मां कब आयेगी - (भाग -७) Dikshadixit द्वारा आध्यात्मिक कथा में हिंदी पीडीएफ

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मां कब आयेगी - (भाग -७)

रश्मि के पति की मौत से सारा घर ही नही उसका पूरा गांव ही मातम में छा गया, सब एक ही बात कह रहे थे ऐसा नही होना चाहिए था भगवान अच्छा नही किया बेचारी रश्मि और उसके बेटे का किया होगा, कोन है उसका अब ।
यह बातें रश्मि के कानों में जाती और बह फूट, फूट कर रोने लगती, कभी अपने पति के सीने पर हाथ मरती, कभी उसके चहरे को सहलाती कभी कुछ कहती कभी जोरों से रोने लगती, रश्मि की हालत जो भी देखता कहता, बस कर बेटा कितना रोएगी, अपने बच्चे के बारे में सोच अब इसको तुझे ही संभालना है। रोने से कोई वापस नही आता बेटा चुप हो जा, उधर रश्मि के ससुर जी की हालत ठीक नही थी, बह रश्मि की तरह रो भी नही पा रहे थे।बह बस कहते एक बाप का भाग्य होता है अपने बेटे के कंधो पर जाना, मेरा दुर्भाग्य है जो आज अपने बेटे को कंधा देना होगा कैसे मैं उस छोटे मासूम को बताऊं की उसका बाप नही है, बह अपने बाप को कैसे भूल जा सकता है। जो हमेशा अपने बाप से लटके रहा करता था उसको कैसे उसके सामने से दूर ले जाऊंगा। किया होगा मेरे अंश का उसके ऊपर से बाप का साया उठ गया, मेरी बूढ़ी हड्ढिया केसे और कब तक उसको पाल पाएंगी। जब बह मुझसे पूछेगा कि उसका बाप कहां है तो किया बोलूंगा उसको, बस इतना कह कर रश्मि के ससुर एक तरफ बैठ जाते हैं और अपनी नम आंखों को पोछते हुए कहते हैं, जब तक बॉडी रहेगी तब तब बहु रोती रहेगी ले चलो अब सब एक तरफ देखत हैं पर किसी की हिम्मत नही होती की रश्मि को कह सकें कि अब अंतिम संस्कार के लिए ले जाना है। तभी औरते कहती है, रश्मि हट जा बेटा, अंतिम संस्कार का वक्त हो गया है य भगवान का उसूल है, रश्मि कहती है जरा अंश को तो कोई बता दो उसके पापा जा रहे हैं मेरे अंश ने देखा भी नही अपने पापा को, अंश बार– बार आता तो था पर औरतें उसको उठा ले जाया करती थी। अंश के आते ही एक औरत दूसरी की तरफ इशारे से अंश को अंदर ले जाने को।कहती और बह उसे उठा ले जाया करती। रश्मि का अंश को बुलाना किसी को अच्छा नही लगा सब कहने लगीं अंश छोटा है। पागल हो किया नादान नही बनो रश्मि, तभी शरद बोल उठते हैं आप सब पागल हैं एक छोटे बच्चे से उसके बाप को बह अपनी आंखो से एक बार आखिरी बार देख लेने का हक क्यू छीन रहे हो किया अंश को जरा भी हक नही बह अपने पिता को आखिरी बार देख ले, बुलाओ अंश को कहां है बह आखिर अपने बाप का अंतिम संस्कार भी बही करेगा, एक बेटे के होते ये हक केसे छीन लें उससे अंश छोटा है तो इसका मतलब बह अपने बाप के सीने से आखिरी बार लग भी नही सकता।
शरद की बातें उस वक्त सबको अच्छी भआई लगी और अचंभित हुए कुछ लोग आखिर अंश को बुला ही लिया अंश अपने पिता को देखता खड़ रहा, रश्मि ने उसे अपने पास बिठाया और कहा पापा देख बेटा छोड़ के जा रहें हैं। इतना सुन अंश बहुत जोर से पापा...............
के सुर में रोने लगा, तभी उसको कुछ लोग उसके पिता से दूर ले गए। और उसके पिता की लाश को उठा कर ले जाने लगे रश्मि कुछ दूरी तक उसके पीछे गई पर कहां तक जाती बेचारी रश्मि उसको देख ऐसा लग रहा था मानो उसका पति ही नही उसकी दुनिया ही उससे दूर हो रही है, फिर किया सब कार्य समय, समय से होने लगे सब दो दो चार चार बार रो ते चले जाते आते चले जाते मीठी की बड़ी मां रश्मि के साथ ही रुक गई, उनका रश्मि को अकेले छोड़ कर जाना ठीक नही लगा कुछ दिन बीतते गए ।
ईश्वर की माया से सब धीरे धीरे भूल जाते है।
क्रमश :