी कुँवरसा वो ....

दाईमाँ क्या हुआ दाईमाँ .... एकांश आज उनका निर्जला उपवास हे .... और .. दाईमाँ

क्या ..... उपवास ..... उन्हे रखने ही की दिया .... और क्या .. रही थी आप .... एकांश वो भी निर्जला ...... आपने .... क्या कह कुँवरसा ... वो पैदल मंदिर गयी थी .....

जो पैलेस से 5 km दूर है .... और सुबह से काम भी कर रही हे ......

दाईमाँ ने इस बार परेशान होते हुये अपना सेंटेंस पुरा किया दाईमाँ ..... एकांश काफी गुस्से मे आ चुका था ..

वो बिना कुछ कहे ही सीढ़ियों की तरफ भाग गया .

उसके पीछे आकाश और अजय भी जाने वाले थे लेकिन उन्हे महागुरू ने रोक लिया ..

एकांश की स्पीड काफी ज्यादा थी ..... वो लगभग दो तिन सीढिया स्किप करते हुये उतर रहा था ...

उसके सारे भाई बहन उसे इस तरह उतरते देख चौक गये ..

लेकिन वो कुछ बोल पाते उससे पहले ही एकांश उनसे दूर जा चुका था ... भाईसा को क्या हुआ ..... ऐश्वर्या आप सब जाइये .... हम उन्हें देखकर आते हे .....

रुद्र भी उसे इस तरह जाता देख उसके पीछे चला गया एकांश को आस्था दिखी .....

जो सर को हाथ लगाये सीढियों के साइड के दिवार को पकडकर खड़ी थी आ ... आस्था .....

एकांश ने अपनी फूलती हुयी सांसो को कंटरौल करते हये आवाज दी

अब मिलते हे अगले पार्ट मे .....

Hey guys ......

आपके लिये न्यू स्टोरी लिख रही हु

...... लेकिन इसे कब पोस्ट करना हे ये आपके कमेंट पर डिपेंड हे

........ अगर आपको ये स्टोरी रीड करने के लिये पसंद आयी तो बहोत सारे

COMMENT किजीये

ताकी इसका पार्ट जल्दी जल्दी पोस्ट कर सकू

Thankyuuuu

" और इस डेस्टिनी का पाठ कल तक आ जाएगा "

Plzz guys support my first story

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To be continued .......... .......... .......

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