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विश्वास - कहानी दो दोस्तों की - 35

विश्वास (भाग -35)

देर रात तक संगीत में मस्ती करने के बाद अगले दिन सुबह सब देर से उठे।
शाम को रवि और टीना को सब रस्मो रिवाजो को टाइम के साथ पंडित जी का लिखा हुआ कागज संध्या के घर देने के लिए भेजा गया।
दोनो को संध्या के घर से शगुन और मिठाई मिली जा उन्होने सबके साथ पहले के जैसे बाँट लिया और मिठाई माँ को दे दी।
सुबह शादी थी तो रात के खाने के बाद टीना भुवन के पापा के लिए लायी ड्रैस और सेंडिल उनको दिखाने ने आयी।
अँकल जी आप कल सुबह ये पहनना, भुवन और ये चारो भी ऐसी ही पहन रहे हैं तो बहुत अच्छे लगोगे सब।
देखा भुवन की माँ हमारे पाँच बेटे हैं,पर किसी को हम दोनो का ध्यान नहीं आया, बस बिटिया को याद रहा।
ठीक है बिटिया मैं यही पहनूँगा।
बिल्कुल ठीक कह रहे हैं आप, मैं भी माँजी ने जो साड़ी दी थी, वही पहनूँगी।
रवि को छोड़ सब हैरान थे कि टीना ने कब पापा के लिए शॉपिग की।
"पापा पहले आप पहन कर देख लो साइज ठीक है या नहीं"? नरेन बोला
"टीना को पता है भैया से एक बड़ा साइज आता है पापा को और फुटवियर्स का साइज सैम है, टीना मैडम पूरा होमवर्क करके खरीद कर लायी है"। रवि बोला।
भुवन अपने मम्मी-पापा को खुश देख कर खुश हो रहा था।
अब इंतजार सुबह का था। कोई सोना नही चाह रहा था, पर पापा के गुस्सा करने पर सब सोने चले गए।
सुबह 9 बजे का शुभ मुहुर्त था। सब तैयार हो कर मंदिर पहुँच गए थे। भुवन के पापा को टीना के लाए कपडे बिल्कुल ठीक आए थे। संध्या लाल साड़ी में बहुत सुंदर लग रही थी, ते भुवन भी अपनी ड्रैस में राजकुमार से कम नहीं लग रहा था।
टीना भी फिरोजी सूट जो भुवन ने ले कर दिया था , पहन कर बहुत सुंदर लग रही थी।
शादी हो गयी, विदाई संध्या के पिता जी घर से देना चाहते थे, सो संध्या को पहले उसके पिताजी के साथ घर छोड़ कर आए ।
भुवन और बाकी सब कुछ देर बाद जा कर दुल्हन को हवेली ले आए।
टीना के मम्मी, पापा ,बडे चाचा और छोटा भाई आशु बस उसी वक्त पहुँचे थे।
कुछ देर बाद लंच शुरू होने वाला था।
सब उसकी तैयारियों में जुटे थे।
टीना ने रवि, नरेन, राजेश और श्याम से मिलवाया।
भुवन के मम्मी पापा ने उनको अपने समधी और कुछ खास लोगो से मिलवाया।
टीना संध्या से मिलवाने माँ को ले गयी।

चाय पानी पी कर टीना के पापा ने बाहर थोड़ी घूम आते हैं कहा तो, उन्होनें तुरंत एक लड़के को उनके साथ भेज दिया।
टीना के पापा चाचा और आशु खेतों में घूमने चले गए।
उस लड़के ने उनको बताया कि उनके मुखिया के भाई, बहन ,चाचा, मामा कोई रिश्तेदार नहीं हैं। इसलिए पूरे गाँव को अपने परिवार समझते हैं। गाँव की ज्यादातर जमीन मुखिया जी की है, और सब लोग उनके लिए काम करते हैं।
गाँव में कोई भूखा नहीं सोता।
टीना के पापा और चाचा भुवन के परिवार की तारीफ सुन कर बहुत खुश हुए, प्रभावित तो पहले से ही थे।
टीना की मम्मी ने संध्या के लिए जो सेट लाए थे, वो संध्या को दिया तो उसको बहुत पसंद आया।
भुवन की मम्मी कमरे में आयी तो संध्या ने वो सेट उनको दे दिया ये बता कर कि टीना की मम्मी ने दिया है।
लंच के लिए लोग आने शुरू हो गए। आँगन में सबके लिए बैठ कर खाने की व्यवस्था थ
जो नीचे कालीन पर नहीं बैठ सकते थे उनके लिए कुर्सियों का प्रबंध था।
खाना खिलाने वाले बहुत लोग थे। रवि और नरेन भी सब इंतजाम देख रहे थे।
टीना के पापा और चाचा खेतों से आए तो उनके लिए खाना अंदर डायनिंग टेबल पर लगाया गया था।
सब इंतजाम इतने परफेक्ट थे कि टीना के पापा हैरान थे कि भुवन के पापा कितने आराम से बिना परेशान हुए हैंडल कर रहे हैं। दिल्ली में तो अपने ही रिश्तेदार कितना परेशान कर देते हैं।
टीना के परिवार ने खाने के बाद टीना को चलने को कहा तो भुवन के पापा ने मना कर दिया।
उमेश भाई आप सब को आज रूकना चाहिए।
भाई साहब अगली बार आऊँगा तो जरूर रूकेंगे कल मेरी सुबह जरूरी मीटिंग है, तो जाना होगा।
ठीक है उमेश भाई आपको काम है तो मैं रोकूगाँ नही पर बिटिया को मैं कल खुद छोड़ने आऊँगा, आज मुझे उससे काम है।
ठीक है भाई साहब टीना कल आ जाएगी।
पूरे परिवार को तोहफो और मिठाई के साथ विदा किया गया।
शाम को पगफेरे की रस्म के लिए सब संध्या के घर गाए।
कुछ देर रूक कर सब वापिस अपने घर।
पीछे से टीना रवि और नरेन ने भुवन का कमरा फूलों से सजा दिया।
रात को जब सब अपने कमरो में जाने लगे तो भुवन के पापा ने एक लिफाफा भुवन को दिया।
"पापा ये क्या है? खोल कर देखो सडू प्रसाद", पापा की जगह टीना ने जवाब दिया।
भुवन ने लिफाफा खोला तो उसमें मुंबई और गोआ के टिकिट थे।

बेटा कल दिल्ली से मुंबई जाना है वहाँ 6-7 दिन घूम कर गोआ जाना की टिकिट है। 12 दिन का प्लान है। मुंबई, खंडाला, लोनावला और महाबलेश्वरम के घूमने का प्लान हमने लिया है। वहाँ एयरपोर्ट पर तुम्हें गाइड मिल ही जाएगा। पापा ने बताया।
"इन सब की जरूरत नहीं थी, पापा"।

बेटा,कुछ दिन संध्या भी घूम लेगी तो अच्छा रहेगा फिर तुम लोग अपने कामों में बिजी हो जाओगे, माँ ने कहा। ठीक है माँ , अब तो जाना ही पडे़गा।
"वैसे यह प्लान टीना ने बनाया है"। नरेन ने कहा।
हाँ और क्या, तुम सब ने तो सोचा ही नहीं, टीना ने हँसते हुए कहा।
अच्छा अब तुुम सब सोने जाओ, कल दिल्ली के लिए निकलना है, कल शाम की फ्लाईट है।भुवन के पापा ने कहा तो सब सोने चले गए।

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