Khel Khauff Ka - 14 books and stories free download online pdf in Hindi

खेल खौफ का - 14

हम दोनों तेजी से भागते हुए घर से बाहर आ गए. और थोड़ी दूर जाकर बुरी तरह हांफने लगे.

"तो आत्माएं नुकसान नहीं पहुंचाती....हुंह?" मैंने रोहन को घूरकर देखा.

रोहन (झुककर हांफते हुए मेरी तरफ देखकर) - उन्हें बस यही पता है कि तुम मिस्टर कोवालकी के साथ रहती हो. इसलिए वो तुमसे नाराज़ हैं. और शायद घबराते भी हैं.

मैंने एक बार और घर की तरफ नजर डाली.

"तो अब वो हमारे पीछे नहीं आएंगे?"

रोहन (घर की तरफ देखकर) - शायद उनकी लिमिट घर के अंदर तक ही है. सो आई गेस...नो.

फिर उसने मेरी तरफ देखकर पूछा, मैंने इससे पहले वहां कभी किसी दूसरी आत्मा को नहीं देखा था. मैं तो इस बात से हैरान हूं कि तुम्हें वो सब कैसे दिख रहे हैं.

"मैं खुद पागल हो चुकी हूं. जबसे यहां आयी हूँ मेरी जिंदगी किसी हॉरर शो का हिस्सा बन कर रह गयी है. "
मैंने झल्लाते हुए कहा.

हम दोनों अब फिर से कोवालकी मेंशन की तरफ बढ़ने लगे थे. रोहन बिल्कुल मेरे साथ चल रहा था. कि अचानक मैंने उससे पूछ लिया,

"रचना की मौत कैसे हुई थी?"

रोहन - रचना को खुद उसके पापा ने ही मारा था. केवल उसे ही नहीं उन्होंने उसकी मां को भी मार डाला था.

आखिरी लाइन सुनकर मैं जैसे अंदर तक कांप गयी.

"रचना की मां यानी सुनयना मासी? वो...वो भी मर चुकी हैं?" मैंने लगभग कांपती हुई आवाज में पूछा. मुझे तो अब भी उसकी बात पर यकीन नहीं हो रहा था.

रोहन (पथरीले रास्तों पर तेजी से आगे बढ़ते हुए) - आई डोंट नो वो लेडी कौन हैं. मगर रचना ने मुझे यही बताया है कि उसकी मॉम मर चुकी हैं. मिस्टर कोवालकी आर्ट वर्क के पीछे बिल्कुल पागल थे. जब वो 20 साल के हुए तो उनका पागलपन और बढ़ गया. वो जिंदा चीजों को अपनी पेंटिंग्स में इस्तेमाल करने लगे और अपनी इन घिनौनी पेंटिंग्स को उन्होंने 'लाइव आर्ट' का नाम दे दिया. रचना जब 3 साल की थी तब उसने खुद मिस्टर कोवालकी को उसके दादा दादी का बेरहमी से खून करते हुए देखा था. वो इस खौफनाक नजारे को कभी नहीं भूली. उस वक्त उसकी मॉम कॉलेज स्टूडेंट थीं और वो ज्यादातर अपने पैरेंट्स के घर ही रहती थीं. मगर रचना को मिस्टर कोवालकी अपने साथ रखते थे.

"फिर..? उन्होंने अपनी ही बेटी को मार डाला?" मैंने अविश्वास से भरकर पूछा.

रोहन (ठंढी सांस भरकर वहीं रुकते हुए) - सिर्फ मारा नहीं बल्कि बहुत ही बेदर्द तरीके से उसका मर्डर किया गया. वो हर सुबह जब सोकर उठती थी तो उसके बॉडी में से कुछ न कुछ मिसिंग रहता था. कभी उसके बाल जहां तहां से कटे मिलते, कभी दांत टूटे हुए होते थे, तो कभी उंगलियां कटी होती थी. बॉडी पर बड़े बड़े जख्मों के निशान होते थे. मगर ये फिर अपने आप नॉर्मल भी हो जाते थे. कैन यू बिलीव...मिस्टर कोवालकी हर रात उसे ड्रग्स देते थे. और फिर उसके बॉडी पार्ट्स का इस्तेमाल अपने उस सो कॉल्ड लाइव आर्ट्स के लिए करते थे. इस सारी तकलीफ से बचने का बस एक ही तरीका था. और वो ये कि उसे अपनी आत्मा शैतान को सौंपनी पड़ती. मिस्टर कोवालकी ने उसे धमकी दी कि अगर वो ऐसा नहीं करती है तो वो उसे मार डालेंगे.

मैं शॉक्ड रह गयी. इतने दिन से मैं एक ऐसे सनकी आदमी के साथ रह रही थी जिसने अपने पागलपन में न जाने कितने मासूम लोगों की जान ले ली थी. और आशीष.... उसके बॉडी पार्ट्स का भी इस्तेमाल उस सनकी ने अपनी पेंटिंग्स में किया होगा. ये सोचते ही मेरा मन गुस्से और दुख दोनों से भर गया. मगर मैंने खुद को तुरंत संभाला. और मजबूती से रोहन का हाथ पकड़ती हुई बोली , "रचना ने कहा था अगर हम उसे वो ब्लैक बॉक्स लाकर दें तो वो आशीष को ठीक कर सकती है. हमें किसी भी हाल में उस ब्लैक बॉक्स को खोजना होगा, वो भी जल्द से जल्द....मगर ये ब्लैक बॉक्स है क्या?"

रोहन (अपने कंधे उचकाते हुए) - मुझे भी नहीं पता ... इनफैक्ट रचना को भी नहीं मालूम. मगर उसकी एक बहुत ही पुरानी फ्रेंड ने उसे एक बार इस बारे में बताया था. कि उस ब्लैक बॉक्स की मदद से वो उस घर से आजाद हो सकती है और जहां चाहे वहां जा सकती है. फिलहाल उसका दायरा उस घर तक ही सीमित है.

मैंने उसे हैरानी से घूरा.

"यहां कोई मजाक चल रहा है? रचना खुद श्योर नहीं है कि वो ब्लैक बॉक्स हमारे लिए मददगार साबित होगा?"

रोहन (मेरा हाथ पकड़ते हुए) - तुम्हें उसपर भरोसा करना होगा अवनी..

मैंने बेबसी से रोहन को देखा और मन ही मन बोली, वो मर चुकी है रोहन. हाऊ कुड आई ट्रस्ट ऑन हर.

रोहन (मुस्कुराते हुए) - मगर वो अब भी तुम्हारी फ्रेंड है...इजन्ट शी?

मैं बुरी तरह चौंक गयी. इसे मेरे मन की बात कैसे पता चली?

"हम मुसीबत में फंस सकते हैं. हो सकता है अंकल कोवालकी हमें नुकसान पहुंचाने की कोशिश करे. हमें पुलिस को कॉल कर देना चाहिए." मैंने बात बदलते हुए कहा.

रोहन (अपने हाथ बांधते हुए) - रियली?? और उनसे क्या कहोगी? कि तुम भूत प्रेत और आत्माओं के बीच फंस गई हो? कौन तुम्हारी बात पर यकीन करेगा? हमारे पास एक भी प्रूफ नहीं है उनको गलत साबित करने के लिए. उल्टा वो हमें पागलखाने छोड़ कर आएंगे.

उसकी बात सही थी. अब तक हम लोग मेंशन के बाहर पहुंच चुके थे. वहीं खड़े एक पेड़ के पीछे छुपकर हम अंदर कैसे जाएं यही सोच रहे थे.

रोहन - घर में इस वक्त मिसेज कोवालकी के अलावा और कोई नहीं है.

मैंने चौंक कर उसे देखा.

"ये तुम्हे कैसे मालूम? "

रोहन (अपनी नजरें फेरते हुए) - वो रचना ने मुझे बताया था.

"कब..?"

रोहन - आज सुबह ही.

"तुम लोग पहले से जानते थे न कि मेरे भाई के साथ वो सनकी ऐसा सलूक करने वाला है? "मैंने उसकी आँखों में देखते हुए पूछा.

रोहन (जमीन की तरफ देखते हुए) - जब तक हम तुमसे नहीं मिले थे एटलीस्ट तब तक तो हमें इस बारे में कुछ भी पता नहीं था. फिर भी हमे ये उम्मीद बिल्कुल नहीं थी कि वो तुम्हारे भाई को मार डालेगा.

"पहले मेरे मां पापा...और अब आशीष? ये सब हमारे साथ ही क्यों हुआ? आखिर किस बात की सजा मिली है हमें?" मेरे सब्र का बांध टूट गया और मैं वापस रोने लगी. रोहन ने मुझे गले से लगाया और मेरा सिर सहलाते हुए बोला.

- सब ठीक हो जाएगा अवनी... बस हिम्मत मत हारना.

हम दोनों वहां से निकलकर मेन गेट तक पहुंचे और डोर नॉक किया. और जैसी की उम्मीद थी दरवाजा सुनयना
मासी ने ही खोला. मुझे देखते ही वो बुरी तरह चौंक गयी.

सुनयना (चिल्लाते हुए) - तुमि की कोरिछि एखोन?? मैंने कहा था न वापस मत आना.

कहकर वो दरवाजा बंद करने लगी मगर मैंने बीच में हाथ अड़ा दिया.

"मुझे यहां रचना ने भेजा है... मुझे आपकी मदद चाहिए."

सुनयना (हैरानी से हम दोनों को देखते हुए) - रचना?? मेरी बेटी जिंदा है??

रोहन - नहीं...वो मर चुकी है. और उसे मारने वाला कोई और नहीं अथारस कोवालकी है.

सुनयना (रोते हुए) - अथारस ने तो मुझसे कहा था कि वो बहुत पहले ही घर छोड़कर भाग गई है. मुझे पहले ही समझ जाना चाहिए था कि उसने उसके साथ भी वही किया होगा.

कहते हुए वो अपने दोनों हाथों के बीच चेहरे को छुपा कर बुरी तरह रोने लगी. मैंने उन्हें संभालते हुए कहा,

"मासी मां रचना को आपकी मदद की जरूरत है...अगर आप हमें वो ब्लैक बॉक्स दे दें तो शायद..."

इतना सुनना था कि सुनयना मासी का चेहरा डर से पीला पड़ गया और वो चिल्लाई, नहीं... आमी एता देबे न...ना... अगर वो किसी गलत हाथों में पड़ गया तो अनर्थ हो जाएगा.

रोहन (एक तिरछी मुस्कान के साथ) - रियली? मिस्टर कोवालकी से भी ज्यादा बुरा कोई और है आपकी नजर में? और किसी का नहीं तो कम से कम अपनी बेटी के बारे में तो सोचिए.

सुनयना (गुस्से में चिल्लाते हुए) - मैं अपनी बेटी की परवाह करना बहुत अच्छे से जानती हूँ. तुम्हें मुझे कुछ भी सिखाने की जरूरत नहीं है लड़के.

"रोहन चुप हो जाओ..." मैंने बात बढ़ता देख कर उसे रोका.

"ओके मासी मां मैं चली जाऊंगी. मगर क्या बस एक बार आप मुझे आशु से मिलने देंगी...प्लीज???" मैंने बहुत उम्मीद भरी आवाज में पूछा.

उन्होंने एक गहरी नजर मुझपर डाली और शांत आवाज में बोली, वो ऊपर अपने कमरे में है.

मैं और रोहन तेजी से अंदर की तरफ दौड़े मगर मासी ने हम दोनों को रोक लिया.

सुनयना (रोहन का रास्ता रोकते हुए) - ये लड़का यहीं मेरे पास रहेगा. और तुम्हारे पास भी सिर्फ 10 मिनट हैं. उसके बाद अथारस आ जाएंगे और मैं भी तुम्हें नहीं बचा पाऊंगी. इसलिए जो करना है जल्दी करो.

रोहन ने उनका विरोध करना चाहा.

सुनयना (मेरी तरफ देखते हुए) - अगर तुम्हें अपने भाई से मिलना है तो मेरी शर्त माननी पड़ेगी. और हां ...बॉक्स को खोजने की कोशिश मत करना. क्योंकि ऐसा करके तुम सिर्फ अपना वक़्त बर्बाद करोगी.

जैसे ही मैं ऊपर की तरफ बढ़ी रोहन ने मेरा हाथ पकड़ लिया और धीरे से मेरे कान में फुसफुसाया, तुमने पूछा था न हमने तुम्हें कैसे गेम में हराया था. तो सुनो, छुपने का सबसे अच्छा तरीका है ऐसी जगह छुपो जहां कोई आत्मा छुपने की सोचेगी, ह्यूमन्स नहीं. थिंक लाइक अ सोल नॉट अ बॉडी. बॉक्स किसी ऐसी ही जगह पर रखा होगा. यानी किसी प्लेन साइट पर न कि उसे कहीं छुपाने की कोशिश की गई होगी.

इतना कहकर वो वापस सुनयना मासी के पास जा खड़ा हुआ. और मैं तुरन्त अंदर की तरफ दौड़ गयी.

To be continued...

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