सुलतान सिगारेट की कश लेते हुए.... धुआं हवा में उड़ाते हुए कुछ सोच रहा था। वह कल के दिन का प्लान करते करते कब बेख्याल आसमान की ओर देखने लगा उसे पता ही नहीं चला । वह बस बुत बने आसमान देख रहा था। ना तो उसके दिमाग में कोई हरकत हो रही ना ही उसका जिस्म कोई हरकत कर रहा था मानो जैसे वह बर्फ की तरह जम सा गया था। बस सिगारेट के कश के वक्त हरकत हो रही थी । वह पलके झपकाते हुए फिर से आसमान को एक बार चारो ओर देखता है । मानो कुछ ढूंढ रहा हो!? क्या यह तो उसे भी समझ नहीं आ रहा था। वह बस देखे ही जा रहा था और देखते ही देखते कब उसकी सिगारेट बुझ गई उसे पता ही नहीं चला। वह कुछ पल ठहरते हुए सिगारेट को फेकते हुए कुचल देता है। वह बालकनी की रेलिंग पकड़ते हुए आसपास देखे जा रहा था। काफी वक्त के बाद सुलतान बेफिजूल खड़ा था जहां वह बस ये ठंडी हवाएं,घनी काली रात,खामोश माहोल को महसूस कर रहा था। मानो जैसे उसके दिल को एक मरहम की तरह सुकून पहुंचा रहा था। जो की सुलतान तो मानता नहीं की उसके पास कोई दिल भी है! पर कई बार ना चाहते हुए भी एसे काम कर बैठता है जो उसके पास अभी भी दिल धड़क रहा है इस बात का सबूत दे रहे थे । फिर चाहे वह अनाथ बच्चों की मदद करना हो! या तस्करी से बचाना हो। वह खुद कोई दूध का धुला तो नहीं था क्योंकि इस पूरे माफिया वर्ल्ड में उससे ज्यादा बेरहम कोई नहीं था पर कई दफा उसने सैकड़ों लोगों को ऐसे ही बचाया जो की जानवर से भी बदतर जिंदगी जी रहे थे ।
हालाकि सुलतान खुद भी एसे काम करवाता है पर उन्ही लोगो से जो खुद अपनी मर्जी से रहना चाहते हो। जैसे रग्गा को सुलतान ने बचाया था जब वह एक अंडरवर्ल्ड मीटिंग में गया था । जब रग्गा १५ साल का था और उसके पिता की वजह से वह इन सबके बीच में फस गया था । जिस तरह से उसके साथ व्यवहार किया जा रहा था मानो जैसे इस दुनिया में जंगल में रहने वाले जानवर के अंदर भी इंसानियत दिख जाएगी पर इंसान के अंदर नहीं। सुलतान पहले तो अनदेखा करना चाहता था पर फिर ना चाहते हुए भी वह मुसीबत मोल के रग्गा और बाकी सब को बचाता है। सुलतान रग्गा को आम लोगों की तरह जीने के लिए कई मौके देता रहा लेकिन फिर रग्गा का मन जैसे इस इंसानी दुनिया से उठ सा गया था । कुछ ना कुछ सुलतान की तरह हालत थी उसकी भी । ना तो चैन से जी सकता था ना ही मर सकता था।
इसलिए उसने भी दूसरो को मारकर खुद को बचाए रखना जरूरी समझा। और जैसे जैसे वक्त बीतता गया वह बिलकुल सुलतान की तरह होता गया और इंसानी अहसास खोता गया । वह हर एक इंसान को जिम्मेदार ठहराता गया जो उसकी इस हालत के जिम्मेदार थे। हर वह इंसान जो उसकी बेबसी का तमाशा देखते रहे । एक एक करके सुलतान की तरह चुन चुन के मारता गया । और फिर सिर्फ एक ही वजह बना ली सुलतान के लिए कुछ भी करना चाहे फिर वह कितना ही गलत कर रहा हो! वह जानता था सुलतान इन सब बाकी लोगो की तरह मुखौटा पहने नहीं था। जो था जैसा था सामने था और किसी बेबस को आज तक परेशान नहीं किया। शायद यहीं कुछ वजह थी की सुलतान के जितने भी आदमी थे उसके साथ रह रहे थे। क्योंकि गलत रास्ता होते हुए भी काफी सही लग रहा था। सुलतान देखते देखते कब बेड पे जाके सोने चला गया उसे पता ही नहीं चला। कई दिनों के बाद इतनी सुकून की नींद आई थी उसे। वर्ना तो हर रोज रात को काटना जैसे एक जंग लड़ने जैसा था । खुद के साथ और इस जमाने के साथ।
सुबह ५ बजे सुलतान का फॉन बजता है। वह अभी नहाके बाथरूम से आया ही था । देखता है तो रग्गा का फॉन था वह पहुंच ही रहा है कहकर कॉल को काट देता है । सुलतान ब्लेक बिजनेस सूट पहनते हुए घड़ी में एक नजर डालते हुए बाल संवारने लगता है। वह परफ्यूम छिड़कते हुए आखरीबार खुद को आईने में देखता है फिर कॉट और मोबाईल लेकर एयरपोर्ट की ओर निकल जाता है। करीबन ३०-३५ मिनिट के बाद एयरपोर्ट पहुंचता है। रग्गा दौड़ते हुए कार का दरवाजा खोलता है । सुलतान कॉट के बटन बंद करते हुए एयरपोर्ट के दरवाजे की ओर कदम बढ़ाता है। रग्गा सुलतान की गति से चलने की कोशिश करते हुए कहता है ।
रग्गा: बॉस! मैने प्राइवेट जेट तैयार करवा लिया है । और होटल बुकिंग भी करवा ली है। और बेक अप के लिए कंपनी के साथ मीटिंग भी फिक्स करवा ली है। आगा खान आपका इंतजार इस्लामाबाद एयरपोर्ट पर इंतजार कर रहे है । मैं और अज्जू टीम को लेकर टाइम पर पहुंच जाएंगे ।
सुलतान: ( वीआईपी गेट से एयरपोर्ट में दाखिल होते हुए ) ठीक है! ।
रग्गा: ठीक है! फिर...! मीटिंग पर मिलते है। आपका गेट अप और बाकी चीजें हॉटल रुम में मिल जाएगा ।
सुलतान सिर को हां में हिलाते हुए रन वे की ओर कदम बढ़ाता है । कुछ देर चलने के बाद वह प्राइवेट जेट में चढ़ते हुए मोबाइल को ऑफ कर रहा था। वह जेट में दाखिल होते हुए अपनी सीट पर बैठता है। जेट की हर एक कारीगरी सुलतान की शानो शौकत को बयान कर रहा था। फिर चाहे उसकी डिजाईन हो या फिर लक्जरी लुक । सुलतान टेबल पर पड़ी फाइल को उठाते हुए पढ़ने लगता है। कब दो घंटे बीत गए सुलतान को पता ही नहीं चला। जब एयरहोस्टेस सुलतान को नाश्ता देने आई तब उसका ध्यान घड़ी पर गया और पता चला की ७:३५ हो गए है। सुलतान ब्रेक फास्ट के लिए सिर को हां में हिलाते हुए इशारे में कहता है। एयर होस्टेस सुलतान का नाश्ता टेबल पर रखकर चली जाती है । सुलतान फाइल को साइड में रखते हुए नाश्ता करने लगता है । वह नाश्ता करते हुए लैपटॉप में कुछ टाइप भी कर रहा था। नाश्ता करने के बाद सुलतान फिर से फाइल को उठाते हुए! कुछ प्वाइंट हाई लाइट करने लगता है । तभी एक दूसरी एयरहोस्टेस प्लेट और ग्लास लेने आती है। उसके हिलस की आवाज पूरे जेट में गूंज रही थी क्योंकि पूरे जेट में सुलतान और स्टाफ के अलावा कोई नहीं था। सुलतान दांत को भींचते हुए गुस्से को काबू में करने की कोशिश करता है। क्योंकि उसके सभी स्टाफ को पता है की सुलतान को किसी भी प्रकार की आवाज बिल्कुल पसंद नहीं है। तभी एयर होस्टेस जुक्ते हुए! प्लेट उठाकर ट्रॉली में रखती है। वह जान बूझकर सुलतान को देखे जा रही थी यह सुलतान को महसूस हो रहा था। सुलतान फाइल को बंध करते हुए. एयर होस्टेस की ओर देखता है तो वह उसके स्टाफ में से नहीं थी शायद नई थी क्योंकि उसके स्टाफ को वह जानता था। और जिस तरह के कपड़े और मेक ओवर है उससे तो साफ जाहिर हो रहा था की वह जॉब पर कम और किसी को रिझाने के लिए आई हो । सुलतान नजर घुमाते हुए बटन दबाता है। तभी दूसरी एयर होस्टेस आती हैं। तो सुलतान उसे कहता हैं।
सुलतान: शीला! नए स्टाफ कब से आए!? मेरी इज़ाजत के बगैर!? ( शीला की ओर देखते हुए ) ।
शीला: सर...! वो....वो.... मिस्टर मल्लिक सर ने अपॉइंट किए है।
सुलतान: ( दांत भींचते हुए ) आइंदा गलती नहीं होनी चाहिए ।
शीला: जी सर... सॉरी सर...!. पाकिस्तान पहुंचते ही मैं डिसमिस कर दूंगी इन सब को! ।
सुलतान: ( सुलतान हाथ से इशारा करते हुए जाने को कहता है ।) ।
करीबन ७ घंटे बाद सुलतान इस्लामाद एयरपोर्ट पर पहुंचता! । कोर्ट को हाथ में लेते हुए उतरता है। और दूसरे हाथ में एक बैग था। जैसे ही वह बाहर की ओर आगे बढ़ता हैं। तो आगा खान उसके आदमियों के साथ गाड़ियों का काफ्ला लेकर खड़ा था। सुलतान उनकी और कदम बढ़ाते हुए! आगा खान के गले मिलता है। और कार में बैठ कर एयरपोर्ट से होटल की ओर निकल जाता है।
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