The Author dinesh amrawanshi फॉलो Current Read जस्बात-ए-मोहब्बत - 8 By dinesh amrawanshi हिंदी प्रेम कथाएँ Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books जीवन सरिता नौन - ७ स्वीकारो इस पाबन जल को, मुझको यहां मिलाओ। खुशी हुआ तब सुनत... नक़ल या अक्ल - 66 66 बेवफाई सुधीर ने हरीश को घूरते हुए फिर पूछा, “साँप सूंघ... कोमल की डायरी - 13 - घोंघे को गुस्सा आता है बारहघोंघे को गुस्सा आता है शुक्र... डेविल सीईओ की मोहब्बत - भाग 55 अब आगे,अर्जुन ने आराध्या को ठीक कर के अपनी गोद में बिठा तो ल... नागिन और रहस्यमयि दुनिया - 14 आखिर नागराज devika को वह नागमणि क्यों देना चाहते थे? इसकी वज... श्रेणी लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी क्राइम कहानी उपन्यास dinesh amrawanshi द्वारा हिंदी प्रेम कथाएँ कुल प्रकरण : 16 शेयर करे जस्बात-ए-मोहब्बत - 8 (1) 1.5k 3k और रिचा फ़्रेश होकर खाना खाने चली जाती और खाना खाकर जल्दी से रूम मे आ जाती है ओर सोचती है कि इतना अच्छा सपना काश माँ थोड़ी देर ओर सोने देती पर दिलो दिमाग मे अवस्थी सर ही रहेंगे तो मैं पढ़ाई कैसे करूंगी रिचा सोचती है नहीं रिचा तुझे किसी भी तरह से पढ़ाई मे ध्यान लगाना होगा और रिचा पढ़ाई करने लगती है सुबह रिचा लेट सो कर उठती है फ़्रेश होकर रूम से बाहर निकलती है और माँ से नाश्ता मांगती है माँ रिचा को नस्ता देती है रिचा अपना नस्ता ख़त्म करके माँ से कहती है माँ मैं रूम मे जा रही हु रूम मे बैठ कर ही पढ़ाई करूंगी,रिचा रूम मे जाकर पहले नयन्सी को कॉल करती है नयन्सी कल से पेपर है पर थोड़ा पहले चलेंगे यार,नयन्सी कहती है क्यूँ पहले क्यूँ ,रिचा कहती है यार मुझे न पेपर से पहले अवस्थी सर को देखना है तभी नयन्सी कहती है हा तेरा लकी चैम जो है अवस्थी सर,अच्छा ठीक है टाइम से पहले चलेंगे ठीक है चल बाए और फिर रिचा पढ़ाई करने लगती है रिचा पढ़ाई कर रही होती है तभी माँ रिचा के लिए कॉफी लेकर आती है,रिचा ये ले बेटा पहले कॉफी पीले,रिचा माँ को थेंक यू कहती है माँ रिचा के रूम से चली जाती है और रिचा कॉफी पीते पीते पढ़ाई करने लगती है रिचा पढ़ते पढ़ते सो जाती है अगले दिन रिचा सुबह थोड़ा लेट उठती है पेपर 11 बजे से शुरू होने वाले होते है पर रिचा टाइम देख कर घबरा जाती है यार आठ बज गए मैं पक्का लेट हो जाऊँगी कॉलेज पहुँचने मे,असल मे ये घबराहट पेपर की नहीं प्रोफ़ेसर अवस्थी को देखने की होती है कि पेपर से पहले उन्हे देख पाऊँगी भी या नहीं इतने मे मोबाइल की रिंग बजती है,रिचा कॉल उठती है ये कॉल नयन्सी का होता है पर रिचा बिना मोबाइल देखे कॉल उठाती है हैलो कोन,अरे मैं बोल रही हूँ नयन्सी कहा खोई है बे सुबह सुबह रिचा कहती है अरे वो मैं अभी सो कर उठी न इस लिए देखी नहीं हा बोल,नयन्सी कहती है कितने बजे तक आ रही है रिचा कहती है मैं नाइन थर्टी तक निकल जाऊँगी तू तैयार रहना मैं तैयार होने जा रही हूँ ओर कॉल कट कर रिचा नहाने जाती है रिचा नहा कर तैयार होती है तभी माँ रिचा के लिए कॉफी लेकर आती है रिचा माँ से पुछती है माँ पापा चले गए क्या माँ कहती है नहीं अभी नास्ता कर रहे है तेरे पापा,ठीक है माँ मैं अभी आई और रिचा तैयार होकर पहले अपने पापा के पास जाती है गुड मॉर्निंग पापा रिचा के पापा, गुड मॉर्निंग मेरी गुड़िया हो गई तेरे पेपर की तैयारी रिचा कहती है हा पापा हो गई,ठीक है बेटा अच्छे से पेपर करना गुड लक अच्छा मुझे ऑफिस निकलना है बेटा शाम को मिलते है इतना कह कर रिचा के पापा चले जाते है रिचा की माँ रिचा को नास्ता देती है रिचा नास्ता करके रूम मे जाती है ओर नयन्सी को कॉल करती है ‹ पिछला प्रकरणजस्बात-ए-मोहब्बत - 7 › अगला प्रकरण जस्बात-ए-मोहब्बत - 9 Download Our App