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कीर के उपवन की कली

*कीर के उपवन की कली*


भारत: -

दिन दूर नहीं खंडित भारत को,

पुनः अखंड बनाएंगे,

गिलगित से गारो पर्वत तक,

आजादी पर्व मनाएंगे।

उस स्वर्ण दिवस के लिए आज से,

कमर कसें बलिदान करें,

जो पाया उसमें खो न जाएं,

जो खोया उसका ध्यान करे।।





यादें: -
हृदय भीतर समाई

बहुत सी कहानियाँ

कुछ अनमोल यादें

तो कुछ अमिट निशानियाँ



भूले नहीं भुलाती

वो नटखट नादानियाँ

वो पान के इक्के

ईंट और रानियाँ



वो लूडो की साँप सीढ़ी

वो कैरम की गोटियाँ

वो सावन के झूले

वो माँ की नरम रोटियाँ



दिल को आज भी लुभाती हैं

गुज़रे हुए ज़माने की रवानियाँ

वो बेतुकी सी हरकतें

वो बेपरवाह मनमानियाँ।




मनुष्य: -
“संसार में केवल मनुष्य ही

ऐसा एकमात्र प्राणी है,

जिसे ईश्वर ने हंसने का गुण दिया है

इसे खोईये मत।”



प्यार से बात कर लेने से,

जायदाद कम नहीं होती है।”



“इन्सान तो हर घर में पैदा होते हैं,

बस इंसानियत कहीं-कहीं

जन्म लेती है!!



वतन
लिख रहा हूं मैं अंजाम जिसका कल आगाज आयेगा,

मेरे लहू का हर एक कतरा इंकलाब लाएगा

मैं रहूँ या ना रहूँ पर ये वादा है तुमसे मेरा कि,

मेरे बाद वतन पर मरने वालों का सैलाब आयेगा।



सीख: -
पहाड़ चढ़ने वाला व्यक्ति झुककर चलता है,

और उतरने वाला अकड़ कर चलता है।



कोई अगर झुककर चल रहा है,

मतलब ऊँचाई पर जा रहा है।।



और कोई अकड़ कर चल रहा है,

मतलब नीचे जा रहा है।।



दीपक: -
घनघोर अँधेरा एक तरफ,

छोटे से दीपक की रौशनी एक तरफ,

मुश्किलें कितनी भी हों,

दीपक की तरह डटे रहो,

सफलता तुम्हारे कदम चूमेगी।




*कीर के उपवन की कली*


भारत: -

दिन दूर नहीं खंडित भारत को,

पुनः अखंड बनाएंगे,

गिलगित से गारो पर्वत तक,

आजादी पर्व मनाएंगे।

उस स्वर्ण दिवस के लिए आज से,

कमर कसें बलिदान करें,

जो पाया उसमें खो न जाएं,

जो खोया उसका ध्यान करे।।





यादें: -
हृदय भीतर समाई

बहुत सी कहानियाँ

कुछ अनमोल यादें

तो कुछ अमिट निशानियाँ



भूले नहीं भुलाती

वो नटखट नादानियाँ

वो पान के इक्के

ईंट और रानियाँ



वो लूडो की साँप सीढ़ी

वो कैरम की गोटियाँ

वो सावन के झूले

वो माँ की नरम रोटियाँ



दिल को आज भी लुभाती हैं

गुज़रे हुए ज़माने की रवानियाँ

वो बेतुकी सी हरकतें

वो बेपरवाह मनमानियाँ।




मनुष्य: -
“संसार में केवल मनुष्य ही

ऐसा एकमात्र प्राणी है,

जिसे ईश्वर ने हंसने का गुण दिया है

इसे खोईये मत।”



प्यार से बात कर लेने से,

जायदाद कम नहीं होती है।”



“इन्सान तो हर घर में पैदा होते हैं,

बस इंसानियत कहीं-कहीं

जन्म लेती है!!



वतन
लिख रहा हूं मैं अंजाम जिसका कल आगाज आयेगा,

मेरे लहू का हर एक कतरा इंकलाब लाएगा

मैं रहूँ या ना रहूँ पर ये वादा है तुमसे मेरा कि,

मेरे बाद वतन पर मरने वालों का सैलाब आयेगा।



सीख: -
पहाड़ चढ़ने वाला व्यक्ति झुककर चलता है,

और उतरने वाला अकड़ कर चलता है।



कोई अगर झुककर चल रहा है,

मतलब ऊँचाई पर जा रहा है।।



और कोई अकड़ कर चल रहा है,

मतलब नीचे जा रहा है।।



दीपक: -
घनघोर अँधेरा एक तरफ,

छोटे से दीपक की रौशनी एक तरफ,

मुश्किलें कितनी भी हों,

दीपक की तरह डटे रहो,

सफलता तुम्हारे कदम चूमेगी।

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