मां कब आयेगी - (भाग-9) Dikshadixit द्वारा आध्यात्मिक कथा में हिंदी पीडीएफ

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मां कब आयेगी - (भाग-9)

मीठी बहुत खुस है, उसके पापा को शादी की तारीख पक्की होने जा रही है पर एक तरफ उसके पापा के मन में चल रहे बह अजीबो गरीब सवाल जिसका अच्छा हो या बुरा दोनों जबाव रश्मि ही है। रश्मि का व्यवहार ही शरद के मन के सवालों का जबाव होगा पर उसके लिए शरद अपने बच्चों को तकलीफ नही देना चाहते पर बह अपने बड़े भाई साहब को माना करने की हिम्मत नही जुटा पा रहे, शरद नीचे आते हैं, मीठी अपने पिता को देख चिल्ला कर कहती है। पापा आ गए पापा आ गए
बड़ेभाई साहब" आओ शरद यहां बैठो आओ शरद बैठ जाते हैं सबके बीच बातें होती हैं, पंडित जी जल्दी से वो अच्छा सा मूहर्त निकालो पंडित जी शादी की तारीख देखते हुए कहते हैं अगले महीने तक तो कोई अच्छा मूहर्त नही है। आप इस महीने की ही दो तारीख अच्छा है आप चाहे तो कर सकते है,

शरद" पर दो तारीख तो कल ही है इतनी जल्दी कैसे हो सकता है भाई साहब।

बड़े भाई साहब"अरे शरद आम चिंता मत करो सब हो जाएगा तुम बस आज ही सबके लिए सोनू ए साथ मिल कर सॉपिंग कर आओ सब आज ही खरीद लो।

शरद"पर रश्मि के यहां सब इतनी जल्दी नही हो पाएगा ये कल ही शादी कुछ ज्यादए जल्दी नही है हमे थोड़ा समय तो दो ।

बड़ेभाई साहब" तुम उसकी चिंता मत करो रश्मि से हम बात कर चुके हैं बस तुमको कितना समय दे कितना दे बताओ पूनम को गुजरे सालभर हो गया बार तुम शादी के लिए अभी तक तैयार हुए रश्मि से शादी कर ले तुम्हारी ही नही बच्चों के साथ रश्मि के जीवन में फिर से रंग भर जायेंगे। तुम इतना सताओगे अभी बच्चे छोटे हैं, उदय की नही पर मीठी के बारे सोचो बड़ती बच्ची के सर पर माँ का हाथ होना जरूरी है और रश्मि को कोन नही जानता किया तुमको हमारे ऊपर विश्वास नही होता रश्मि हमारे बच्चों को अपने बच्चो से भआई ज्यादा प्यार करेगी, किया तुमको ये नही पता।
शरद चुप होकर सुनते रहते हैं उनमें अपने भाई से जबान लड़ाने की हिम्मत ही नही होती बह अपने भाई की बहुत इज्जत करते हैं दोनो तीनो भइयों में बहुत प्यार है सबसे ज्यादा शरद बहुत सीधे हैं बहुत ज्यादा चंचल मीठी के चाचा जी संतोष हैं हमेशा बच्चो में घुले मिले रहते हैं। सब बड़े भाई साहब को बहुत इज्जत करते हैं उनका एक इशारा सबके लिए काफी होता है, घर के सारे फैसले बह लेते है शरद की शादी का फैसला भी बह अकेले ही कर आए रश्मि के घर रश्मि भआई इस शादी से खुश नही है पर उस पर भी यही जोर की जीवन बहुत बड़ा है अकेले कैसे कटेगा रश्मि अपने जीवन के बारे में सोचती हैं, उधर शरद अपने बच्चों के बारे में चिंतित है, य फैसला शरद की ही नही अगर गलत हुआ तो कई लोगो की जिंदगी को नष्ट कर सकता हैं, पर रश्मि राशी की बहन हैं बह अपनी बड़ी बहन के किसी के देवर से शादी के लिए बस उनके कहने पर ही राजी हुई हैं, शरद सारी बातें सुन कर अपने कमरे में चले जाते हैं,
शरद की भाभी वे सब देख रही है की शरद खुश नही हैं।
राशी शरद के कमरे में जाती हैं,
राशी" छोटे कहां है छोटे सुनिए।

शरद" भाभी आप आइए किया हुआ बोलिए

राशी" छोटे आप यहां क्यू आ गए चलो सब सॉपिंग पर चलते हैं।

शरद" नही नही आप सब चले जाइए मैं किया करूंगा आप सब खरीद ही लाइए मेरे लिए,

राशी" अच्छा कोई बात नही मैं सोच रही थी सब इतनी जल्दी जल्दी हो गया आप रश्मि से बात नही कर पाए तो मैं सोची इसी बहाने आप रश्मि से कुछ बात कर पाते तो चलिए, अगर आप नही जाना चाहते तो कोई बात नही मीठी,उदय,मोना, राहुल सब जा रहे हैं, मैं चलती हूं। आना हो तो आ जाना

शरद सोचते हुए रश्मि से बात तो करनी ही है किया बह सच में शादी करने के लिए तैयार है या उस पर कोई दवाब तो नही भाभी का शरद य सोचते हुए बोलते है भाभी रुकिए मैं भी आता हूं बच्चों को मोल में आप अकेले नही देख पाएंगी।
सब लोग कार में सॉपिंग के लिए निकल जाते हैं,
उधर रश्मि के पास फोन कर के बोल दिया जाता है कि मोल आ जाए शादी की सॉपिंग के लिए रश्मि नही जाना चाहती पर उसको भेज दिया जाता है।
क्रमश: