किसान DINESH KUMAR KEER द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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किसान

विद्यालय प्राचार्य ने बहुत ही कड़े शब्दों मे जब छोटे (जमीदार) किसान की बेटी शिखा से पिछले एक साल की विद्यालय शुल्क मांगी,
तो शिखा ने कहा अध्यापिका जी मे घर जाकर आज पिता जी से कह दूंगी,
 
घर जाते ही बेटी ने माँ से पूछा पिता जी कहाँ है ?
तो माँ ने कहा तुम्हारे पिता जी तो रात से ही खेत मे है,
 
बेटी दौड़ती हुई खेत मे जाती है और सारी बात अपने पिता को बताती है। शिखा का पिता बेटी को गोद में उठाकर स्नेह करते हुए कहता है,
की इस बार हमारी फसल बहुत अच्छी हुई है,
अपनी अध्यापिका जी को कहना अगले हफ्ता सम्पूर्ण राशि आजाएगी,
क्या हम मेला भी जाएंगे ?
शिखा पूछती है,
हाँ, हम मेला भी जाएंगे और पकौड़े, बर्फी भी खाएंगे शिखा के पिता कहते है,
शिखा इस बात को सुनकर नाचने लगती है,
और घर आते वक्त रस्ते मे अपनी सहेलियों को बताती है,
की मै अपने माँ-पापा के साथ मेला देखने जाउंगी,
पकौड़े-बर्फी भी खाउंगी,
 
ये बात सुनकर पास ही खड़ी एक बजुर्ग कहती है,
बेटा शिखा मेरे लिए क्या लाओगी मेले से ?
काकी हमारी फसल बहुत अच्छी हुई है,
मैं आपके लिए नए कपडे़ लाऊंगी शिखा कहती हुई घर दौड़ जाती है।
 
अगली सुबह शिखा विद्यालय जाकर अपनी अध्यापिका जी को बताती है, की अध्यापिका जी इस बार हमारी फसल बहुत अच्छी हुई है,
अगले हफ्ते सब फसल बिक जाएगी और पिता जी आकर सम्पूर्ण शुल्क भर देंगें।
 
प्राचार्य : चुप करो तुम, एक साल से तुम बहाने बाजी कर रही हो,
शिखा चुप चाप क्लास मे जाकर बैठ जाती है और मेला घूमने के सपने देखने लगती है तभी,
 
ओले पड़ने लगते है,
तेज बारिश आने लगती है,
बिजली कड़कने लगती है,
पेड़ ऐसे हिलते है,
मानो अभी गिर जाएंगे...
शिखा एकदम घबरा जाती है,
शिखा की आँखों मे आंसू आने लगते है,
वो ही डर फिर सताने लगता है,
डर सब खत्म होने का,
डर फसल बर्बाद होने का,
डर शुल्क ना दे पाने का,
विद्यालय खत्म होने के बाद वो धीरे-धीरे कांपती हुई घर की तरफ बढ़ने लगती है।
 
हुआ भी ऐसा कि सभी फसल बर्बाद हो गई और शिखा विद्यालय में शुल्क जमा नहीं करने के कारण ताना सुनने लगी।
उस छोटी सी बच्ची को मेला घुमने और बर्फी खाने का शौक मन में ही रह गया।
छोटे किसान और मजदूरों के परिवार में जो दर्द है उसे समझने में पूरी उम्र भी गुजर जाएगी तो भी शायद वास्तविक दर्द को महसूस नही कर सकते आप।
 
भारत के आम किसान का वास्तविक दर्द यह है।
 
(आम किसान का मतलब दस एकड़ से कम भूमि वाले किसान, या हिस्से पर भूमि बीजने वाले, या खेतों मे मजदूरी करने वाले किसान)