The Author dinesh amrawanshi फॉलो Current Read जस्बात-ऐ-मोहब्बत - 14 By dinesh amrawanshi हिंदी प्रेम कथाएँ Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books मैं, तुम और हमारी कहानियाँ सबसे समर्थ और सबसे सच्चा साथीएक छोटे से गाँव में एक व्यक्ति... नफ़रत-ए-इश्क - 4 तपस्या के बारेमे सोच कर विराट एक डेवल स्माइल लिऐ बालकनी से न... Revenge by Cruel Husband - 3 तभी अभिराज ने चित्रा की तरफ देखते हुए कहा कि मुझे कौन सा शाद... स्पंदन - 7 ... शायराना फिज़ा... 3 - इत्तेफ़ाक o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o~तेरा ज... श्रेणी लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी क्राइम कहानी उपन्यास dinesh amrawanshi द्वारा हिंदी प्रेम कथाएँ कुल प्रकरण : 16 शेयर करे जस्बात-ऐ-मोहब्बत - 14 (1) 1.4k 2.8k रिचा चौक जाती है पापा आप, आप कब आए रिचा के पापा कहते है गुड़िया मैं तो अभी आया हूँ पर तू इतनी गहरी सोच मे कहा खोई हुई थी,पापा वो कल से कॉलेज शुरू हो रहे है ना वही सोच रही थी अच्छा चल तेरे लिए एक सरप्राइज़ है रिचा सुनते ही उछल पड़ती है क्या पापा,तू अपने रूम से बाहर तो चाल मेरी गुड़िया ओर रिचा अपने प[आपा के साथ हाल मे आती है रिचा टेबल पर रखा केक देख कर ख़ुशी से झूम उठती है वाओ रेल वेल्वेट केक थैंक यू पापा तो रिचा के पापा कहते हैं मेरी गुड़िया ये तेरे पास होने की ख़ुशी मे तेरा फ़ेवरेट है ना चलो पहले हम केक कट करेंगे फिर आज हम काही बाहर जाएंगे डिनर के लिए ओके रिचा बेटा चलो केक कट करो ओर रिचा केक कट करके पहले अपने पापा खिलाती है फिर माँ ओर बड़े फिर छोटी बहन को खिलाती है उसके बाद तैयार होकर पूरी फ़ेमिली एक साथ रात के डिनर के लिए बाहर जाती है रिचा ओर उसकी छोटी बहन आएशा इस ट्रिप को बहोत इंजोय करती हैं पूरी फ़ेमिली देर रात लगभग 11 बजे घर पहुँचती है उसके बाद सभी अपने अपने रूम मे चले जाते है रिचा ओर आएशा अपने रूम मे चली जाती है अगले दिन रिचा सुबह जल्दी उठती है ओर नहा कर कॉलेज के लिए तैयार हो होकर हॉल मे आती है जैसे ही माँ उसे देखती है रिचा से कहती है बेटा अभी तो टाइम है न कॉलेज के लिए तो रिचा कहती है माँ 7 बज गए है ओर मैं पहले नयन्सी के घर जाऊँगी उसे भी लेना पड़ेगा नहीं तो मेरी जान ले लेगी रिचा माँ से नास्ता मांगती है ओर नास्ता करके नयन्सी को कॉल करती है हैलो नयन्सी तू तैयार हो गई नयन्सी कहती है हा मैं तैयार ही हो रही हूँ रिचा कहती है ठीक मैं निकल रही हूँ ओर रिचा कॉल कट करके निकल जाती है रिचा राघव बिहार पहुँचती है तो नयन्सी उसे कॉलोनी गेट मे नहीं मिलती तो रिचा उसके घर जाती है ओर डोर बैल बजाती है नयन्सी की मम्मी दरवाज़ा खोलती है रिचा बेटा तुम,नयन्सी बेटा रिचा आई है ओर रिचा को नयन्सी के रूम मे भेज देती हैं जैसे ही रिचा नयन्सी के रूम मे जाती है नयन्सी कहती है देखो तो ज़रा मेडम की खुशी का तो ठिकाना ही नहीं है अबे जब इतना प्यार करती है प्रतीक सर से तो बता क्यूँ नहीं देती उन्हे रिचा कहती है बता दूँगी बाबा तू जल्दी कर न नयन्सी कहती है अच्छा बाबा 2 मिनट मैं जानती हूँ तू कितनी एकसाइटेड है चल मैं रेडी हो गई और दोनों कॉलेज के लिए निकल जाती है जब कॉलेज पहुँचती हैं और क्लास की ओर जाती हैं लेकिन जब दोनों को पता चलता है कि थोड़ा वक़्त है अभी क्लासेस शुरू होने मे तो दोनों कैंटीन चली जाती है वहीं नेहा और रितु भी बैठी होती हैं तो दोनों उनके साथ बैठ जाती हैं रितु कहती है क्या बात है तुम दोनों कुछ ज्यादा ही खुश दिख रही हो नयन्सी कहती है अबे अब क्या हसें भी ना और तू क्या हमारी टांग खीच रही हैप्रिय पाठकों ये मेरी पहली स्टोरी है प्लीज आप लोग मैसेज और मेल में जरूर बताएं की मेरी स्टोरी कैसी है मुझे सजेस्ट करे अगर कोई कमी है तो सलाह दे ‹ पिछला प्रकरणजस्बात-ऐ-मोहब्बत - 13 › अगला प्रकरण जस्बात-ऐ-मोहब्बत - 15 Download Our App